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युद्ध इतनी आसानी से नही जीते जाते, कुछ बड़े मोर्चों को बचाने के लिए कुछ छोटे मोर्चे हारने भी पड़ते हैं।

श्रीकृष्ण को पता था कि महाभारत का युद्ध अगर जीतना है तो अर्जुन का जीवित रहना कितना आवश्यक है, अर्जुन को बचाने के लिए अभिमन्यु और घटोत्कच के प्राण दांव पर लगाने पड़े। युद्ध इतनी आसानी से नही जीते जाते, कुछ बड़े मोर्चों को बचाने के लिए कुछ छोटे मोर्चे हारने भी पड़ते हैं।

देवभूमि मीडिया ब्यूरो। आज विपक्ष को अच्छी तरह पता है कि चुनाव के माध्यम से मोदी को हराना असंभव है, इसके लिए विपक्ष देश को गृह युद्ध में झोंक देने को आमादा है। किसान आंदोलन तो बहाना है, इसके माध्यम से खालिस्तानियों और जेहादियों की मदद से पूरे देश मे धार्मिक उन्माद फैलाकर, बड़े स्तर पर हिंसा फैलाकर देश को आर्थिक और सामाजिक स्तर पर अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है।

आज सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है 2022 और 2024 के चुनाव बिना किसी हिंसा के सफलता पूर्वक आयोजित कराना जो कि विपक्ष किसी भी हाल में नही होने देना चाहता। वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियों को देखते हुए ये कहना अतिश्योक्ति नही होगी कि आने वाले 1-2 वर्षों में पूरे देश के अंदर ही अशांति और हिंसा से युक्त परिस्थितियां निर्मित हो जाएं।

इस बात की संभावना और बढ़ जाती है यदि UP में योगी आदित्यनाथ दोबारा अपनी प्रचंड जीत दोहराने में सफल हो जाते हैं। वही दूसरे मोर्चे पर चीन हमसे भिड़ने के लिए तैयार खड़ा है जो परम्परागत युद्ध छोड़ कर भितरघात वाले दांव चलकर जीतने में ज्यादा यकीन रखता है, और अभी हाल ही में एक NGO द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा कर सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण LAC तक जाने वाली सड़क के चौड़ीकरण पर रोक लगवाकर चीन अपनी भितरघात वाली तकनीकी का सफल परीक्षण कर चुका है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों को वापस ले कर विपक्ष का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हथियार छीन लिया है। हमे यकीन है कि प्रधानमंत्री ने यह फैसला इंटेलिजेंस एजेंसियों से मिलने वाले इनपुट्स और सुरक्षा सलाहकारों से विमर्श के बाद ही लिया होगा।

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