उत्तराखंड में वर्षों से अनुबंध कर्मियों, दिहाड़ीदारों और कंटीजेंट पेड वर्कर आखिर कब होंगे पक्की नौकरी के हकदार !
हिमाचल प्रदेश में अनुबंध कर्मी, दिहाड़ीदार और कंटीजेंट वर्कर के रूप में हजारों कर्मचारियों की नौकरी होगी पक्की !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून :- उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश सरकार ने 31 मार्च और 30 सितबंबर, 2020 को तीन तथा पांच साल की अवधि पूरी करने वाले अनुबंध कर्मी, दिहाड़ीदार और कंटीजेंट वर्कर को नियमित करने की अधिसूचना जारी किये जाने के बाद अब उत्तराखंड में इस तरह की नौकरी करने वाले लोगों ने भी आवाज़ उठानी शुरू कर दी है कि जब हिमाचल प्रदेश में जब वर्षों से अनुबंध कर्मियों, दिहाड़ीदारों और कंटीजेंट पेड वर्करों की नौकरी पक्की हो सकती है तो उत्तराखंड में क्यों नहीं ?
गौरतलब हो कि हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ है और वहां की सरकार ने अपने राज्य में हजारों अनुबंध कर्मियों, दिहाड़ीदारों और कंटीजेंट पेड वर्करों जो पिछले कई वर्षों से पक्की नौकरी के सपने देख रहे थी राज्य सरकार ने उनके सपनों को साकार करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिए हैं और राज्य सरकार ने 31 मार्च 2021 को जारी अधिसूचना में ऐसे कर्मचारियों को राहत देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अनुबंध पर तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारियों को नियमित करना आरंभ कर दिया है।
वहीं इसी तरह पांच साल का सेवाकाल पूरा कर चुके दिहाड़ीके कर्मचारियों और कंटीजेंट पेड वर्करों के नियमितिकरण का कार्य भी हिमाचल में शुरू हो गया है। हालांकि अधिसूचना के अनुसार ये सभी अनुबंध कर्मी, दिहाड़ीदार और कंटीजेंट वर्कर संबंधित विभागों में खाली पदों के सापेक्ष ही नियमित होंगे। राज्य सरकार ने नियमित करने के लिए तीन दिन पूर्व ही इस आशय की अधिसूचना जारी की थी।
इस अधिसूचना के अनुसार 31 मार्च और 30 सितबंबर, 2020 को तीन तथा पांच साल की अवधि पूरी करने वाले अनुबंध कर्मी, दिहाड़ीदार और कंटीजेंट वर्कर नियमित होने हैं। गौरतलब है कि हिमाचल में साल में दो बार अनुबंध और अन्य कर्मियों को निर्धारित कार्यकाल पूरा करने पर नियमित करने का प्रावधान भी है। जबकि उत्तराखंड में वर्ष में एक बार इस तरह की नौकरियों के अनुबंध किया जाता रहा है।
पड़ोसी राज्य हिमाचल में इस तरह की अधिसूचना के बाद वर्षों से उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में अनुबंध कर्मी, दिहाड़ीदार और कंटीजेंट वर्करों में उम्मीद जगी है कि उत्तराखंड सरकार भी हिमाचल सरकार से प्रेरणा लेकर उत्तराखंड में बीते बीस सालों से अनुबंध कर्मी, दिहाड़ीदार और कंटीजेंट वर्कर के रूप में पक्की नौकरी की आस अब तो पूरी हो सकती है जब भाजपा शासित उत्तराखंड में भी सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए।
गौतलब हो कि उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से ही लाखों बेरोजगारों को राज्य सरकार द्वारा अनुबंध कर्मी, दिहाड़ीदार और कंटीजेंट वर्करों के रूप में सैनिक कल्याण निगम, प्रांतीय रक्षक दल सहित नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर सहित तमाम अन्य कॉन्ट्रैक्टरों के माध्यम से नौकरी पर लगाया गया लेकिन राज्य के बीस साल पूरे होने के बाद आज तक इस तरह के कर्मचारी नियमित नहीं किये जा सके हैं जबकि विभागों में लाखों पद खाली हैं जिनके सापेक्ष ये आज भी अनुबंध कर्मी, दिहाड़ीदार और कंटीजेंट वर्करों के रूप में कार्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं ऐसे लाखों कर्मचारी नियमतीकरण की मांग को लेकर समय-समय पर सरकार के खिलाफ आंदोलन भी कर रहे हैं लेकिन सरकार ऐसे लोगों के बारे में कतई भी सोचने को गंभीर नज़र नहीं आ रही है जबकि नियमितीकरण की आस में ऐसे हज़ारों लोग नौकरी पाने की आयु भी पार कर चुके हैं और अब आगे कहीं और नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर सकते हैं ऐसे में यदि में अब नौकरी छोड़ते भी हैं तो उनके सामने कुंआ और पीछे खाई नज़र आ रही है।