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सबसे बड़ा सवाल : आखिर विधायक के सैर-सपाटे के लिए योगी के नाम का सहारा लेने का आइडिया था किसका ?

अभी तक विधायक त्रिपाठी का कोई ऐसा पत्र सामने नहीं आया, जिसमें यूपी के सीएम का जिक्र हो

अपर मुख्य सचिव को विधायक त्रिपाठी ने कोई पत्र लिखा था तो उस पत्र को सामने लाया जाना चाहिए 

विधायक त्रिपाठी ने जिला प्रशासन के समक्ष यात्रा की अनुमति के लिए कोई आवेदन नहीं किया तो अनुमति पत्र क्यों जारी कर दिया  

उत्तर प्रदेश सरकार काफी नाराज है और मामले की जांच करा रही है कि सीएम के नाम का इस्तेमाल क्यों किया गया

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। यूपी के विधायक को उत्तराखंड का सैर सपाटा कराने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम का सहारा लेने का आइडिया किसका था। इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या यूपी सरकार में से किसी ने भी विधायक अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड जाने के लिए अधिकृत नहीं किया था। अमनमणि त्रिपाठी की उत्तराखंड यात्रा को मुख्यमंत्री से जोड़ना आपत्तिजनक है। अब सवाल यह उठता है लॉकडाउन का उल्लंघन कराते हुए त्रिपाठी के इस सैरसपाटे के लिए यूपी के मुख्यमंत्री के नाम का इस्तेमाल किसने कराया।
अभी तक इस पूरे प्रकरण में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से जिलाधिकारी को लिखे पत्र और देहरादून जिला प्रशासन के अनुमति पत्र में यूपी के मुख्यमंत्री का जिक्र है। इन पत्रों में जिक्र है कि यूपी के मुख्यमंत्री के स्वर्गीय पिताजी के पितृ कार्य हेतु विधायक त्रिपाठी और उनके साथियों को बदरीनाथ और केदारनाथ जाना है। हालांकि अभी तक इस पूरे प्रकरण में विधायक त्रिपाठी का ऐसा कोई पत्र सामने नहीं आया है, जिसमें उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री के नाम पर जिक्र किया हो। 
सवाल य़ह उठता है कि अपर मुख्य सचिव को यह जानकारी कैसे हुई कि विधायक त्रिपाठी और उनके साथ दस लोगों को यूपी के मुख्यमंत्री के पिताजी के पितृ कार्य के लिए बदरीनाथ, केदारनाथ यात्रा पर जाना है। उन्होंने देहरादून के जिलाधिकारी को लिखे पत्र में यह जानकारी दी है और उन सभी लोगों के नाम भी लिखे हैं, जिनको विधायक के साथ यात्रा करने की अनुमति मांगी गई थी। तीन गाड़ियों के नंबर भी उपलब्ध कराए गए थे। क्या अपर मुख्य सचिव को विधायक त्रिपाठी ने किसी पत्र के माध्यम से यह जानकारी दी या फिर मौखिक हुई वार्ता के आधार पर यह सब किया गया। 
अगर विधायक ने अपर मुख्य सचिव को कोई पत्र लिखा है तो उस पत्र को भी सामने लाया जाना चाहिए। यदि यह सब कुछ कार्यवाही मौखिक आधार पर की गई है, क्या यह कहा जा सकता है कि उत्तराखंड सरकार के वरिष्ठ नौकरशाह मौखिक वार्ता पर भी कार्यवाही कर देते हैं। जहां तक हमारी जानकारी है कि सरकारी कार्यवाही में मौखिक वार्ता का कोई आधार नहीं होता। 
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि विधायक त्रिपाठी ने जिला प्रशासन के समक्ष यात्रा की अनुमति के लिए कोई आवेदन नहीं किया तो उनको और उनके साथियों को अनुमति पत्र क्यों जारी कर दिया गया। 
क्या उत्तराखंड में अन्य प्रदेशों से आने वाले विधायकों और उनके साथियों की यात्रा के लिए अपर मुख्य सचिव स्तर से  जिला प्रशासन को पत्र लिखकर अनुमति दिलाने की व्यवस्था है। यदि ऐसा नहीं है तो अपर मुख्य सचिव ने विधायक त्रिपाठी और उनके साथियों को उत्तराखंड घूमने की परमिशन के लिए देहरादून जिला प्रशासन को पत्र क्यों लिखा।
 इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार काफी नाराज है और मामले की जांच करा रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम का इस्तेमाल क्यों किया गया। अब देखना है कि जांच में किन लोगों के नाम सामने आते हैं और उन पर भ्रमित करने के मामले में क्या कार्रवाई होती है।

https://youtu.be/wmoP7G_GScE

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