Uttarakhand

केदारनाथ हेलीकाप्टर टेंडर प्रक्रिया में सुरक्षा मानकों में किसने दी छूट ?

  • सुरक्षा मानक पांच से दो वर्ष किये जाने पर उठे सवाल ?
  • चहेती हेली कम्पनी को प्रकिया में शामिल को लेकर किसने किया ”खेल”

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : उत्तराखंड में DGCA और UCADA यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने पर तुले हुए हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मुंबई की एक हैली कंपनी को बैक डोर से केदारनाथ घाटी में हेलिकोप्टर उड़ाने की स्वीकृति देने से साफ़ पता चलता है कि कहीं न कहीं यूकाडा और डीजीसीए के अधिकारियों की मिली भगत है। क्योंकि इससे पहले यूकाडा उत्तराखंड सिविल एविएशन डवलपमेंट अथारिटी(यूकाडा) और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अधिकारियों का साफ़ कहना था कि उत्तराखंड में पिछले पांच साल से हैली उड़ा रही उन कम्पनियों को ही स्वीकृति दी जाएगी जिससे  उत्तराखंड में कोई दुर्घटना न हुई हो।

”वहीं मामले में केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने  यहां जारी एक बयान में कहा है कि इस बार केदारनाथ यात्रा भगवान भरोसे है। घोड़ा खच्चर , पालकी , मजदूर , दुकानदार और यात्री सभी परेशान हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिस क्षेत्र में यात्रा हो रही है वंहा के निवासियों के हित दिन प्रतिदिन बाधित हो रहे हैं। केदारनाथ के लिए चल रही हेलीकॉप्टर सेवाओं से जुड़ी अनियमितताओं , काला बाजारी और फर्जीवाड़े से संबंधित चर्चाएं न केवल जिला रुद्रप्रयाग में चल रही हैं बल्कि इन सेवाओं की अनियमितताओं और इनकी दुर्दशा से उत्तराखंड राज्य की छवि को बहुत नुक़दान हो रहा है।

उन्होंने कहा मेरी हेलीकॉप्टर कंपनियों की अनियमितताओं, काला बाजारी और फर्जीवाड़े के संबंध में UCADA, जिला प्रशासन और सचिव उड्डयन से कई दौर की वार्ता हुई है । मुझे हमेशा लगा कि ये सभी इन कंपनियों के सामने नतमस्तक हैं या बेबस हैं ।उन्होंने कहा हेलीकॉप्टर सेवाओं के कारण यात्रा से जुड़े अन्य घटक सरकार और प्रशासन की दृष्टि में गैजरूरी हो गए हैं। इतने सालों में भी हम हेलीकॉप्टर सेवाओं से संबंधित सही नीति और नियम नही बना पाए हैं। शीघ्र ही हेलीकॉप्टर से संबंधित नीतिगत व संचालन संबंधी अनियमितताओं के विषय पर चर्चा हेतु केदारघाटी के प्रबुद्ध जनों के साथ एक बैठक कर आगे की रणनीति बनाएंगे। उन्होंने कहा  मैं इसके बाद एक सप्ताह तक यात्रा मार्ग की विभिन्न समस्याओं और उनके निराकरण हेतु घाटी में ही प्रवास करूँगा।”

लेकिन अचानक टेंडर में इस समय सीमा को पांच से दो वर्ष करना साफ़ इंगित करता है कि कहीं न कहीं यूकाडा और डीजीसीए के अधिकारियों की मिलीभगत से एक ऐसी कंपनी को उत्तराखंड में हेली उड़ाने की मंजूरी दे दी गयी, जिसको डीजीसीए दो वर्ष पूर्व अयोग्य बता चुका था, क्योकि इस कंपनी का एक हेलिकोप्टर वर्ष 2017 में डीजीसीए के अनुसार पायलेट की गलती से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें एक इंजिनियर विक्रम लाम्बा की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी थी। इस दुर्घटना के बाद से यह कंपनी उत्तराखंड में हेली उड़ाने के लिए छटपटा रही थी लेकिन दुर्घटना का मामला सामने आते ही अधिकारी हाथ झाड़ देते थे। वहीं चर्चा है कि यूकाडा के सचिव स्तर से ऊपर के एक अधिकारी की शह पर इस दागी कम्पनी को टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया गया है। 

इतना ही नहीं हालांकि इससे पहले केदारनाथ धाम के लिए नौ कंपनियों को हेली सेवा संचालन का काम दिया गया है। वहीं चर्चा इस बात की भी चल रही है बीते एक माह पूर्व नैनीताल हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग और यूकाडा को निर्देशित किया था कि केदारनाथ के लिए जो चार अवैध हेलिपैड बनाये गए हैं उसके बारे में यूकाडा तुरंत निर्णय ले लेकिन दोनों ही इस मामले में अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं।

वहीं यात्रा सीजन के पीक पर होने के चलते यात्रियों ने केदारनाथ के लिए फ्लाई करने वाली हेली कम्पनियों द्वारा जमकर लूट मचाये जाने की जानकारी दी है। प्रदेश के बाहर से आने वाले यात्रियों का कहना है कि उन्होंने हेलीकाप्टर से केदारनाथ के लिए बुकिंग करायी है लेकिन मौके पर हेली कम्पनियों के लोग हमको छोड़ अन्य यात्रियों को निर्धारित दरों से कई अधिक दरों पर हेली टिकटों की ब्लैक कर रहे हैं ।जबकि हमें इनसे पहले केदारनाथ भेजा जाना चाहिए था। इतना ही नहीं यात्रियों की जान जोखिम में डालते हुए हेली कम्पनियां हेलिपैड पर हेलीकाप्टर का बिना इंजिन बंद किये यात्रियों को हेली में चढ़ा व उतार रहे हैं जिससे किसी भी बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।

 

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