विशेषज्ञों ने जल संरक्षण के लिए पानी के इस्तेमाल को औषधि की तरह करने की दी सलाह HIHT के ग्रामीण विकास संस्थान के वाटर एंड सैनिटेशन (वाटसन) की ओर से किया सेमिनार जल संरक्षण के लिए छात्र-छात्राओं सहित स्टाफकर्मियों ने ली ‘जल शपथ’
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : विश्व जल दिवस पर हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) के ग्रामीण विकास संस्थान (आरडीआई) की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार को संबोधित करते हुए अध्यक्षीय समिति के सदस्य व कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए जरूरी है जल संरक्षण। साथ ही उन्होंने लोगों से जल के इस्तेमाल को औषधि की तरह सीमित मात्रा में करने की अपील की।
सोमवार को एचआईएचटी में आरडीआई के वाटर एंड सैनिटेशन (वाटसन) विभाग की ओर से विश्व जल दिवस पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि एचआईएचटी बीते 23 वर्षों से उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के सुदूरवर्ती 534 गांवों में पेयजल पहुंचा चुका है। साथ ही 7000 हजार लीटर क्षमता के लिए 600 से ज्यादा जल संरक्षण टैंक का निर्माण एवं 71 ग्रामों में जल सवर्धन का कार्य करवाया। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने एचआईएचटी को राष्ट्रीय जल जीवन मिशन – हर घर जल योजना के सेक्टर पार्टनर के तौर पर नामित किया है।
सेमीनार में उत्तराखंड जल संस्थान के पूर्व महाप्रबंधक ई.हर्षपति उनियाल ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि हर साल 22 मार्च का दिन विश्व जल दिवस के तौर पर जाना जाता है। 1993 से चले आ रहे इस आयोजन की नींव इसलिए डाली गई ताकि दुनिया मीठे और पीने योग्य पानी का महत्व समझ सके। विश्व जल दिवस के लिए इस वर्ष की थीम ‘वैल्यूइंग वाटर’ है। संचालन शिवम ढौंडियाल ने किया।
एचआईएचटी में वाटसन की टीम
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ई.विष्णु सरन, सतीश रुपानी, ई.गिरीश उनियाल, ई.नीतेश कौशिक, राजकुमार वर्मा, नरेश थपलियाल, लखपत बिष्ट, भानू भट्ट, अनिल कगडियाल, ई.देवेंद्र शर्मा, जितेंद्र, ई.ऋषभ धस्माना, शिवम ढौंडियाल
जल संरक्षण की शपथ
इसी कड़ी में कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने सेमिनार में मौजूद सभी छात्र-छात्राओं सहित स्टाफ कर्मियों को जल संरक्षण की ‘जल शपथ’ दिलवाई। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए जरूरी है यह शपथ हर एक नागरिक का संकल्प बने।
एसआरएचयू में एक्वाथॉन क्विज प्रतियोगिता आयोजित
छात्र-छात्राओं को जल संरक्षण को लेकर जागरुक करने के उद्देश्य से एसआरएचयू में एक्वाथॉन-2021 क्विज प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इसमें विश्वविद्यालय के मेडिकल, नर्सिंग, पैरामैडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, योगा साइंसेज, बायो साइंसेज के करीब 450 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इसमें हिमालयन कॉलेज ऑफ नर्सिंग की पोस्ट बीएससी नर्सिंग की सावित्री गुरुंग ने प्रतियोगिता जीती। इसके अलावा टॉप-10 छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसमें परागज्योति, आकांक्षा, अदिति सिंह, अंजलि, रुचि रतूड़ी, तुषार गुप्ता, नीरज राणा, रविकांत, वंशिका शामिल रहे।
एक बोतल से बच सकता है 54,750,000 (54.75 करोड़) लीटर पानी
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि वाटसन की ओर से जल संरक्षण के लिए अभिनव पहल शुरू की गई है। इस पहल के जरिये देहरादून शहर में हम एक वर्ष में करीब 54,750,000 (54.75 करोड़) लीटर पानी बचा सकते हैं। हमने अपने कैंपस से इसकी शुरुआत कर दी हैं।
क्या है यह योजना
योजना के मुताबिक प्लास्टिक की एक लीटर वाली खाली बोतल को आधा रेत या मिट्टी से भरकर उसमें ढक्कन लगा दें। अब अपने टॉयलेट की सिस्टर्न (फ्लश टंकी) के भीतर उसमें बोतल रख दें। इससे आपके सिस्टर्न में बोतल के आयतन (एक लीटर) के बराबर पानी कम आएगा। यानी जब भी आप फ्लश चलाएंगे तो एक लीटर की बचत होगी। इससे सिस्टर्न की कार्यकुशलता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कितने पानी की होगी बचत ?
कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत अपने कैंपस से कर रहे हैं। एक परिवार में औसतन प्रतिदिन 15 बार फ्लश चलाई जाती है। तो इस प्रकार प्रतिदिन 15 लीटर पानी की बचत होगी। कैंपस में करीब 1500 शौचालय हैं। इस तरह हम सालाना करीब 50 लाख लीटर पानी बचा पाएंगे। वहीं, देहरादून में एक लाख से अधिक सिस्टर्न हैं। इस प्रकार प्रति दिन 15 लाख लीटर पानी की बचत हो सकती है। वर्ष में यह बचत बढ़कर 54,750,000 (54.75 करोड़) लीटर पानी की होगी। इससे आपकी दिनचर्या पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट बनाए गए
कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि बरसाती पानी के सरंक्षण के लिए कैंपस में वर्तमान में 12 रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट बनाए गए हैं। इन सभी से सलाना करीब 40 करोड़ लीटर बरसाती पानी को रिचार्ज किया जा सकता है। डॉ. धस्माना ने बताया कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट के बहुत फायदे हैं। ऐसा करने से बरसाती पानी आसानी से जमीन में चले जाता है, जिस कारण जमीन में पानी का स्तर बना रहेगा।
रोजाना 7 लाख लीटर पानी रीसाइकल
कैंपस में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के माध्यम से 7 लाख लीटर पानी को रोजाना शोधित किया जाता है। शोधित पानी को पुनः सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता है।