’’अटल आदर्श स्कूल’’ से उत्तराखंड को शिक्षा का हब बनाने की दिशा में प्रयास
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : किसी भी देश या प्रदेश के नजरिए, सोच और प्रवृत्ति को जानना है तो सर्वप्रथम वहां की साक्षरता की दर देखी जाती है, वहां की शिक्षा का स्तर देखा जाता है। उसी आधार पर उस देश या प्रदेश का आंकलन किया जाता है। यहां हम बात कर रहे है उत्तराखंड प्रदेश की। यहां ऐसे बच्चों के सपनों को पंख लगने जा रहे है, जो हिन्दी के साथ अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने का सपना देख रहे है।
उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा बदलने में कुछ रोज पहले एक अहम निर्णय लिया। इस निर्णय की बदौलत राज्य के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम से साक्षरता में भी बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही सामान्य फीस पर बेहतर और स्मार्ट शिक्षा राज्य के पहाड़ी और मैदानी जिले के बच्चों को मिलेगी। बच्चों को न सिर्फ तहजीब से बात करना, अंग्रेजी माध्यम में पकड़ बनेगी बल्कि नई-नई विषयों से भी रूबरू होने का मौका मिलेगा।
वर्तमान में राज्य के अंदर बड़ी संख्या में प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक के सरकारी स्कूल हैं, मगर यह नौनिहालों को नहीं खींच पा रहे है, तो वहीं निजी स्कूलों में एडमिशन के लिए हायतौबा मची रहती है, लेकिन अब उत्तराखंड में नया इतिहास बनने जा रहा है, जिसके लिए हमेशा त्रिवेंद्र सरकार को जाना जायेगा। जी हां, त्रिवेंद्र सरकार सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के अंतर को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। सरकार ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से प्रत्येक 95 विकासखंडों में दो-दो स्कूल खोलने जा रही है, इनका नाम अटल आदर्श स्कूल होगा। इसमें शिक्षा के क्षेत्र के स्मार्ट अध्यापक बच्चों को स्मार्ट शिक्षा का प्रशिक्षण देंगे।
साक्षरता दर में होगा और इजाफा
वर्तमान में उत्तराखंड की साक्षरता दर 79.63 प्रतिशत है, इसमें महिला साक्षरता दर 70.70 और पुरुष साक्षरता 88.33 प्रतिशत है। यह आंकड़े देश में अच्छे दृष्टि से देखे जाते है, मगर इन आंकड़ों में इजाफा करने का काम अब त्रिवेंद्र सरकार करने जा रही है। सरकार के इस फैसले की बदौलत अगली जनगणना में इसका फायदा देखने को मिलेगा। पैसे के अभाव में जो माता-पिता अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में नहीं पढ़ा पाते, उन्हें इस अटल आदर्श स्कूलों का लाभ मिलेगा।
निजी स्कूलों द्वारा किए का रहे शोषण पर लगेगी लगाम
राज्य में आए दिन निजी स्कूलों की मनमानी होना अब आम सी बात हो गई है। यहां संचालक अपने तरीके से स्कूल चला रहे है, इतना ही नहीं वह सरकार की गाइडलाइन का भी पालन नहीं करते है। इन स्कूलों में यह तक देखा जाता है, जो बच्चें सरकार की पाॅलिसी के हिसाब से शिक्षा लेते है, उन्हें अलग से क्लास दी जाती है, उनके साथ शिक्षा पर भेदभाव किया जाता है। वहीं, समय पर फीस न दे पाने के कारण यह स्कूल या तो बच्चे का नाम काट देते है, या फिर परीक्षा में बैठने तक नहीं देते। यही नहीं, शिक्षा के साथ अन्य एक्टिविटी के नाम पर हजारों रूपए ऐंठते है। त्रिवेंद्र सरकार का अटल आदर्श स्कूल न सिर्फ एक आदर्श निर्णय साबित होगा। बल्कि सरकारी व प्राइवेट स्कूल की धारणा को भी दूर करेगा।
अटल आदर्श स्कूल में यह रहेंगी सुविधाएं
त्रिवेंद्र सरकार एक अप्रैल 2021 से अटल आदर्श स्कूलों में पढ़ाई आरंभ करवाना चाहती है। निर्णय के अनुसार, अटल आदर्श स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारियों का कैडर अलग होगा। यहां के शिक्षकों का तबादला भी केवल अटल आदर्श स्कूलों में ही होगा। इन स्कूलों में वहीं, शिक्षक पढ़ा सकेंगे जो अंग्रेजी भाषा में पारंगत हो। विभागीय शिक्षकों में आवश्यकता अनुसार शिक्षक न मिलने पर अतिथि शिक्षक फार्मूले के तहत भी नियुक्तियां की जाएंगी। लेकिन इनके लिए शैक्षिक योग्यता के मानक वहीं होंगे, जो स्थायी शिक्षक पर लागू होते हैं।
अटल आदर्श स्कूलों की फीस व अन्य सुविधाओं का शुल्क काफी कम रहेगा। सरकारी मिड डे मील, यूनिफार्म, मुफ्त किताब योजना, विभिन्न स्कॉलरशिप योजनाएं यहां भी होंगी।
पलायन रोकने में भी होगी मदद
त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि शिक्षा के अभाव में कोई पलायन न करें। साथ ही निजी स्कूलों में होने वाले शोषण से भी निजात मिले। गांव से हो रहे पलायन, बेहतर शिक्षा का अभाव को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर योजना शुरू की गई।
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