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जल संरक्षण के लिए उत्तराखंड बधाई का पात्रः शेखावत

शेखावत ने जलवायु परिवर्तन एवं तापमान वृद्धि पर की चिन्ता व्यक्त 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उत्तराखंड में जल संरक्षण, संवर्धन एवं नदियों के पुर्नोद्धार कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा उत्तराखंड वास्तव में बधाई का पात्र है। इस कार्य के लिए राज्य को पुरस्कृत भी किया गया है।  राष्ट्रीय जल जीवन मिशन योजना के अन्तर्गत आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में गुरुवार को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में शेखावत ने जलवायु परिवर्तन एवं तापमान वृद्धि पर चिन्ता व्यक्त की।

सहभागी स्प्रिंग शेड प्रबन्धन के माध्यम से पहाड़ों में पीने योग्य पानी की व्यवस्था विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कस्टोडियन बनकर करना होगा। पानी की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन जल संसाधनों में कमी आ रही है। इसलिए सभी का उद्देश्य होना चाहिए कि प्राकृतिक जल स्रोतों के उपयोग के साथ ही उनके रीचार्ज की रणनीति बनाकर कार्य किया जाए।

इससे पूर्व केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दीप जलाकर कार्यशाला का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि नया भारत बिना जल प्रबंधन के नहीं हो सकता है। वर्षा से पानी पूर्व की तरह ही प्राप्त हो रहा है, लेकिन प्रबंधन में कमी आई है। नदियां, तालाब, झरने सूखने लगे हैं और ग्राउंड वाटर लेवल भी गिर रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य जल जीवन मिशन योजना के अन्तर्गत पर्वतीय क्षेत्रों में स्प्रिंग शेड मैनेजमेंट के प्रोटोकाॅल को साझा करना, व्यवस्थित कार्य प्रणाली पर चर्चा एवं निष्कर्ष तथा अनुभवों के आधार पर स्प्रिंग शेड प्रबन्धन गतिविधियों के लिए जनता को जागरूक करना तथा हर घर में नल और हर नल में जल की संकल्पना को साकार करना है।

उन्होंने कहा कि सेनिटेशन मिशन पर खर्च धनराशि का चार गुना लाभ देशवासियों को मिल रहा है। इसके कारण महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध घटे हैं। पर्यावरणीय नुकसान में कमी आई है। एक छोटे से मिशन के बहुत दूरगामी परिणाम होते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अधिकारी दृष्टिकोण बदलें और यह सुनिश्चित करें कि पानी के दोहन के साथ वाटर लेवल भी बना रहे। वाटर लेवल को बनाए रखने के लिए जिला एवं ग्राम स्तर पर जल प्रबंधन की योजनाएं बनाई जाएं।

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने मिसाल देते हुए कहा कि नैनीताल झील को न जाने कितनी पीढ़ियों ने संरक्षित किया होगा, लेकिन पिछले 50 वर्षों में हमने इसको प्रदूषित किया है। कुमाऊं के आयुक्त राजीव रौतेला के कोसी नदी के संरक्षण के प्रयास की सराहना की।

इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जल जीवन मिशन के लक्ष्य और उद्देश्य तथा जन-जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव बढ़े हैं, लेकिन साढ़े चार साल में यह लक्ष्य पूरा करने के प्रति हम पूरी तरह आशान्वित हैं। सरकार ने राज्य के 20 लाख शौचालयों के सिस्टन में बिना बजट के एक लीटर की बोतलें डालकर प्रतिदिन एक करोड़ लीटर पानी बचाने का अभियान चलाया था। हरेला पर्व पर अल्मोड़ा में कोसी नदी के तट पर 1.67 लाख, देहरादून में रिस्पना नदी क्षेत्र में 2.5 लाख व हरेला पर 2.24 लाख पौधे लगाए गए। मुख्यमंत्री रावत ने घोषणा की कि इस वर्ष हरेला पर 16 जुलाई को अवकाश रहेगा और इस दिन राज्य के लोग पौधे लगाएं।

निदेशक एटीआई एवं मुख्यमंत्री के सचिव राजीव रौतेला ने जल शक्ति मंत्रालय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यशाला अपने लक्ष्य और उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होगी। कार्यशाला में क्षेत्रीय विधायक संजीव आर्य, केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव भरत लाल, डीडीडब्ल्यूएस निदेशक रूपा मिश्रा, उत्तराखंड पेयजल सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी, प्रोफेसर डाॅ.जेएस रावत, डिप्टी एडवाइजर जल शक्ति मंत्रालय रंजीता एमएच, डीडीडब्ल्यूएस एनजेजेएम डाॅ.डीएस धपोला, अपर जिलाधिकारी एसएस जंगपांगी, संयुक्त निदेशक दीपक पालीवाल, अवनीत पाण्डे,, मंजू पाण्डे, मीनू पाठक, पूनम पाठक, रेखा कोहली, प्रभारी केआरसी गीता कांडपाल सहित  22 प्रदेशों के जल प्रबंधन से जुड़े प्रदेशों के मुखिया, मुख्य अभियंता, हाइड्रोलाॅजिस्ट, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता स्तर के 110 अधिकारी प्रशिक्षु उपस्थित रहे।

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