- राजनीतिक, राजनयिक, सामरिक, कूटनीति और राष्ट्रीय स्तर पर हम एक
- सेना में कोई धर्म या जाति नहीं बल्कि समानता और एकता का है भाव
- आंतरिक रूप से बिखराव के दौर से गुजर रहा है हमारा देश
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि विजय दिवस हमें भारतीय सेना की बहादुरी व बलिदान को याद दिलाता है। केवल 13 दिनों में इतनी बड़ी जीत हासिल करना और एक अलग देश बना देना, निश्चित तौर पर देश के लिए गौरवपूर्ण है। आज भी देश के दुश्मन प्रत्यक्ष व परोक्ष तरीकों से देश के विरूद्ध लगे हैं, ऐसे समय में हमें अपनी ताकत को पहचानना चाहिए और और एकजुट होकर देश के दुश्मनों के मंसूबों को विफल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर भारतीय अपने शहीद सैनिकों के परिवारों के साथ है। जिस समाज व देश में सैनिकों का सम्मान नहीं होता है, उसका पतन हो जाता है। सेना देश को जोड़कर रखती है। सेना में सभी की पहचान भारतीय के रूप में होती है।
उन्होंने कहा देश आंतरिक रूप से बिखराव के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा आज भी दुश्मन देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। विजय दिवस अपनी ताकत को दोबारा पहचानने और एक होने का समय है। वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के वीरों की शौर्य गाथा सदियों तक भावी पीढ़ी को प्रेरणा देती इसके लिए राज्य सरकार एक आधुनिक और वृहद शौर्य स्थल के निर्माण पर विचार कर रही है।
जनरल वीके सिंह ने कहा कि विजय दिवस उस विजय की याद दिलाता है जो दुनिया में सबसे बडी और एतिहासिक जीत है। राजनीतिक, राजनयिक, सामरिक, कूटनीति और राष्ट्रीय स्तर पर हम एक हुए हैं, जो जरूरी भी है। आज भी दुश्मन देश को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। आंतरिक रूप से देश बिखराव के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में विजय दिवस दोबारा अपनी ताकत को पहचानने और एक होने का समय है। उन्होंने कहा कि सीमाओं की निगेहबानी के साथ ही सैनिक देश को भी जोड़े रखते हैं। सेना में कोई धर्म या जाति नहीं बल्कि समानता और एकता का भाव होता है, जो देश को जोड़े रखता है।
वहीं विजय दिवस पर डिफेंस कॉलोनी में एक कार्यक्रम आयोजित किया जहां मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने वीर सैनिकों और वीर नारियों सहित निबंध प्रतियोगिता के विजेता छात्र और छात्राओं को सम्मानित किया गया। इससे पहले जनरल वीके सिंह ने गांधी पार्क शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- कर्इ पीढ़ियों को विजय दिवस देता रहेगा प्रेरणा
- उत्तराखंड के लोगों की रग-रग में है देशभक्ति का खून
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि 16 दिसम्बर का दिन वीरता व पराक्रम में ऐतिहासिक दिन है। मात्र 13 दिन में भारतीय सैनिकों के साहस व बहादुरी के सामने नतमस्तक होकर पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा था। यह सैन्य इतिहास में सबसे बड़ी विजय थी। मुख्यमंत्री, 1971 भारत-पाक युद्ध के शहीदों की स्मृति में डिफेंस कालोनी में आयेाजित कार्यक्रम में सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे सैनिकों के पराक्रम से पाकिस्तानी सैनिकों का मनोबल टूट गया था। स्कूल काॅलेजों में छात्र-छात्राओं को भारतीय सेना के शौर्य, त्याग व बलिदान के बारे में बताया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से स्कूलों में विजय दिवस पर छात्रों को भारत के इस गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में बताया जाएगा।
अगर आज पूर्वी पाकिस्तान होता तो देश के सामने किस तरह की सामरिक चुनौतियां होती इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह दिन आने वाली कई पीढियों को प्रेरणा देता रहेगा। ये कोई सामान्य जीत नहीं थी, बल्कि इस दिन इतिहास बनाया और बदला गया। अगर आज पूर्वी पाकिस्तान होता तो देश के सामने किस तरह की सामरिक चुनौतियां होती इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों की रग-रग में देशभक्ति है। वे न सिर्फ अग्रिम पंक्ति में खड़े रहकर देश की हिफाजत कर रहे हैं बल्कि राज्य में कभी किसी अराष्ट्रवादी सोच को पनपने नहीं देते।
- आधुनिक शौर्य स्थल के निर्माण पर सरकार कर रही विचार
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के वीरों की शौर्य गाथा सदियों तक भावी पीढ़ी को प्रेरणा देती रहे इसके लिये राज्य सरकार एक आधुनिक और वृहद शौर्य स्थल के निर्माण पर विचार कर रही है। इसके लिये 40-50 बीघा भूमि की तलाश है। यहां युवाओं को दिखाया जाएगा कि हमारे सैनिकों ने कैसे युद्ध लड़े और देश को सम्मान दिलाया। सीएम ने कहा कि अगले साल से सभी स्कूलों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रार्थना सभा में बच्चों को भारतीय सेना के स्वर्णिम इतिहास से रूबरू कराया जाएगा।
विजय दिवस के अवसर पर ले. जनरल (सेनि) ओपी कौशिक ने कहा कि सैनिकों के प्रोत्साहन के लिये देश और समाज को उनके पीछे खड़ा रहना चाहिये। इससे उनका मनोबल बढ़ता है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर स्कूली छात्र छात्राओं की अधिकाधिक सहभागिता होनी चाहिये। जिससे उन्हें सेना के साहस और पराक्रम को जानने का अवसर मिले।