EXCLUSIVE

भूवैज्ञानिकों की चेतावनी कि महाप्रलय के मुहाने पर है केदारनाथ !

  • केदारनाथ में जियोलॉजिस्ट की सुझावों पर हो रहा है काम : मंगेश घिल्डियाल 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

श्रीनगर (गढ़वाल) : केदारनाथ क्षेत्र में किए जा रहे अंधाधुंध निर्माण कार्य पर एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विवि के भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने गाद के ऊपर और एवलांच शूट के मुहाने पर किए जा रहे निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चेताया कि केदारनाथ में निर्माण कार्य करवाकर महा विनाश को दोबारा न्यौता दिया जा रहा है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार धाम में अभी जिस तरह से काम चल रहा है अगर वह ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही एक बार फिर से साल 2013 जैसी महाप्रलय आ सकती है। भू-वैज्ञानिकों की इस चेतावनी डीएम रुद्रप्रयाग, मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि केदारनाथ में जियोलॉजिस्ट की सुझावों पर काम हो रहा है। अलबत्ता, अभी स्टडी रिपोर्ट्स का अध्ययन कर रहा हूं ताकि केदारनाथ में सुरक्षित निर्माण कार्य कराया जा सके।

प्रो. बिष्ट ने कहा कि केदारनाथ में वर्ष 2013 के महाविनाश से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया। केदारपुरी हो या गौरीकुंड-पैदल मार्ग सभी जगह अवैज्ञानिक ढंग से ग्लेशियर द्वारा लाए गए हिमोढ़ या गाद (मोरेन) के ऊपर और एवलांच शूट (ग्लेशियरों के तीव्रता से बहने वाला मार्ग) के मुहाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। यह विस्फोटक स्थिति है और आपदा को दोबारा आमंत्रित करने जैसा है।

गौरतलब हो कि प्रो. बिष्ट ने दो दिन पूर्व केदारनाथ का भ्रमण किया। वहां से लौटने के बाद तत्थ्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि केदारपुरी दोनों तरफ पहाड़ियों से ग्लेशियर द्वारा लाए गए मोरेन पर बसी है। केदारनाथ से रामबाड़ा तक की प्रकृति समान है। मोरेन मिट्टी और कंकड़ का मिश्रण होता है। इनके बीच तगड़ा जुड़ाव नहीं होता है। जब इसमें पानी का रिसाव होता है तो यह लूज मैटरियल की तरह है जो कभी भी बह जाता है। इसका नतीजा भूस्खलन के रूप में सामने आता है।

प्रो. बिष्ट ने बताया कि केदारनाथ में इसी मोरेन के ऊपर और एवलांच के मुहाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। यानी कि धाम को दोहरा खतरा है। पहले केदारनाथ क्षेत्र में सीधे हिमपात ही होता था। ग्लेशियर धीरे-धीरे गलते थे और इसका पानी नुकसान नहीं पहुंचाता था, लेकिन वातावरण में बढ़ते तापमान से अतिवृष्टि होने लगी है। इससे एवलांच शूट खतरनाक हो गए हैं। बारिश का पानी एवलांच शूट के जरिए तीव्रता से हिमोढ़ में आएगा और सब कुछ बहा ले जाएगा।

प्रो. बिष्ट ने सरकार को केदारपुरी में एवलांच शूट के मुहाने पर निर्माण कार्य रोकने का सुझाव दिया है। वहीं, हिमोढ़ मे अस्थायी निर्माण कार्य करने की सलाह दी है। जून 2013 में मचे जल प्रलय के बाद विभिन्न संस्थानों ने केदारनाथ क्षेत्र में अध्ययन किया। सभी ने अपने शोध रिपोर्ट में यह उल्लेख किया कि बारिश ने नुकसान की तीव्रता बढ़ाई है। इससे केदारनाथ सहित निचले क्षेत्र में व्यापक जान-माल की क्षति हुई। रामबाड़ा भी मोरेन पर बसा था, जिसका आपदा के बाद नामोनिशान मिट गया।

उन्होंने बताया कि केदार का अर्थ दलदली भूमि से होता है। केदारनाथ में जगह-जगह जमीन से पानी निकलता है। प्रो. बिष्ट बताते हैं कि ऐसी जगहों पर काम किया जा रहा है, जहां पानी रिसता है। निर्माण कार्य से रिसाव अस्थायी रूप से बंद हो रहे हैं, लेकिन भविष्य में यह पानी के टैंक के रूप में फटेंगे। केदारनाथ की सुरक्षा दीवार भी मोरेन के ऊपर टिकी है, जो सुरक्षित नहीं है।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »