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प्रदेश में पुलों से दिलों से जोड़ते हुए और जनता को और करीब लाने का त्रिवेंद्र रावत का हो रहा सपना धीरे-धीरे पूरा 

जनता की दूरियों को पाटते और उनके सफ़र को और आसान करते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत

विकास के बढ़ते क़दमों से छोटे कस्बों ,नगरों और जनता के बीच दूरी हुई कम

राजेंद्र जोशी 
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद से लेकर अब तक वैसे तो कई उपलब्धियां हैं, उन्हें इन्ही उपलब्धियों की बदौलत अब सूबे का विकास पुरूष तक कहा जाने लगा है। हम यहां बात करेंगे उत्तराखंड में जाम की समस्या के निपटारे के लिए फ्लाई ओवर सहित लगभग 274 से ज्यादा छोटे बड़े पुल के बनने, गंगा के एक छोर से दूसरे छोर के बीच झूला पुल, ग्रामीण क्षेत्र की जनता के बीच की दूरी को कम करने को लेकर। वहीं, इन सबके बीच विकास की इस धारा में उत्तराखंड का नाम देश में सबसे लंबे मोटर झूला पुल बनाने को लेकर भी जाता है, जिसे बनने में 18 साल का एक लम्बा वक़्त लगा है। इतना ही नहीं चिन्यालीसौड़ के पास एक अनोखा आर्क ब्रिज तो अपने आप में प्रदेश के अभियंताओं की अभियांत्रिकी का नमूना ही कहा जा सकता है जो लोगों के आवागमन के साथ ही फोटोग्राफी का एक भी पॉइंट भी बन गया है।  

हरिद्वार महाकुंभ में मिलेगा फायदा, शहरी यातायात हो रहा दुरस्त

राज्य के सबसे बड़े फ्लाई ओवर के रूप में हरिद्वार के चंडी घाट चौक फ्लाईओवर त्रिवेंद्र सरकार की विकास परक सोच को दर्शाता है। वैसे तो यहा योजना केंद्र सरकार की हैं, मगर राज्य में त्रिवेंद्र सरकार की ही बदौलत केंद्र की जनहितकारी योजनाएं यहां लागू की जा रही हैं। इसका सीधा फायदा जहाँ उत्तराखंड की जनता को मिल रहा है वहीं देश के अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों से लेकर श्रद्धालुओं तक को मिल रहा है।
चंडी घाट चौक फ्लाईओवर से हरिद्वार कुंभ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को भी खासी सहूलियत होगी। तो वहीं कुम्भ मेला पुलिस को भी कुंभ मेले के दौरान यातायात को सुचारू बनाए रखने में मदद मिलेगी। अब तक यहां हरिद्वार-मुरादाबाद हाईवे, हरिद्वार का शहरी यातायात और दिल्ली-दून हाईवे के यातायात के मर्ज होने और यहां बनने वाले बॉटलनेक के कारण लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिल जाएगी। यहीं नहीं चंडी घाट चौक फ्लाईओवर के चालू होने से देहरादून-दिल्ली वाया हरिद्वार का रास्ता अब पहले से सुगम और समय के बचत करने वाला हो गया है। यहां से बिजनौर, मुरादाबाद के अलावा कोटद्वार-लैंसडौन जाने वाले यात्रियों को भी खासी सुविधा होगी। इन्हें इन स्थानों से दूरी नापने में पहले के मुकाबले अब लगभग पौन घंटा कम लगेगा। इतना ही नहीं फ्लाईओवर के निर्माण से न केवल इस क्षेत्र में हमेशा बनी रहने वाली भीड़ खत्म हो गई है, बल्कि यातायात के दबाव के समय लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिल गई है। यह त्रिवेंद्र सरकार की ही कार्यशैली है कि समस्या को गंभीरता से लेते हुए मात्र 11 माह में 900 मीटर लंबे फ्लाईओवर को तैयार करवाया है। वहीं, भानियावाला से लच्छीवाला तक फ्लाई ओवर से भी ऋषिकेश मार्ग पर डोईवाला से लच्छीवाला तक लगने वाले जाम से निजात मिलने लगी है। वहीं दूरियों का फासला भी कम हो गया है। त्रिवेंद्र सरकार ने इन योजनाओं को धरातल पर उतारा।

डोबरा चांठी पुल की सौगात देकर त्रिवेंद्र सरकार ने रचा इतिहास

देश का सबसे बड़े मोटर झूला पुल डोबरा चांठी त्रिवेंद्र सरकार की स्वप्निल योजनाओं में से एक था। डोबरा चांठी पुल की सौगात देकर त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य की जनता का एक विकासपरक सोच वाली सरकार के रूप में विश्वास कायम रखा है। वहीं, देश में भी उत्तराखंड का नाम एक नए रूप में सामने आया है। सालों से लटकी इस पुल के लिए न सिर्फ त्रिवेंद्र सरकार ने एकमुश्त राशि जारी की, बल्कि अपने ही कार्यकाल में तैयार कर जनता को सुपुर्द भी कर दिया।
इस पुल के बन जाने के बाद प्रतापनगर और लंबगांव इलाके के लगभग डेढ़ लाख से भी ज्यादा जनता को इसका लाभ मिलने लगा है उनके लिए नई टिहरी से दूरी लगभग 83  किलोमीटर काम हुई है और जो समय और ईंधन की बचत हुई वह अलग। इतना ही नहीं यह पुल और इसके नीचे से गुजरता एशिया का सबसे बड़े बाँध की झील देश -विदेह के पर्यटकों को आपने तरफ आकर्षित भी करने लगी है।  

जानकी झूला पुल से पौड़ी और टिहरी जिले के दूरी की कम

जानकी झूला भी डोबरा चांठी की भांति ही कई समय से लटका पड़ा था। त्रिवेंद्र सरकार ने इस झूला पुल को अपने ही कार्यकाल में तैयार कर टिहरी और पौड़ी जिले की जनता के बीच दूरी कम की है। इससे राज्य में पर्यटन की संभावनाएं ओर भी बढ़ेंगी।
तीर्थनगरी में मुनी की रेती और स्वर्गाश्रम क्षेत्र को जोड़ने वाले बहुप्रतीक्षित जानकी सेतु वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने मुनी की रेती और स्वर्गाश्रम के बीच जानकी सेतु के निर्माण की घोषणा की थी वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस ब्रिज का उद्घाटन किया था, लेकिन तमाम अड़चनों के चलते इस पुल का समय पर निर्माण नहीं हो पाया। लगभग 49 करोड़ रुपए की लागत से बने 346 मीटर लम्बे इस थ्री-लेन (जानकी पुल) भी अद्वितीय अभियांत्रिकी का एक उदाहरण है। 

पारदर्शी बजरंग पुल से उत्तराखंड रचेगा पर्यटन का नया कीर्तिमान

चीन में कांच का पुल विश्व में प्रसिद्ध तो है ही ठीक उसी की तर्ज पर ही भारत में भी कांच का पारदर्शी पुल बनने जा रहा है और त्रिवेंद्र सरकार के लिए सौभाग्य की बात यह है कि यह पुल उत्तराखंड के टिहरी और पौड़ी जनपद के बीच लक्ष्मणझूला पुल के समीप यह पुल विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
विश्व पटल पर यह झूला पुल एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। त्रिवेंद्र सरकार अब इस पुल की डीपीआर, लागत को लेकर काम में जुट गई है। यह पुल लक्ष्मण झूला पुल के विकल्प के रूप में निर्माण किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार यह सेतु अपने आप में स्टेट ऑफ द आर्ट होगा, जो पर्यटक हुआ तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि बजरंग सेतु के दोनों ओर की लेन चीन के पुलों की तरह कांच से बनाई जाएगी। 

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