विश्व के अनेक देशों में कोविड-19 के नए मामलों में वृद्धि होना तथा विदेशों में कोविड बचाव में लॉकडाउन की पुनः वापसी कुछ चिंतित करने वाली है। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान कोविड बचाव में असावधानियों से नये मामलों में वृद्धि हुई हैं।
गौरतलब है कि चीन हो या भारत, दोनों देश अपने-अपने यहां 100 करोड़ से अधिक खुराक दे चुके हैं और दोनों जगह पिछले कई हफ्तों से नए मामलों में उतार का क्रम देखा जा रहा था। ऐसे में,कुछ इलाकों में यदि नई बढ़ोतरी दिख रही है,तो स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ केंद्रीय नियंत्रण बोर्ड को भी अतिरिक्त चौकसी बरतनी पड़ेगी।
एक लंबे त्रासद अनुभव के बाद दुनिया भर में जिंदगी आहिस्ता-आहिस्ता अपनी लय में लौट रही है। देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम आदमी की माली हालत भी अब और अधिक पाबंदी झेल सकने की स्थिति में नहीं है,यह देखते हुए ही भारत सरकार ने भी देश में लगभग सभी गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत दी। हालांकि,स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सरकार, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार आगाह करते रहे हैं कि अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है,इसलिए किसी तरह की सार्वजनिक लापरवाही या प्रशासनिक उदासीनता घातक हो सकती है।
इसमें कोई दोराय नहीं कि भारत में 100 करोड़ टीके की उपलब्धि और दैनिक मामलों के लगातार 20 हजार के नीचे बने रहने से देश के लोगों में सुरक्षा बोध गहरा हुआ है। लेकिन जिस तरह से चीन के लानझोऊ में डेल्टा वेरिएंट ने विषम परिस्थिति पैदा की है,वह आंखें खोलने के लिए काफी है। फिर इस वायरस की प्रकृति को लेकर भी वैज्ञानिक अभी तक अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं।
भारत के लिए अभी अतिरिक्त सावधानी इसलिए भी जरूरी है कि यह त्योहारी मौसम है। दीपावली,छठ,क्रिसमस जैसे बड़े पर्व-त्योहार आने वाले हैं और इस दौरान बड़े पैमाने पर भीड़भाड़ की आशंका बनी रहती है। हम पिछले कई अवसरों पर देख चुके हैं कि सार्वजनिक आयोजनों के बाद अचानक मामले बढ़ गए और मजबूरी में कई आयोजन रद्द करने पड़े। इसलिए यह समय जोश और होश के सही संतुलन का है।
उत्साह में कोई कमी लाए बगैर थोड़ी सी सजगता से त्योहारों का लुत्फ उठाया जा सकता है। लेकिन दशहरा,करवाचौथ जैसे त्योहारों पर बाजारों में जो भीड़ दिखी,उसमें कई सारे लोगों को बिना मास्क के देखा जा सकता है। ऐसे लोगों को एक तथ्य याद दिलाने की जरूरत है कि वैक्सीन बनाने वाली किसी भी कंपनी ने शत-प्रतिशत सुरक्षा का दावा नहीं किया है।
निस्संदेह, पूर्ण टीकाकरण वायरस के बहुत घातक असर से हमें एक सुरक्षा कवच देता है। लेकिन किसी भी आशंका को निर्मूल करने का एकमात्र रास्ता अभी कुछ माह तक सावधानियां बरतना ही है। पिछले दिनों ऐसे भी ब्योरे मिले हैं कि करोड़ों की तादाद में लोग अपनी दूसरी खुराक लेने नहीं पहुंचे।
यह खतरनाक प्रवृत्ति है,जो इस महा-अभियान के लक्ष्य को गंभीर चोट पहुंचा सकती है। इसलिए,राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन को मुस्तैदी के साथ पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना होगा। उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखंड जैसे राज्यों में अधिक सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि इन राज्यों में संख्या के साथ दूसरे प्रदेशों से लोग दीपावली-छठ मनाने पहुंचते हैं।