DEHRADUN

आस्था के महाकुंभ का साक्षी बनने को उमड़ा भारी जन सैलाब

दरबार साहिब में हुआ श्री झण्डे जी का आरोहण, इसी के साथ हुआ झण्डे मेले का विधिवत शुभारंभ

देहरादून । आस्था के महाकुंभ का साक्षी बनने के लिए श्री दरबार साहिब में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। लाखों श्रद्धालु झण्डे जी के सम्मान में शीश नवाए खड़े हैं। हर कोई श्री झण्डा साहिब के समक्ष मत्था टेकने और गुरु महाराज के दर्शन को बेताब है। श्री दरबार साहिब परिसर व आसपास के क्षेत्रों में तिल रखने भर की भी जगह नहीं है। जैसे-जैसे झण्डे जी पर गिलाफ के आवरण चढ़ाने का क्रम बढ़ता जाता, संगतों का उत्साह भी उत्कर्ष तक पहुंचता जाता। दर्शनी गिलाफ के चढ़ते ही, झण्डे जी के आरोहण की प्रक्रिया प्रारम्भ होते ही श्री गुरु महाराज जी के जयकारों की ध्वनि तेज हो उठी।
शुक्रवार शाम 04 बजकर 08 मिनट पर जैसे ही श्री दरबार साहिब देहरादून के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज की अगुआई में श्री झण्डे जी का आरोहण किया गया, वैसे ही पूरी द्रोणनगरी श्री गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से गूंज उठी। श्रद्धालुओं ने गुरु महाराज जी के जयकारे लगाए व ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया। इसी के साथ देहादून के ऐतिहासिक एवम् सांस्कृतिक विरासत श्री झण्डा साहिब मेले का विधिवत शुभारंभ हो गया।

शुक्रवार सुबह सूर्य की पहली किरन भी धरती पर नहीं पड़ी थी कि श्री दरबार साहिब परिसर एवम् आस-पास का क्षेत्र श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। श्री झण्डे जी को उतारने के लिए संगतें झण्डे जी के नीचे इक्ट्ठा हो गई। श्री झण्डे जी को उतरते व फिर चढ़ते देखना अपने आप में अद्भुत नज़ारा है इस पुण्य को अर्जित करने के लिए देश-विदेश से आई संगतें इस पावन बेला का साल भर बेसब्री से इंतजार करती हैं। सुबह 8 बजे पुराने श्री झण्डे जी को उतारा गया व नए झण्डे जी पर पूजा अर्चना की गई। इस बार लाए गए नए ध्वज दण्ड (श्री झण्डे जी) को संगतों ने सुबह दूध, घी, शहद, गंगाजल व पंचगब्यों से स्नान कराया।

90 फीट ऊंचे झण्डे जी पर पहले सादे और शनील के गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। खास बात यह कि इस दौरान श्री झण्डे जी को ज़मीन पर नहीं रखा जाता। करीब डेढ़ बजे श्री झण्डे जी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया गया। यह दृश्य देखते हुए श्रद्धालुओं के भाव आंखों से छलक आए। हर कोई दर्शनी गिलाफ को छूकर पुण्य अर्जित करने के लिए उत्सुक दिखा। 04 बजकर 08 मिनट पर नए मखमली वस्त्र और सुनहरे गोटों से सुसज्जित श्री झंडे जी के आरोहण की प्रक्रिया आरंभ हुई। श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के दिशा-निर्देशन में झण्डे जी के नीचे लगी कैंचियों को थामे श्रद्धालुजन झंडे जी को उठा रहे थे। पूरा श्री दरबार साहिब श्री गुरु महाराज के जयकारों से गूंज उठा। इसी दौरान एक बाज ने भी श्री दरबार साहिब की परिक्रमा की। इस श्री गुरु राम राय जी महाराज की सूक्ष्म उपस्थिति के रूप में हर साल दर्ज किया जाता है। इसके साथ ही खुशियों में सराबोर श्रद्धालु झूमने लगे।

श्री झण्डे जी का आकर्षण देखने के लिए श्री दरबार साहिब प्रबन्धन की ओर से प्रोजेक्टर की व्यवस्था की गई थी। झण्डे जी के सामने का हिस्सा संगत से पूरी तरह फुल हो चुका था। ऐसे में श्री दरबार साहिब के दूसरे हिस्से में संगत ने प्रोजेक्टर की मदद से स्क्रीन पर श्री झण्डे जी आरोहण का सीधा प्रसारण देखा। ड्रोन द्वारा की जा रही रिकाॅर्डिंग सबकी आकर्षण का केन्द्र रही। श्री झण्डे जी पर शीश नवाने के लिए देश के कोने-कोने से संगतें पहुंची हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश सहित विदेशों से आई संगतें श्री झण्डे जी आरोहण की साक्षी बनी। श्री दरबार साहिब में श्रद्धालु भजन-कीर्तन के साथ ही गुरु महिमा का गुणगान करते रहे। श्रद्धालुओं ने ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया। श्रद्धालुओं ने श्री दरबार साहिब स्थित पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई। सुबह से ही श्रद्धालु यहां स्नान कर रहे थे। दोपहर बाद में सरोवर के  चारो तरफ संगतों के जुटने से यहां का नजारा भी दर्शनीय लग रहा था। साथ ही बच्चों ने भी सरोवर के स्नान का आनन्द उठाया।
श्री झण्डे जी के आरोहण के बाद श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने सभी देश व प्रदेशवासियों सहित संगत को श्री झण्डे जी मेले की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। श्री महाराज जी ने कहा कि श्री झण्डा मेला प्रेम, सदभावना, आपसी भाईचारा, सौहार्द, उल्लास व अमन-चैन का संदेश देने वाला मेला है। उन्होंने कहा कि श्री झण्डे जी पर शीश नवाने से सभी की मन्नतें पूरी होती हैं, यही वजह है कि श्रद्धालुओं की श्री झण्डे जी की प्रति आस्था बढ़ती जा रही है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि देशवासियों-प्रदेशवासियों व श्री झण्डे जी मेले में शामिल होने आई संगतों पर श्री गुरु राम राय जी महाराज की कृपा सदैव बनी रहे।

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