भारतीय गणतंत्र की मजबूती! कमल किशोर की कलम से…

The strength of the Indian Republic! From the pen of Kamal Kishore…
!!…..भारतीय गणतंत्र की मजबूती…..!!
भारतीय गणतंत्र ने सिद्ध कर दिया कि तमाम बाधाओं के बावजूद गणतंत्र ही भारत के लिए सबसे मजबूत शासन व्यवस्था है। तंत्र ने हमारे लिए क्या किया इस भाव को त्यागकर हमें यह सोचना होगा कि हमने तंत्र (देश)के लिए क्या किया? हमारी इस प्रकार की सोच से ही हमारा गणतंत्र मजबूत होगा।
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अपनी तमाम विषमताओं और अनगिन विविधताओं के बावजूद भारतीय गणतंत्र विश्व में न केवल प्रशंसनीय है,बल्कि अनुकरणीय भी है।भारतीय गणतंत्र की जब नींव पड़ रही थी,तब बहुत से लोगों ने इस बात की आशंका व्यक्त की थी कि भारतीय आपसी झगड़ों की वजह से एकजुट नहीं हो पाएंगे,लेकिन धीरे-धीरे भारतीय गणतंत्र ने यह सिद्ध कर दिया कि तमाम बाधाओं के बावजूद गणतंत्र ही भारत के लिए सबसे अच्छी शासन व्यवस्था है।
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15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद भारत को एकजुट रखने में गणतंत्र की भूमिका अतुलनीय और अनुकरणीय है। तमाम मत-पंथ,संप्रदाय,क्षेत्रवाद,भाषावाद जाति,जनजाति एवं दलगत राजनीति वाद से ऊपर उठकर गणतंत्र की रोशनी देश के तमाम अंधेरे कोनों तक पहुंच चुकी है।
आज लोगों में यह विश्वास जगने लगा है,कि वे लोकतंत्र में अपने मताधिकार द्वारा सरकार बना भी सकते हैं और गिरा सकते हैं। आज जब हम अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं,तो प्रत्येक भारतीय को गौरव का एहसास होना स्वाभाविक है। 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रत्येक भारतीय को उन महापुरुषों और राजनेताओं को याद करना जरूरी हो जाता है, जिनकी वजह से इस देश में सामंती व्यवस्था के बावजूद गणतंत्र का स्थायीकरण हुआ।
आज अगर हम गणतंत्र की कमियां गिनाने बैठेंगे,तो हमें पता चलेगा कि हमारी आगे की यात्रा अभी बहुत लंबी है,मगर जब हम पीछे का सिंहावलोकन करेंगे तो हम पाएंगे कि हमने ऐसा बहुत कुछ किया है,जिस पर हमें गर्व चाहिए। भारतीय आजादी के पिचहतर वर्ष पूर्ण होने पर सम्पूर्ण देशभर में स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया गया।
स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाने का भाव भी यही था कि स्वतंत्रता के पिचहतर वर्षों में देश ने विकास के कौन-कौन से आयाम स्थापित किए और आने वाले पच्चीस वर्षों में जब हम स्वतंत्रता के सौ वर्ष मना रहे होंगे तो देश की प्रगति का लक्ष्य क्या होगा।
भारत विश्व में इतना विशाल,इतना विविध और इतनी भाषाओं वाला कोई दूसरा बड़ा गणतंत्र है?अगर आज जरुरत है तो प्रत्येक भारतीय को अपने गणतंत्र के प्रति उसी समर्पण भाव की जरूरत है,जिसकी वजह से हमने इतनी बड़ी बाधाओं को पार किया है। आज भारतीय गणतंत्र एक बड़े निर्णायक मोड़ पर है।
अनुशासन,संयम के साथ गणतंत्र का यह दिन अगर हम इन 73 वर्षों में शांतिपूर्वक मना पाए,तो यह हमारी बड़ी कामयाबी है। दुनिया में अनेक कथित गणतंत्र या तंत्र हैं,जहां सरकार से परे कोई ऐसे आयोजन करने की हिम्मत नहीं कर सकता। लोक के प्रति तंत्र की सहिष्णुता और तंत्र के प्रति लोक की समझदारी समय की मांग है। इस बुनियादी ज्ञान को दामन से लगाए रखना होगा कि तंत्र वास्तव में लोक की सेवा के लिए ही है। आर्थिक आपदा की वजह से लोक में उपजी गरीबी,बेरोजगारी वास्तव में तंत्र के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
लोक के दर्द और उसके भाव प्राथमिकता में होने चाहिए। लोक से परे जाते,लोक का उल्लंघन करते हुए कोई तंत्र कामयाब नहीं हो सकता। गणतंत्र दिवस मनाते हुए हमें एक बार अपने चारों ओर निगाह फेरनी चाहिए। क्या हमारे यहां पेश चुनौतियों की वजह से पास-पड़ोस के देशों को फन फैलाने का मौका तो नहीं मिल रहा है? क्या हमारे घरेलू संघर्ष दुश्मन के काम तो नहीं आ रहे हैं?
क्या हमारे गणतंत्र पर लोगों को कभी-कभी शक तो नहीं होने लगा है? जब हम ऐसे सवालों के जवाब खोजेंगे तो हमें तब पता चलेगा कि अपने गणतंत्र की कमियों को दूर करना कितना जरूरी है।जब हमारा लोक मजबूत होगा,तो तभी तंत्र को मजबूती मिलेगी और जब तंत्र मजबूत होगा,तभी देश सशक्त होगा।
भारत की तेज विकासशीलता वापस लौटनी चाहिए। यह ईमानदारी से विचार करने का समय है। आज यह गलत सवाल आगे बढ़ने लगा है कि देश या तंत्र ने हमारे लिए क्या किया,जबकि हमें यह सोचना चाहिए कि हमने तंत्र या देश के लिए क्या किया? हमारी इस प्रकार की सोच से ही हमारा गणतंत्र मजबूत होगा।