Uttarakhand

बदला मौसम का मिज़ाज़, बर्फ के आग़ोश में चारों धाम

बदरीनाथ और केदारनाथ में जारी बर्फबारी

सर्द हवाओं से मैदानी इलाकों में बढ़ी ठिठुरन 

देहरादून : पिछले तीन माह से बारिश न होने के कारण किसानों के चेहरे मुर्झाने लगे थे। ऐसे ही हालात ऊंचाई वालों के भी बने हुए थे। बर्फवारी न होने के कारण पर्वत श्रृंखलाएं खाली पड़ी थी, जिससे पर्यटक स्थलों में भी सैलानी नहीं पहुंच रहे थे। सभी को बारिश और बर्फवारी का इंतजार था। बारिश न होने से बीमारियां फैलनी की भी आशंका बनने लगी थी।

रविवार सुबह जब कोहरा छाने लगा तो लोगों की उम्मीदों को पंख लग गये और देखते ही देखते हल्की बूंदाबांदी शुरू हुई और ओले भी गिरने लगे। लगातार आठ से दस घंटो तक रूक-रूक कर बारिश होती रही। शीतलहर चलने से लोग अपने घरों में ही दुबके हुए रहे। बारिश से जहां किसानों ने राहत की संास ली, वहीं पर्यटक स्थलों में बर्फवारी होने से पर्यटकों के चेहरे खिले हुए हैं। मिनी स्विटजरलैंड के नाम से विख्यात चोपता की ओर पर्यटकों ने रूख कर लिया है और बारिश और बर्फवारी का आनंद उठा रहे हैं।

बारिश न होने से गाढ़-गदेरे के साथ ही प्राकृतिक जलस्त्रोत भी सूखने लगे थे, मगर अब मौसम के करवट बदलने से गाढ़-गदेरों सहित जलस्त्रोत भी रिचार्ज हो गये हैं। बारिश की फूहार से किसानों के मुर्झाये चेहरों पर खुशी झलकने लगी है। मौसम विभाग का दावा है कि अलगे दो दिनों तक पहाडों के कईं स्थानों पर बारिश और बर्फबारी होती रहेगी। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेन्द्र बिष्ट, पूर्व जिलाध्यक्ष विजय कप्रवाण, काश्तकार राकेश मोहन बिष्ट, सुनील नौटियाल ने कहा कि दिसम्बर माह की पहली बारिश ने लोगों को राहत देने का काम किया है।

बारिश होने से काश्तकारों की फसलों को फायदा पहुंचेगा और बीमारी से भी लोगों को निजात मिलेगी। इसके साथ ही पर्यटक स्थलों में बर्फवारी से सैलानियों का आवागमन बढ़ने लगेगा, जिससे व्यवसायियों को इसका फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कईं मायनों बारिश और बर्फवारी फायदेमंद साबित होगी। वहीं केदारधाम में शनिवार देर रात से बारिश और बर्फवारी हो रही है, जिससे केदारनाथ का तापमान माइनस 6 डिग्री पहुंच गया है। इसके साथ ही बर्फवारी से केदारनाथ के चारों ओर पहाड़ियां बर्फ से लकदक हो गयी है, जिसने केदारपुरी की सुंदरता पर चार चांद लगा दिये हैं।

 केदारनाथ में तापमान गिरने से पुनर्निर्माण कार्यों में दिक्कतें होने लगी हैं। बर्फवारी के कारण सीमेन्ट वर्क ठप पड़ गये हैं और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के मजबूर ठंड का आनंद उठा रहे हैं। क्रिसमस पर इंद्रदेव ने उत्तराखंड के ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों में बर्फवारी शुरू कर दी, परिणामस्वरुप सूबे के तमाम ऊंचाई वाले चरों धामों के साथ -साथ अन्य पर्वतीय श्रृंखलाएं भी बर्फ से लकधक हो गयी । मौसम विभाग का अनुमान सही साबित हुआ। बदरीनाथ और केदारनाथ में रविवार सुबह से ही बर्फबारी शुरू हो गयी है । केदारनाथ में तापमान शून्य से नौ डिग्री नीचे चला गया। वहीं, हेमकुंड साहिब हनुमानचट्टी में भी बर्फ गिरी। सूबे के अन्य जिलों में बादल छाए हुए हैं। अगले 24 घंटों में कुछ स्थानों पर बहुत हल्की से हल्की वर्षा की संभावना है। अक्टूबर के बाद बने इस सिस्टम के कुमाऊं क्षेत्र में अधिक सक्रिय होने के आसार हैं।

अक्टूबर माह से उत्तराखंड में बर्फवारी का इंतज़ार किया जा रहा था लेकिन अब जाकर क्रिसमस पर इंद्रदेव ने राज्य पर नज़रें इनायत की है । बारिश-बर्फबारी के अभाव में सूखी ठंड तो पड़ ही रही थी खेती-बागवानी पर संकट गहरा गया है। सेव केकाश्तकारों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अक्टूबर से अब तक बारिश औसत से करीब 90 फीसद कम रही है। लंबे इंतजार के बाद आसमान में उमड़ रहे मेघों से अब बारिश की उम्मीद जगी।

मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून के निदेशक विक्रम सिह के अनुसार सूबे से गुजर हरे पश्चिमी विक्षोभ के साथ ही पंजाब के आसपास बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते मौसम में बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि मैदानी इलाकों में बूंदाबांदी से लेकर 2 से चार मिमी और पर्वतीय इलाकों में 8-10 मिमी वर्षा के आसार हैं। कुमाऊं मंडल में इस सिस्टम का असर अधिक रह सकता है। इससे खेती और बागवानी को कुछ संबल मिल सकता है।

उत्तरकाशी के भटवाड़ी, भेला टिपरी क्षेत्र में बारिश हुई। हर्षिल, धराली, गंगोत्री, सुक्की टाप क्षेत्र में हल्की बर्फबारी हुई। बारिश व बर्फबारी होने से सूखे से प्रभावित काश्तकारों को कुछ राहत मिली, लेकिन जिला मुख्यालय क्षेत्र में बारिश की बूंदाबांदी भी नहीं हुई। मुख्यालय क्षेत्र में आसमान में हल्के बादल छाए रहे। नैनीताल , मसूरी सहित रानीखेत व रामगढ सहित तमाम पर्यटक स्थानों में अभी भी पर्यटक व स्थानीय व्यवसायी बर्फ की बाट जोह रहे हैं।

devbhoomimedia

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