उपभोक्ता आयोग ने बीमा कम्पनी को 5.79 लाख भुगतान के फोरम के आदेश को माना सही
- उपभोक्ता फोरम ने चोरी की सूचना देने में देरी के आधार को नया आधार
- उपभोक्ता फोरम ने बीमा क्लेम निरस्त करने को माना था सेवा में कमी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड के राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम उधमसिंह नगर के वाहन चोरी होने पर बीमा क्लेम न देने को सेवा में कमी मानते हुये बीमा कम्पनी को 5 लाख 79 हजार रूपये के भुगतान के आदेश को सही माना औैर बीमा कम्पनी की अपील निरस्त करते हुये फोरम के आदेश में किसी हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।
अखिलेश कुमार की ओर से नदीम उद्दीन एडवोकेट ने जिला उपभोक्ता फोरम उधमसिंह नगर में परिवाद दायर करके कहा गया था कि परिवादी ने श्री राम जनरल इश्योरेन्स कं0लि0 से रू. 24438 का प्रीमियम भुगतान करके अपनी कार यू0के006 एन 6838 का बीमा कराया। बीमा अवधि में कार ड्राइवर के घर से सामने से दि0 29-12-2010 को चोरी होने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी तथा बीमा एजेन्ट के बताये फोन नम्बरों पर सूचना दी लेकिन जब बीमा कम्पनी के किसी अधिकारी या सर्वेयर ने कोई सम्पर्क नहीं किया तो डाक के माध्यम से सूचना दी। बीमा कम्पनी ने चोरी की सूचना 53 दिन देरी से देने का आरोप लगाते हुये बीमा क्लेम निरस्त कर दिया। बीमा कम्पनी की ओर से तर्क दिया गया कि चोरी की लिखित सूचना पंजीकृत डाक से नहीं दी गयी है इसलिये यह मान्य नहीं है।
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष तथा सदस्या नरेश कुमारी छाबड़ा ने परिवादी के अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के तर्कों को सुनने के बाद निर्धारित किया कि बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत की गयी पालिसी की शर्तों में इस बात का उल्लेख नहीं है कि लिखित सूचना बीमा कम्पनी को कैसे दी जायेगी। जिसका तात्पर्य यह है कि इस शर्त में यह कहीं अंकित नहीं है कि ऐसी सूचना पंजीकृत डाक के माध्यम से बीमा कम्पनी को दी जायेगी। इसमें हम कोई ऐसा कारण नहीं पाते है कि यू0पी0सी0 द्वारा प्रेषित सूचना को अवैध माना जाये या बीमा कम्पनी की शर्त का उल्लंघन माना जाये।
फोरम के निर्णय के अनुसार पुलिस रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि परिवादी का वाहन चोरी हुआ था। अतः परिवादी का दावा स्वीकार करने योग्य था। विपक्षी बीमा कम्पनी ने बीमा दावा निरस्त करके सेवा में कमी की है।
जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन की कीमत रू. 575000 में से एक्सीस क्लॉज के 1000 रू. कम करते हुये परिवादी को 5,74,000 की धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी माना है और इस धनराशि को 30 दिन के अन्दर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से परिवादी की तिथि से भुगतान की तिथि तक का ब्याज जोड़ते हुये फोरम में जमा करने तथा 5 हजार रू. वाद व्यय भुगतान करने का आदेश बीमा कम्पनी को दिया है।
बीमा कम्पनी ने फोरम के निर्णय से असंतुष्ट होकर उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। उपभोक्ता आयोग की दो सदस्यीय पीठ ने अपील सं0 108/2015 के अपने निर्णय में दोनों पक्षों के कथनों पर विचार करते हुये अपील को निरस्त कर दिया। राज्य आयोग के सदस्य बलवीर प्रसाद तथा सदस्या वीना शर्मा ने अपने निर्णय में लिखा कि जिला फोरम का आदेश मेरिट पर आधारित है इसलिये किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं हैं व इसकी पुष्टि की जाती है तथा अपील में कोई बल न होने के आधार पर निरस्त की जाती है।