चर्चित महिला राज्य मंत्री ही महिला स्वयं सहायता समूहों से पेट पर लात मारने को हो तैयार !
त्रिवेंद्र सरकार में नहीं कर पा रहे थे मनमानी , क्या तीरथ सरकार में पूरे कर पाएंगे अपने मंसूबे
राजेंद्र जोशी
देहरादून : उत्तराखंड की एक महिला राज्य मंत्री अब एक बार फिर चर्चाओं में आ गयी है। चर्चित राज्य मंत्री त्रिवेंद्र सरकार के दौरान भी काफी चर्चाओं में रहीं हैं लेकिन इस बार वे उत्तराखंड की लगभग 33 हज़ार महिला स्वयं सहायता समूहों के मुंह से निवाला छीनने का ताना -बाना बुने जाने की योजना को लेकर चर्चाओं में हैं।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब महिला स्वयं सहायता समूहों के कुछ प्रमुख लोगों ने बीते दिन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को एक ज्ञापन देकर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार द्वारा की जा रही इस तरह की कार्रवाही पर रोक लगाने की मांग की।
गौरतलब हो कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के शासनकाल में उत्तराखंड की लगभग 33 हज़ार महिला स्वयं सहायता समूहों को केंद्र सरकार व राज्य सरकार की उन तमाम योजनाओं का कार्य दिया गया था जिन्हे महिलाओं द्वारा सम्पादित किया तो जा ही सकता था और इन योजनाओं से उत्तराखंड की महिलाओं को घर बैठे रोज़गार भी मुहैय्या हो सकता था। राज्य की महिलाओं की स्थिति को देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य के इन लगभग 33 हज़ार महिला स्वयं सहायता समूहों को तमाम कार्य देकर उनके उनके पैरों पर खड़ा करने का प्रयास किया गया था।
लेकिन अब त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दिए जाने की बाद अब यह चर्चित राज्य मंत्री एक बार फिर से अपने विभागों में अपने एजेंडे पर जुट गयीं हैं। जिन्हे त्रिवेंद्र सरकार में वे पूरा नहीं कर पा रहे थे। क्योंकि त्रिवेंद्र सरकार का पहले ही दिन से भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का जो नारा था वे अंतिम समय तक उस पर कायम रहे और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का उनका इरादा ही उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटने का प्रमुख कारण भी बना। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए नेताओं और अधिकारियों के मंसूबे सफल नहीं हो पा रहे थे , लिहाज़ा ऐसे लोगों ने उनके ख़िलाफ़ माहौल बनाया और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।
बात उत्तराखंड की लगभग 33 हज़ार महिला स्वयं सहायता समूहों की हो रही थी जिनके पेट पर महिला राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार की ही लात पड़ने वाली है। मामला एक विज्ञापन के प्रकाशित होने के बाद सामने आया जिसमें टेक होम राशन की आपूर्ति की ई -निविदा आमंत्रित किये जाने के बारे में सन्देश प्रकाशित किया गया था। इस विज्ञापन के प्रकाशित होते ही सूबे की लगभग 33 हज़ार महिला स्वयं सहायता समूहों के कान खड़े हो गए और उन्हें अपनी रोज़ी-रोटी पर ख़तरा मड़राता नज़र आने लगा। इस विज्ञापन को देखते ही महिला स्वयं सहायता समूहों में खलबली मच गई और वे इस विज्ञप्ति के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं।
इसी क्रम में बीते दिन महिला स्वयं सहायता समूह ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मिलकर अपनी आशंका बताई कि उनके सामने रोज़ी रोटी का संकट एक राज्य मंत्री द्वारा खड़ा किये जाने वाला है अब यह देखना है कि स्वभाव के सरल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने ही राज्य मंत्री द्वारा बुने गए जाल में खुद फंसते हैं या वे भ्रष्टाचार पर पूर्व मुख्यमंत्री के जीरो टोलरेन्स की नीति पर ही आगे बढ़ते हैं। वह तब जब चर्चित राज्य मंत्री द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों तक की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है।
देखिये ज्ञापन :-