रेड कोरल कुकरी सांप (Oligodone khariensis) को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 4 में है सूचीबद्ध
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
रुद्रपुर (उधमसिंह नगर) : उत्तराखंड केउधमसिंह नगर जिले में एक बहुत ही दुर्लभ लाल कोरल कुकरी सांप को एक घर से रेस्क्यू कर वन अधिकारियों ने उसे बचाया है। उत्तराखंड में यह तीसरी बार है जब इस तरह का कोई दुर्लभ सांप उत्तराखंड में देखा गया है। इससे पहले, इस तरह के दुर्लभ सांप को नैनीताल जिले में देखा गया था, जबकि रविवार को इसे उधमसिंह नगर जिले के दिनेशपुर क्षेत्र में देखा गया। वन अधिकारियों के अनुसार, इस दुर्लभ सांप को पहली बार 1936 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी इलाके में देखा गया था, जहाँ से ही इसे अपना वैज्ञानिक नाम ‘ओलिगोडोन खेरिएन्सिस’ मिला।
गौरतलब हो कि इसके नाम में प्रयुक्त होने वाले शब्द कुकरी गोरख के कुकर या घुमावदार चाकू से आता है क्योंकि इसके दांत कुकर के ब्लेड की तरह घुमावदार होते हैं। उत्तराखंड के वन विभाग के अधिकारियों ने सांप को उधमसिंह नगर के एक स्थानीय निवासी के घर के पास पेड़ के नीचे से बचाया है, जहां वह घर की दिवार में छिपा हुआ था और उसे पास के वन क्षेत्र में छोड़ दिया था।
तराई सेंट्रल के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) अभिलाषा सिंह ने कहा कि रुद्रपुर वन रेंज टीम को दिनेशपुर क्षेत्र के जगदीशपुर गाँव के रहने वाले त्रिलोकी से रविवार दोपहर एक साँप से बचाव के बारे में फोन आया। उन्होंने कहा, “जब वन टीम वहां गई और इस सांप को बचाया, तो उन्होंने महसूस किया कि यह दुर्लभ लाल मूंगा सांप है। यह घर के आंगन में एक पेड़ के पास छिपा था। बचाव के बाद, सांप को पास के जंगल में छोड़ दिया गया।”
उल्लेखनीय है कि यह तीसरी घटना है जब इस तरह के दुर्लभ सांप को इस साल राज्य में देखा गया है। 5 सितंबर और 7 अगस्त को, इस सांप की प्रजाति को नैनीताल जिले के बिंदूखत्ता क्षेत्र के कुररिया खट्टा गांव के निवासी एक कविंद्र कोरंगा के उसी घर से बचाया गया था। रेड कोरल कुकरी सांप को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 4 में सूचीबद्ध किया गया है। यह लाल और चमकीले नारंगी रंगों में पाया जाता है। यह विषैला नहीं होता है लेकिन इसके रंग से लोग भयभीत जरूर होते हैं जबकि इस प्रजाति के सांप निशाचर रात्रि में ही निकलते हैं, और केंचुओं, कीड़ों और लार्वा को खाता है।