सहायक समाज कल्याण अधिकारी भगवानपुर और दो सेवानिवृत्त अधिकारी हुए गिरफ्तार
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी की ओर से तीन निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए गए हैं।
अब आगे की जांच संबंधित थाने और कोतवाली की स्थानीय पुलिस करेगी। विवेचनाधिकारी को साक्ष्य उपलब्ध करा दिए जाएंगे।
एसआईटी प्रभारी मंजू नाथ टीसी
देहरादून : उत्तराखंड में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने कनखल, ज्वालापुर कोतवाली और सिडकुल थाने में तीन निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। वहीं, इसी घोटाले को लेकर एसआईटी ने सोमवार को दो सेवानिवृत्त और एक मौजूदा सहायक समाज कल्याण अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया। इन सभी पर फर्जी तरीके से छात्रों के भौतिक सत्यापन का आरोप है। इन सभी आरोपियों को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
एक निजी शिक्षण संस्थान पर 5.53 करोड़, दूसरे पर 5.75 करोड़ और तीसरे पर 3.68 करोड़ की धनराशि हड़पने का है आरोप
एसआईटी में तैनात एसआई मदन मोहन भट्ट ने कनखल थाने में स्वामी दर्शनानंद इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी गुरुकुल महाविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ छात्रवृत्ति घोटाले का केस दर्ज कराया है।
आरोप है कि इंस्टीट्यूट में वर्ष 2011 से लेकर वर्ष 2017 तक कई विषयों में अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों के दाखिले दर्शाए गए हैं। इस अवधि में 5.53 करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई, लेकिन छात्रवृत्ति छात्रों के बैंक खातों की बजाय सीधे संस्थान के बैंक खाते में भेज दी गई। छात्रों के बैंक खातों में दो मोबाइल नंबर दर्ज हैं। ऐसे में साफ है कि एक व्यक्ति सभी खातों को ऑपरेट कर रहा था।
चर्चा : तीन कॉलेज प्रबंधन ने हाईकोर्ट से स्टे लिया !
एसआई शैलेंद्र ममगाईं ने रामानंद इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड मैनेजमेंट के प्रबंधन के खिलाफ कोतवाली ज्वालापुर में मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप है कि वर्ष 2012 से लेकर वर्ष 2017 तक 5.75 करोड़ की धनराशि छात्रवृत्ति के नाम पर दी गई। यहां भी छात्रवृत्ति छात्रों के खातों में ट्रांसफर न होकर सीधे प्रबंधन के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। आरोप है कि जिन छात्रों का दाखिला दिखाया गया, उन्होंने परीक्षाएं ही नहीं दी।
छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़ा तीसरा मुकदमा सिडकुल थाने में दर्ज कराया गया है। एसआईटी की ओर से मानव भारती विश्वविद्यालय सोलन (हिमाचल प्रदेश) के प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की गई है। आरोप है कि छात्रवृत्ति के नाम पर विवि में वर्ष 2011 से वर्ष 2017 तक कई शैक्षणिक सत्रों में फर्जी दाखिले दिखाकर 3.68 करोड़ की धनराशि हड़पी गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एसआईटी के ढुलमुल रवैये का कॉलेज प्रबंधन पूरा लाभ उठा रहे हैं। इस तरह की बात भी सामने आ रही है कि तीन कॉलेज प्रबंधन ने हाईकोर्ट से स्टे भी ले लिया है। यदि ऐसा हुआ है तो यह एसआईटी के लिए झटका ही है।
SIT ने पूछताछ के बाद सोमवार को तीन अधिकारी किए गिरफ्तार
छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तार अधिकारियों ने एसआइटी पूछताछ में उगले कई राज
उन्होंने कुबूल किया कि तत्कालीन मंत्री का फरमान जारी होने पर आला अधिकारी उनपर दबाव बनाकर फर्जी छात्रों को प्रमाणित कराते थे।
एसआइटी ने भगवानपुर ब्लॉक के सहायक समाज कल्याण अधिकारी सोमप्रकाश, लक्सर और खानपुर ब्लॉक में तैनात रहे रिटायर्ड सहायक समाज कल्याण अधिकारी मुनीष त्यागी और विनोद नैथानी को कई बार पूछताछ के लिए रोशनाबाद बुलाया।
सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर सवालों के जवाब में उनका कहना था कि तत्कालीन अधिकारी मंत्री का नाम लेकर फर्जी छात्रों को प्रमाणित करने का दबाव उन पर बनाते थे।
विभाग में मंत्री के कुछ करीबी अधिकारी नाजायज रौब भी गालिब करते थे। उनकी बात नहीं मानने पर निलंबन तक की धमकी दी जाती थी। इनमें कुछ अधिकारी-कर्मचारी दिवंगत भी चुके हैं।
सोमवार को एसआईटी ने सहायक समाज कल्याण अधिकारी सोम प्रकाश पुत्र फग्गन सिंह निवासी पीठ विहार गणेशपुर रूड़की, मुनीश त्यागी पुत्र सगवा निवासी विनीत नगर गली नंबर तीन पनियाला रोड गंगनहर और विनोद कुमार नैथानी पुत्र रमेश चंद्र निवासी डोभालवाला देहरादून को पूछताछ के लिए बुलाया।
एसआईटी ने उनसे जब छात्रों के फर्जी भौतिक सत्यापन करने के संबंध में सवाल दागे तब वह जवाब नहीं दे पाए। कई घंटों तक एसआईटी की पूछताछ जारी रही। एसआईटी की मानें तो इन सभी ने ऐसे छात्रों का सत्यापन किया, जो न तो कभी कॉलेज गए थे और न ही उन्होंने परीक्षा दी थी।
संतोषजनक जवाब न मिलने पर एसआईटी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। एसआईटी के विवेचनाधिकारी आयुष अग्रवाल ने बताया कि सोम प्रकाश फिलहाल सहायक समाज कल्याण अधिकारी भगवानपुर ब्लॉक के तौर पर कार्यरत है, बाकी दो सेवानिवृत्त हो चुके है। यह उस वक्त यहां तैनात थे, जब घोटाला किया गया था।
गौरतलब हो कि एसआईटी इस बहुचर्चित घोटाले में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही सहायक समाज कल्याण अधिकारियों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी।