UTTARAKHAND

जब विधायक देहरादून आए ही नहीं तो जिला प्रशासन ने किस आधार पर दे दी सैर सपाटे की परमिशन ? गिरफ्तारी का वीडियो देखें

देहरादून जिला प्रशासन ने यह कैसे मान लिया कि जिन लोगों को उत्तराखंड की सैर करने की परमिशन दी जा रही है, वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं

देहरादून प्रशासन बताए कि ये लोग देहरादून में कहां रुके थे, यदि यह स्पष्ट नहीं होता तो परमिशन क्यों जारी की गई

यूपी के विधायक के दस साथियों के साथ देहरादून में होने का सत्यापन कराया गया था या नहीं  

पकड़े जाने पर सभी 11 लोगों को क्वारान्टाइन किए बिना ही उनके प्रदेश क्यों जाने दिया गया

जब पांच लोगों के ही आवागमन की परमिशन है तो नौ लोगों को सशर्त परमिशन क्यों दी गई

बिजनौर से पौड़ी में प्रवेश करने पर कोटद्वार में इनकी जांच क्यों नहीं हुई

पौड़ी जिला प्रशासन ने इनको क्वारान्टाइन क्यों नहीं किया

क्या पौड़ी और रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन भी अपर मुख्य सचिव के दबाव में इनको उत्तराखंड की सैर का मौका दे रहे थे 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून।  कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड में कुछ नौकरशाहों ने सरकार की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पहले यूपी के एक विधायक को उत्तराखंड की सैर कराने की परमिशन दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम का सहारा लिया और फिर पकड़े जाने पर सभी 11 लोगों को क्वारान्टाइन किए बिना ही उनके प्रदेश जाने दिया। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि यूपी के विधायक और उनके साथी, जब देहरादून आए ही नहीं, तो देहरादून के जिला प्रशासन ने उनको उत्तराखंड की सैर करने की परमिशन किस आधार पर दे दी। 
क्या उत्तराखंड में अफसरों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की गाइड लाइन कोई मायने नहीं रखती। क्या ये प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के आदेश निर्देशों को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं। 
यूपी के एक विधायक और उनके दस साथियों को उत्तराखंड की सैर कराने की ऐसी क्या जल्दी थी कि उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने ने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करा दिया। कोरोना संक्रमण की आपात स्थिति में उत्तर प्रदेश के कई जिलों को पार करके उत्तराखंड आए विधायक और उनके साथियों के लिए सभी नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाकर उत्तराखंड के निवासियों के लिए खतरा क्यों पैदा क्या गया। 
देहरादून जिला प्रशासन ने अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की चिट्ठी पर यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके दस साथियों को परमिशन देने में लॉकडाउन की गाइडलाइन का उल्लंघन कर दिया। विधायक अपने साथियों के साथ बिजनौर से सीधे पौड़ी जिला में कोटद्वार होते हुए उत्तराखंड पहुंचे थे। विधायक के देहरादून जिला आने की कोई जानकारी नहीं है, तो ऐसी स्थिति में देहरादून जिला प्रशासन ने उनको परमिशन किस आधार पर दे दी। नियमानुसार इनको परमिशन तो पौड़ी जिला प्रशासन से लेनी थी। 
जिला प्रशासन ने अपनी अनुमति में विधायक की उत्तराखंड की सैर की शुरुआत दो मई को देहरादून से श्रीनगर होना लिखा है। सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन ने इन लोगों के देहरादून में होने का सत्यापन कराया था। क्या प्रशासन ने यह जांच की थी कि जिन लोगों को देहरादून से उत्तराखंड में घूमने की परमिशन दी जा रही है, वो वास्तव में देहरादून में हैं भी या नहीं। 
मान लेते हैं कि ये लोग देहरादून में ही थे, तो क्या यूपी के विधायक और उनके दस साथियों की मौजूदगी जिला प्रशासन के लिए जांच का विषय नहीं थी। क्या इनके मेडिकल नहीं होने चाहिए थे। क्या दूसरे प्रदेश से आए लोगों को जांच के बाद अनिवार्य रूप से क्वारान्टाइन नहीं किया जाना चाहिए। जिला प्रशासन ने यह कैसे मान लिया कि जिन लोगों को उत्तराखंड की सैर करने की परमिशन दी जा रही है, वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। देहरादून प्रशासन से सीधा सीधा एक सवाल तो यह बनता ही है कि वो स्पष्ट कर दे कि ये लोग देहरादून में कहां रुके थे। यदि यह स्पष्ट नहीं होता तो परमिशन क्यों जारी की गई। 
यूपी के विधायक ने दस साथियों के साथ उत्तराखंड में पौड़ी जिला से प्रवेश किया। कोटद्वार में इनकी जांच क्यों नहीं हुई। पौड़ी जिला प्रशासन ने इनको क्वारान्टाइन क्यों नहीं किया, जबकि आम व्यक्ति के लिए तो यह व्यवस्था है। क्या खुद को वीआईपी बताने वाले इन लोगों को क्वारान्टाइन से छूट का प्रावधान है या फिर पौड़ी जिला प्रशासन भी अपर मुख्य सचिव के दबाव में इनको उत्तराखंड की सैर का मौका दे रहा था। 
पौड़ी जिला होते हुए सीधे रुद्रप्रयाग जिला में प्रवेश कर गए। तीन-तीन गाड़ियां, दो गनर सहित 11 लोगों श्रीनगर, रुद्रप्रयाग में चेक क्यों नहीं किया गया। देहरादून जिला प्रशासन की परमिशन को ही मान ले तो वहां से विधायक और आठ लोगों को ही घूमने की व्यवस्था थी। परमिशन की शर्तों को ताक पर रखकर 11 लोग तीन गाड़ियों में सफर करते रहे और पुलिस प्रशासन उनको आगे बढ़ाते रहे। केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार, चार पहिया गाड़ी में ड्राइवर और दो अन्य लोग ही सफर कर सकते हैं। यहां तो तीन गाड़ियों में 11 लोग घूम रहे थे। 
एक और खास बात यह कि देहरादून जिला प्रशासन ने अनुमति पत्र में साफ साफ लिखा है कि चूंकि गृह मंत्रालय भारत सरकार के परिपत्र संख्या 40-3/2020 डीएम 1(A) दिनांक 30 अप्रैल, 2020 के अनुसार पांच से अधिक व्यक्तियों का आवागमन प्रतिबंधित है। अतः उपरोक्तानुसार उक्त सदस्यों को तिथिवार देहरादून से बदरीनाथ /केदारनाथ आने जाने की परमिशन शर्तों के साथ दी जाती है। देहरादून प्रशासन ने एक वाहन में तीन लोगों से ज्यादा सवारी नहीं बैठाने, निजी वाहन से यात्रा करने, वाहन में सैनिटाइजर व मास्क पर्याप्त मात्रा में रखने की शर्त के साथ अनुमति दे दी।  
क्या देहरादून जिला प्रशासन ने इस बात की पुष्टि की थी कि यूपी के कई जिलों को घूमते हुए उत्तराखंड पहुंचे जिन लोगों को सशर्त परमिशन दी है, उनसे उत्तराखंड में किसी संक्रमण का खतरा नहीं होगा। जिला प्रशासन को यह बताना होगा कि इस बात की पु्ष्टि के उनके पास क्या आधार हैं।
कर्णप्रयाग में चमोली जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए विधायक और उनके साथियों की सैर में खलल डाल दिया। इन लोगों को वापस भेज दिया गया। इनको गिरफ्तार करके मौके पर ही निजी मुचलकों पर छोड़ दिया गया। बताया जाता है कि ये वापस बिजनौर होते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गए। सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या उत्तराखंड में विधायक और उनके दस साथियों को क्वारान्टाइन नहीं किया जाना चाहिए था। नियमानुसार, मुकदमे तो उन नौकरशाहों के खिलाफ भी दर्ज होने चाहिए, जिन्होंने इनको कोरोना संक्रमण की आपात स्थिति में उत्तराखंड की सैर की परमिशन देने के लिए दबाव बनाया, जिन्होंने बिना सत्यापन के इनको परमिशन दी और जिन्होंने इनको धड़ल्ले से अपने जिलों में घूमने दिया। 

devbhoomimedia

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