UTTARAKHAND

धधक रहे हैं उत्तराखंड के जंगल, केंद्र ने भेजे दो NDRF की टीम और दो हेलीकाप्टर

धधक रहे जंगल प्रदेश में साल 2016 जैसे हुए हालात

प्रदेश में वनाग्नि- चार की मौत, दो घायल और लगभग 38 लाख की वन संपदा खाक

प्रदेश में इस वर्ष 983 घटनाएं हुई हैं। जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित 

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत लगातार वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क में और दे रहे हैं आग को बुझाने आवश्यक निर्देश 

[videopress 7dUxmhAq]
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक

रेस्पोंस टाईम में कमी लाने के दिए गए निर्देश

देहरादून : मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने वनाग्नि की घटनाओं को अत्यंत गम्भीरता से लेते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा एक आपात बैठक आहूत कर जरूरी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने बताया है कि प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दो हेलीकाप्टर उपलब्घ कराए गए हैं। इस संबंध में उनकी  केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से फोन पर वार्ता हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री ने हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया है। आवश्यकता होने पर एनडीआरएफ की टीमें भी भेजी जाएंगी। एक हेलीकाप्टर गौचर में स्टेशन करेगा जो कि श्रीनगर से पानी लेगा। दूसरा हेलीकाप्टर हल्द्वानी में स्टेशन करेगा और भीमताल झील से पानी लेगा। राज्य के अघिकारी केंद्र सरकार के अधिकारियों के लगातार सम्पर्क में हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक लगा दी गई है। सभी अधिकारियेां और कर्मचारियों को अपने कार्यक्षेत्र में बने रहने को कहा गया है। प्रदेश भर में तैनात किए गए फायर वाॅचर को 24 घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि की वर्तमान स्थिति और इससे निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं की सूचना कंट्रोल रूम को अविलम्ब मिलनी चाहिए और रेस्पोंस टाईम में कमी लाई जाए। वन पंचायतों सहित स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए परंतु इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चे और बुजुर्ग आग बुझाने के लिए न जाएं। लोगों को जागरूक किया जाए। इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। गांवों और रिहायशी इलाकों के आसपास झाडियां साफ की जाएं।  
 मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि से क्षति होने पर प्रभावितो को मानकों के अनुरूप  मुआवजा जल्द से जल्द मिल जाना चाहिए। फील्ड स्तर पर गाड़ियों व उपकरणों की कमी नहीं होनी चाहिए। जहां जरूरी हो, वहां तत्काल बिना समय गंवाए इनकी व्यवस्था कर ली जाएं। कंट्रोल रूम की संख्या बढ़ाई जाए।मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों का संरक्षण, उत्तराखण्डवासियों की परम्परा में है। परंतु कुछ शरारती तत्व जानबूझकर वनों में आग लगाते हैं। ऐसे तत्वों की पहचान कर कठोर कार्यवाही की जाए। कुम्भ मेला क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में वनाग्नि की घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए एक दीर्घकालीक प्लान भी बनाया जाए और उसी के अनुरूप तैयारियां की जाएं। तहसील व ब्लाॅक स्तर तक कंट्रोल रूम और फायर स्टेशन स्थापित हों।
 बैठक में बताया गया कि प्रदेश में इस वर्ष 983 घटनाएं हुई हैं। जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावति हुआ है। वर्तमान में 40 एक्टिव फायर चल रही है। नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल वनाग्नि से अधिक प्रभावित है। वनाग्नि को रोकने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हैं। 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं।
 इस वर्चुअल बैठक में मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, डीजीपी श्री अशोक कुमार, प्रमुख वन संरक्षक श्री राजीव भरतरी, सचिव श्री अमित नेगी, श्री शैलेश बगोली, श्री एस.ए.मुरूगेशन सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी और सभी जिलाधिकारी व डीएफओ उपस्थित थे।
देहरादून : उत्तराखंड के जंगल आजकल आग की चपेट में हैं।  हालात इतने खराब हो चुके हैं कि मुख्यमंत्री को केंन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सहायता के लिए बात करनी पड़ी है।  केंद्र के NDRF को दो टीमों के साथ हेलीकाप्टर भी भेज दिया है हालात पर काबू पाने के लिए। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में तीन अप्रैल तक1292 हेक्टेयर जंगल खाक हो चुका है जबकि राज्य के 13 में से चार पर्वतीय जिलों में आग ने विकराल रूप देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत लगातार वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क में हैं और उन्हें आग को बुझाने आवश्यक निर्देश दे रहे हैं। 
वनाग्नि के लिहाज से राज्य में वर्ष 2016 जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। आंकड़े तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। वर्ष 2016 में फायर सीजन के दौरान फरवरी से जून तक आग से 4400 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा था, लेकिन इस मर्तबा सर्दियों से जंगल धधक रहे हैं और अब तक 1291 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हो चुका है। ऐसे में चिंता ये बढ़ गई है कि अगले तीन महीनों में जब पारा चरम पर रहेगा, तब क्या स्थिति होगी। जानकारों का कहना है कि इस सबको देखते हुए जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की दरकार है। हेलीकाप्टर की मदद लेनी होगी तो जनसामान्य को भी प्रशिक्षण देकर वनाग्नि प्रबंधन में शामिल करना होगा।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी में वनाग्नि विकराल रूप में फ़ैल रही है। विभाग ने प्रदेश में 40 स्थानों में एक्टिव फायर की बात की है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आग को बुझाने में 12 हजार वनकर्मी लगाए गए हैं। जबकि आग की स्थिति को देखते हुए राज्य में 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाये गए हैं। 
राज्य में इस मर्तबा अक्टूबर से शुरू हुआ जंगलों के सुलगने का क्रम अब पारे की उछाल के साथ ही तेज हो चला है। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में आग अधिक धधक रही है। पूर्व में जब इस संबंध में जांच पड़ताल कराई गई तो बात सामने आई कि बारिश व बर्फबारी कम होने के कारण जंगलों में नमी कम हो गई है। नतीजतन वहां घास सूख चुकी है, जो अमूमन नवंबर-दिसंबर में जाकर सूखती थी।
परिणामस्वरूप पहाड़ियों पर आग तेजी से फैल रही है। अब जिस तरह से आग धधक रही है, उसने वर्ष 2016 की याद ताजा कर दी है। तब चार महीनों के अंतराल में विकराल हुई जंगल की आग गांवों में घरों की देहरी तक पहुंच गई थी।
आग के भयावह रूप लेने पर तब सेना और हेलीकाप्टरों की मदद लेनी पड़ी थी। यह पहला मौका था, जब हेलीकाप्टरों से आग पर काबू पाया गया। अब हालात, वर्ष 2016 जैसे ही नजर आने लगे हैं। धधकते जंगल इस तरफ इशारा कर रहे हैं।
हालांकि, सबकी नजरें इंद्रदेव पर टिकी हैं, मगर बारिश न होने से चिंता अधिक बढ़ गई है तो चुनौती भी कम नहीं है। ऐसे में आवश्यक है कि आग पर नियंत्रण के लिए नए सिरे से रणनीति अख्तियार कर इसे धरातल पर उतारा जाए। साथ ही हेलीकाप्टरों की मदद लेने में भी सरकार को कदम उठाने होंगे। इसके लिए केंद्र में गंभीरता से पक्ष रखने की दरकार है।

 

 

 

Related Articles

Back to top button
Translate »