UTTARAKHAND

आंग्ल नववर्ष मनुष्य की प्रवृत्ति व प्रकृति को समझने का वर्ष

कमल किशोर डुकलान आंग्ल नववर्ष मनुष्य की प्रवृत्ति व प्रकृति को समझने का वर्ष होना चाहिए। सन् 2023 देश और देशवासी किसी बुराई का नहीं अपितु अच्छाई का अनुकरण करें,तभी मानवता के पैमाने पर हम कोई आदर्श प्रस्तुत कर पाएंगे।

आज बहुप्रतीक्षित आंग्ल नववर्ष का स्वागत है। कुछ वर्ष ऐसे होते हैं, जिनके बारे में लगता है कि जल्दी बीत जाएं, 2022 भी एक ऐसा ही जल्दी बीतने वाला वर्ष रहा। आज धूल, कोहरे और बादल में सूर्य के दर्शन कई जगह दुर्लभ होंगे, कई जगह धूप भले न खिली हो, लेकिन स्याह रात ढलने के बाद जो प्रकाश पसरा है,वह सूर्य के होने का प्रमाण है।

इस धूल,कोहरे और बादल में हमारी कितनी नाकामी छिपी है,2023 भी हमारे विमर्श का पहला विषय होना चाहिए। जलवायु की चिंता के इस महत्वपूर्ण समय में हमें प्रकृति का ऋण भली भांति चुकाना होगा। हवा,जल,आकाश से हमें जो नि:शुल्क स्नेह और प्राणवायु रूपी जीवन मिलता है,क्या उसके बारे में कभी हम सोचते हैं? हमने क्या प्रकृति से केवल लेना-छीनना ही सीखा है.? हम प्रकृति को देते क्या हैं? प्रकृति का हम पर जो ऋण है, उसे लौटाने का वर्ष आ गया है। हमें 2023 में तय करना होगा कि हम देश की प्रत्येक समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का माध्यम। 2023 अॉग्ल नववर्ष मनुष्य की प्रवृत्ति व प्रकृति को समझने का वर्ष होना चाहिए। हमारे बारे में कोई दूसरा फैसले ले,उससे पहले हमें अपनी बेहतरी के लिए खुद फैसले लेने पड़ेंगे। खुद के लिए क्या बेहतर है और अपनी बेहतरी किसी दूसरे के लिए दुख-दर्द का कारण तो नहीं बन रही है? आज के समय में संसाधनों की कमी से ज्यादा दुख व्यवहार की कमी से मिल रहे हैं।पिछले कोविड विपदा के समय हमने जो व्यवहार एक दूसरे के प्रति जो व्यवहार किया था,विपदा के समय हम “सर्वे भवन्तु सुखिन:” के सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुए कैसे किसी के काम आए थे,यह सोचकर हमें नए वर्ष में सुधार की सीढ़ियां चढ़नी होगी। नए वर्ष में देशवासी किसी बुराई का नहीं, किसी अच्छाई का अनुकरण करें,तभी हम मानवता के पैमाने पर कोई आदर्श दूसरों के सामने रख पाएंगे। आपदा और टीकाकरण के समय हमने देखा है,अमीर देश गरीब देशों को और अमीर लोग अपने जरूरतमंद दोस्तों-रिश्तेदारों को अपने हाल पर छोड़कर एक अलग ही अकेलेपन की ओर बढ़ रहे थे। उम्मीद कीजिए, पिछली इन कमियों पर ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान जरूर जाएगा।

उम्मीद की जानी चाहिए कि आंग्ल नववर्ष में तमाम बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारतीयों को न केवल उपभोक्ता समझें,अपने सामाजिक दायित्व भी वे ढंग से निभाएं। विधि का कोरा कारोबार नहीं,बल्कि न्याय की सेवा हो,तो शासन-प्रशासन का उदार स्वरूप सामने आए। पिछली आपदाओं में दबे,कुचले,वंचित लोगों,वर्गों को एकजुटता के साथ मैंने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से अपनी बात रखी। जरूरतमंद लोगों के बढ़े हुए उत्साह के साथ हम आंग्ल वर्ष में आए हैं। 2023 में भी यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी गरीब को अन्न-धन के अभाव का सामना न करना पड़े। सामाजिक योजनाओं और उनके क्रियान्वयन का यह बेहतर काम-धन्धों और रोजगार का वर्ष होना चाहिए।

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