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उत्तराखंड को पांच वर्षों में होगी करीब चार लाख श्रमिकों की जरूरतः एसोचैम

देहरादून । एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोदिया ने कहा हे कि उत्तराखंड का औद्योगिक क्षेत्रा कुशल श्रमिकों की घोर कमी से जूझ रहा है और उत्तराखंड को अगले पांच वर्षों में करीबन चार लाख श्रमिकों की जरूरत होगी। इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को कार्ययोजना पत्र सौंपा गया है।

सुभाष रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का औद्योगिक क्षेत्र कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है। उत्तराखंड को अगले पांच वर्षों में करीबन चार लाख श्रमिकों की जरूरत होगी और इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को कार्ययोजना पत्र सौंपकर सुझाव दिया गया है। प्रदेश में व्यापक सुविधाओं से युक्त प्रशिक्षण केन्द्र जल्द से जल्द खोले जाएं। आगामी पांच वर्षों में इस राज्य में औद्योगिकीकरण में तेजी लाने के लिए जरूरी चार लाख कुशल श्रमिकों की मांग पूरी हो सकें। एसोचैम व टारी ने प्रदेश की नई त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार के लिए एक सस्टेनेबल एक्शन प्लान तैयार किया है। वर्ष 2012 से 2022 के दौरान उत्तराखंड में रोजगार के करीब बीस लाख छह हजार अवसर उत्पन्न होंगें, यही श्रम शक्ति में 25 लाख तीस हजार लोग और जुडेंगें। उनका कहना है कि कार्ययोजना पत्र में कहा गया है कि कुशल श्रम शक्ति तेयार करने के लिए कृषि प्रबंधन तथा वर्षा जल संचयन जैसे प्राथमिक क्षेत्रों में युवाओं को विस्तृत प्रशिक्षण दिये जाने की जरूरत है।

विभिन्न स्थानों पर क्षमता विकास केन्द्र स्थापित किये जाने पर कार्ययोजना पत्र में जोर दिया गया है। ऋषिकेश में खाद्य प्रसंस्करण, अल्मोडा में हथकरघा एवं उत्तरकाशी में पर्यटन के क्षेत्र में क्षमता विकास के केन्द्र बनाये जाएं। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के अध्ययन व सुझावों के अनुरूप विभिन्न जिलों में तमामल स्तरों पर कुशल कामगारों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम तैयार किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि राजय सरकार कोे विस्थापन, रोजगार, कृषि उत्पाद, प्रसंस्करण उद्योगों, नगरीय आवास तथा दूरसंचार इत्यादि के वर्तमान स्तरों के बारे में एक डेटाबेस बनाने की जरूरत है तथा एक ही स्वास्थ्य, शिक्षा, क्षमता निर्माण तथा जल प्रबंध्न के क्षेत्रों में भी नई नीतियां बनाये जाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा है कि आर्थिक अनुसंधान और नीतिगत कार्य योजनाओं पर नये सिरे से काम करने के लिए राज्य सरकार और राज्य विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, निजी तथा सार्वजनिक थिंक टेंक के बीच समन्वय और सहयोग भी आवश्यक है।

उनका कहना है कि उत्तराखंड में विकास की ऊंची दरों ने निजी क्षेत्र को सहभागिता करने के साथ-साथ अधिक निवेश के लिए भी प्रोत्सहित किया है। वर्ष 2015-16 में उत्तराखंड को 1.45 लाख करोड रूपये का नया निवेश प्राप्त हुआ जो पूर्ववर्ती के मुकाबले 23.7 प्रतिशत ज्यादा था, इसमें से ज्यादातर निवेश मूलभूत ढांचा निर्माण, विनिर्माण तथा रियल एस्टेट क्षेत्रा में आया है और मूलभूत ढांचें में निवेश की हिस्सेदारी वर्ष 2004-05 के 11.8 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2015-16 में बढकर 27.5 प्रतिशत हो गई है, वहीं विनिर्माण तथा रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश की भागीदारी जहां वर्ष 2004-05 में नगण्य थी वहीं 2015-16 में यह बढकर 3.9 प्रतिशत हो गई है। उनका कहना है कि क्षेत्रीय असमानताओं तथा वित्तीय समावेशन के निम्न सूचकांक को सुधारने के लिए वित्तीय समावेशन को और मजबूत करने की जरूरत है और इसके लिए सरकार को व्यापक स्तर पर कार्ययोजना तैयार करने की आवश्यकता है। पत्रकार वार्ता में टारी की अध्यक्ष क्षमा वी कौशिक, संदीप जजोदिया, डी एस रावत आदि मौजूद रहे।

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