HARIDWAR

स्वामी हंसदेवाचार्य के निधन से संत समाज में शोक की लहर

  • जगन्नाथ धाम पहुंचकर संतों ने दी श्रद्धांजलि
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
हरिद्वार । जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज के अचानक निधन हो जाने संत समाज में शोक की लहर दौड़ गयी। स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज प्रयागराज कुंभ मेले से हरिद्वार वापस आ रहे थे। लखनऊ के समीप सड़क दुघर्टना में उनकी मौत हो गयी। जैसे ही उनके निधन हरिद्वार पहुंची तो पूरे संत समाज में शोक व्याप्त हो गया। भीमगोड़ा स्थित जगन्नाथ धाम में उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया। 
 
जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज हिन्दुओं के हृदय सम्राट और संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। उनके आकस्मिक निधन संत समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है। उन्होंने सदैव अपने जीवनकाल में विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा की और समाज को एक नई दिशा प्रदान की। राष्ट्र निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। बाबा हठयोगी ने कहा कि स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज एक दिव्य महापुरूष थे। वे जीवन पर्यन्त राष्ट्र व समाज की सेवा करते रहे। उन्होंने अपने जीवनकाल में सदैव भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के उत्थान के लिए कार्य किया और समाजहितमें स्वयं को समर्पित रखा। राम मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने समस्त संत समाज को एकजुटता का संदेश दिया। निर्धन निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज आध्यत्मिक जगत के शिखर महापुरूष थे। उन्होंने अपने तप को और विद्वता के माध्यम से सदैव समाज का मार्गदर्शन किया। उनके अचानक निधन से सनातन धर्म और संत समाज को जो क्षति हुई है। उसे पूरा करना बेहद मुश्किल है।
 
श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत प्रेमदास महाराज, श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मला के मुखिया महंत कमलजीत व कोठारी महंत जसविन्द्र सिंह तथा सचिव महंत बलवंत सिंह ने ब्रह्मलीन स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि उनके आकस्मिक निधन से धर्म को बड़ी हानि हुई है। स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज सदैव साधना में सतत प्रयत्नशील रहते थे और समाज के सत्य के मार्ग पर चलकर सत्कर्मो की प्रेरणा देते थे। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि संतो को जीवन सदैव परमार्थ को समर्पित रहता है। ब्रह्मलीन स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज ने बखूबी साबित भी किया। वे सदैव समाज को कुछ देने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। राममंदिर के लिए उनका संघर्ष इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जाएगा।
जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीमहंत विनोद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। वे कुशल व्यक्तित्व के धनी थे। अपने व्यवहार से उन्होंने सदैव समाज को एकता के सूत्र में बांधकर सफलता की और अग्रसर किया। महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, म.मस्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि संत समाज ब्रह्मलीन स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज की कमी को सदैव महसूस करेगा। उनके बताए मार्ग पर चलकर कई युवा संत देश हित में अपना सहयोग कर रहे हैं।
म.म.स्वामी श्यामसुंदरदास शास्त्री व महंत रामकिशनदास महाराज ने स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने बचपन से ही आध्यात्मिक जीवन जीते हुए समाज सुधारक के रूप में कार्य किया। समाज कल्याण में उनके अहम योगदान को संत समाज सदैव याद रखेगा।

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