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उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के साथ हुई शुरु

- सदन ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी को याद किया
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। राज्य विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार को प्रारंभ हुआ। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही महंगाई के मामलों को कार्यस्थगन के तहत चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने हंगामा किया। स्पीकर के नियम 58 के तहत मामले को सुनने के आश्वासन पर कांग्रेस विधायक शांत हुए। इसके बाद प्रश्नकाल शुरू हुआ, जो कि सुचारु रूप से चला। प्रश्नकाल के दौरान विधायक अपने सवालों के माध्यम से मंत्रियों को घेरने की कोशिश में जुटे रहे। कई अनुपूरक प्रश्नों का जवाब देते वक्त मंत्री फंसते नजर आए।
सदन की कार्यवाही पूर्वाहन 11 बजे शुरु होते ही विपक्ष ने महंगाई का मुद्दा उठाते हुए इस पर कार्यस्थगन के तहत चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरु कर दिया। इस पर विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा व्यवस्था दी गई कि इस मुद्दे को नियम-58 के तहत सुन लिया जाएगा, उसके बाद विपक्ष शांत हुआ और प्रश्न सुचारु रूप से चल सका। कांग्रेस विधायक ममता राकेश द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के राज्य के वार्षिक आय-व्ययक में 42798.31 करोड़ रुपये की धनाशि का प्रावधान किया गया है।
भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के एक सवाल के जवाब में समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि नवजात पुत्री व मां का संयुक्त खाता खोले जाने का प्राविधान है। माता के जीवित न होने पर नवजात पुत्री व पिता अथवचा माता-पिता दोनों के राष्ट्रीयकृत बैंकों के कार्यशील सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी व निजी बैंकों में भी संयुक्त खाता खोले जाने के लिए अधिकृत हैं। विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के एक अन्य तारांकित सवाल के जवाब में समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कहा बताया कि राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के दृष्टिगत महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग और समाज कल्याण विभाग की कल्याणकारी योजनाओं को एकीकृत कर नंदा गौरा योजना संचालित की जा रही है। नंदा गौरा योजना का मूल उद्देश्य कन्य भू्रण हत्या पर रोक लगाना, बाल विवाह रोकना, समाज में लैंगिक असमानता को दूर करना, उन्हें उच्च शिक्षा प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाना है। जिसके लिए 36000 रु ग्रामीण क्षेत्र में और 42000 रु शहरी क्षेत्र में वार्षिक आय वाले उन परिवार की प्रथम दो बालिकाओं के लिए जन्म से विवाह तक विभिन्न चरणों में कुल 51000 की आर्थिक सहायता ई पेमेंट के माध्यम से धनराशि उपलब्ध कराने की व्यवस्था है।
विधायक देशराज कर्णवाल के भिक्षावृत्ति से संबंधित तारांकित प्रश्न के जवाब में समाज कल्याण मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश भिक्षावृत्ति प्रतिषेध अधिनियम 1975 संपूर्ण उत्तराखंड में लागू किया गया है, जिसके अंतगर्त विभावृत्ति के रोकथाम के लिए किए गए प्राविधानानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। विधायक प्रीतम सिंह पंवार के तारांकित प्रश्न के जवाब में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण की स्थापना के उपरांत प्राधिकरण बोर्ड का गठन करते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी की नियुक्ति की गई है। टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण के लिएस 24 पदों की स्वीकृति दी जा चुकी है। वर्तमान में टिहरी जलाशय में साहसिक पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने एवं स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के लिए साहसिक क्रीड़ा के 48 लाईसेंस निर्गत किए जा चुके हैं।
बारिश से प्रदेश में 2805 नहरों में से 396 नहरें पड़ी हैं बंद
देहरादून। प्रदेश में बारिश के कारण 2805 नहरों में से 396 नहरें बंद पड़ी हैं। इनमें गढ़वाल मंडल में 229 नहरें और कुमांऊ मंडल में 167 नहरें शामिल हैं।
विधानसभा सत्र के दौरान सदन में कांग्रेस विधायक काजी मोहम्मद निजामुद्दीन के अतारांकित प्रश्न के जवाब में प्रदेश के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि देहरादून जिले में स्थित 391 नहरों में से 17 नहरें बंद पड़ी हैं। टिहरी जिले में संचालित 370 नहरों में से 50 नहरें क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। उत्तरकाशी जिले में 278 नहरों में से 23 नहरें बंद हैं। पौड़ी जिले में 279 नहरों में से 73 नहरें क्षतिग्रस्त हो रखी हैं।
रूद्रपयाग जिले में 196 नहरों में से 26 नहरें क्षतिग्रस्त हैं। चमोली जिले में 181 नहरों में से 39 नहरें क्षतिग्रस्त हैं। कुमांऊ मंडल के नैनीताल जिले में 266 नहरों में से 19 नहरें क्षतिग्रस्त हैं। उधमसिंहनगर जिले में 226 नहरों में से 28 नहरें क्षतिग्रस्त हैं। अल्मोेड़ा जिले में 195 नहरों में से 29 नहरें क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। पिथौरागढ़ जिले में 178 नहरों में से 60 नहरें क्षतिग्रस्त हैं।
बागेश्वर में 134 नहरों में से 13 नहरें क्षतिग्रस्त हैं। चंपावत जिले मकें 77 नहरों में से 18 नहरें क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। बारिश में नहरों के हेड बाढ़ से बह जाने एवं स्लिप आने के कारण ये नहरे बंद पड़ी हैं। सिंचाई मंत्री ने बताया कि वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के पश्चात वर्षा ऋतु के बाद यथासंभव बंद नहरों को संचालित किया जाना संभव हो पाएगा।