VIEWS & REVIEWS

आधार के लिये नापनी पड़ी 5 किमी की उकाल ,उलार 

  • जन्मांध 70 वर्षीया रुक्मणी देवी की ब्यथा कथा 

क्रांति भट्ट 

जिस 70 वर्षाया जन्मांध रुक्मणी देवी जिसका कि कोई सहारा नहीं , जीवन आधार नहीं उससे भी ” आधार कार्ड मांगा गया इसके बिना उसकी डेढ महीने से बिकलांग पेन्शन रोक ली गयी थी । आधार कार्ड बनाने की अनिवार्यता के लिए रुक्मणी देवी को पांच किमी का रास्ता पैदल तय करना पडा । और फिर गाडी में किसी तरह पोखरी तहसील कार्यालय में पहुंची जहां उसका आधार कार्ड बना । ब्यवस्था की निर्मंमता और सडक का अभाव कहें या कि जिसका कोई आधार नहीं उससे भी आधार कार्ड मांगने की सिस्टम की सनक , एक संवेदनशील वाकये से समझा जा सकता है कि स्थिति कितनी अजीबो गरीब है ।

चमोली जिले के पोखरी विकास खंड के गांवों के कई लोंगे के आधार कार्ड नहीं बन पाये हैं । इनमें “” डांडा ” गांव की 70 वर्षीया रुक्मणी देवी भी हैं । जन्मांध हैं अपना कोई नहीं है । गुरुवार व शुक्रवार पोखरी प्रशासन ने जिनके आधार नहीं बने हैं उनके आधार कार्ड बनाने के लिए कैम्प आयोजित किया । ठेठ गांव डांडा की रुक्मणी देवी को गांव वालों से इसकी जानकारी मिली । उसने गांव वालों से बताया कि उसे बिकलांग पेन्शन नहीं मिल रही है । कारण आधार कार्ड न होना बताया जा रहा है । पर रुक्मणी देवी के आगे विवशता थी कि वह जन्मांध है । सडक मार्ग भी 5 किमी दूर है । फिर गाडी में बैठकर तहसील जाना है । रुक्मणी देवी की लाचारी , विवशता पर गांव की दो पढी लिखी नयी बहूओं कुसम और पार्वती को तरस आया । दोनों अपनी पीढ पर लाद कर रक्मणी देवी को पहले तो सडक मार्ग सलना तक लायीं और फिर अपने ही साथ गाडी में बिठार पोखरी तहसील कार्यालय में लायीं और फिर रूक्मणी देवी का आधार कार्ड बनवाया ह आधार कार्ड लिंक होने पर डांडा गांव के युवक वृद्धा को डंडी में बिठाकर शांय के धुंधलके में टार्च की रोशनी में गांव वापस ले गये ।

यह महज एक वाकया नहीं कई असंगत परिस्थितियों की बानगी भी बताता है । साथ ही असंवेदन और अब्यवहारिकता के अंधेरे में गांव की उन दो नयी बहुओं की सहृदयता और संवेदनशील के दर्शन कराता है जिन्होंने ने अपनी पीढ पर लाद रुक्मणी देवी को पीढ पर लाद कर और फिर तहसील कार्यालय पहुंचा कर न सिर्फ उनका आधार कार्य बनवाया बल्कि ब्यवस्था को आईना दिखाया कि सिस्टम चाहता तो वह गांव की उकाल उतार पार कर गावों में जाक मजबूर लोगों के आधार कार्ड बना सकता था ।

रुक्मणी देवी का आधार कार्ड तो लिंक हो गया पर सिस्टम में छिद्र हैं वो किस तरह आम आदमी जिसका आधार बनना है उसे गांवों मे परेशानी का सामना करना पड रहा है इस वाकये की जानकारी देते हुये पोखरी के सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण सती बताते हैं आज भी आधार कार्ड से हजारों लोग वंचित हैं । आधारकार्ड के लिए समय और बढना चाहिये । पर यदि इस वाकये आलोक में गांवों की स्थिति को देखें तो हैरत होती है । डांडा गांव समेत कई गांव न सिर्फ़ पोखरी में बल्कि अन्य स्थानो पर ऐसे हैं जहां सडक नहीं है आज भी गांव के लोग सडक के अभाव में जी रहे हैं इससे सबसे ज्यादा परेशानी बीमार , वृद्ध . विवश लोगों को होती है । काश हमारा सिस्टम और नेता गावों की ब्यथा कथा पढते बांचते । और आम आदमी तक पहुंचते या सडक ही उन तक पहुंचाते ।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »