UTTARAKHAND

देवदूत बनी एसडीआरफ ने सुरंग में फंसे 12 लोगों को बचा निकाला

डीजीपी अशोक कुमार ने खुद  घटना स्थल पर मौजूद रहकर चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन 

एसडीआरएफ कमांडेन्ट नवनीत सिंह भुल्लर तो पहुंचे सुरंग के भीतर तक

देवभूमि मीडिया ब्यूरो  
देहरादून : उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक आयी आपदा में यह पहला मौक़ा है जब मुख्यमंत्री ,सरकार प्रशासन और पुलिस ने एक साथ रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और आपदा प्रभावित 12 लोगों को वह मौत के मुंह से खींचकर सुरक्षित बाहर निकाल लाए। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रदेश का एसडीआरएफ किसी देवदूत से कम नज़र नहीं आयी जिसने 35 फ़ीट गहरे मलवे में आखिरकार बैराज की उन सुरंगों को खोज निकाला जहां डैम पर काम कर रहे लोग फंसे थे।  इतना ही नहीं इस ऑपरेशन का नेतृत्व जहां सूबे के डीजीपी अशोक कुमार खुद घटनास्थल पर पहुंचकर कर रहे थे , वहीं एसडीआरएफ टीम का नेतृव माउंट एवरेस्ट विजेता स्वयं कमांडेन्ट नवनीत सिंह भुल्लर फोर्स समेत कर रहे थे।
एसडीआरएफ के मुताबिक ग्लेशियर टूटने की घटना रविवार सुबह 10: 50 बजे जोशीमठ से करीब 15 किमी की दूरी पर स्थित रेणी गाँव के करीब हुई। ग्लेशियर के टूटने से ऋषिगंगा प्रोजेक्ट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है।
वे तो उस सुरंग के भीतर तक पहुँच गए थे जहां कुछ लोग फंसे थे। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान रविवार देर रात नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण रोकना पड़ा है। करीब ढाई सौ मीटर इस सुरंग में अब भी 30 से अधिक लोगों के फंसे होने की संभावना है। 
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यह रेस्क्यू ऑपरेशन इतना आसान नहीं था सुरंगों के अंदर भारी दलदल का सैलाब भरा पड़ा था एक कदम भी चलना बड़ा मुश्किल था लेकिन नवनीत भुल्लर और उनकी टीम ने तख्तों के सहारे रास्ता बनाकर अंदर तक जब झांका तो वहां उन्हें 12 लोग फंसे मिले जिन्हे बमुश्किल सुरंग से बाहर निकाल लाया गया है।  अभी भी एक दूसरी सुरंग है ; जिसकी लम्बाई लगभग दो से ढाई किलोमीटर है उस सुरंग में सोमवार को खोजबीन होगी लेकिन वहां जाना भी बहुत कठिन है क्योंकि सुरंग के मुहाने पर 30 से 35 फ़ीट तक मलवा भरा पड़ा है।
वहीं कुमांऊ दौरा स्थगित कर, रैणी गांव पहुंचे डीजीपी अशोक कुमार ने रविवार देर रात बचाव अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि प्रोजेक्ट की छोटी सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के बाद करीब ढाई सौ मीटर दूसरी लंबी सुरंग में तलाशी अभियान शुरू  किया गया।  लेकिन रात के समय नदी का जल स्तर बढ़ने से सुरंग में काम करना मुश्किल हो  गया है। इसलिए बचाव अभियान सुबह तक के लिए रोक दिया गया है। उन्होंने बताया सोमवार को सुबह सवेरे नए सिरे से प्रयास किए जाएंगे। इस सुरंग में कई लोगों के फंसे होने की संभावना है। प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की सुरक्षा में तैनात एक हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल भी घटना के बाद से ही लापता हैं। 
लेकिन एसडीआरएफ और आईटीबीपी के जवानों और अधिकारियों ने वह मुहाना भी खोज निकला है जहाँ कुछ और लोग फंसे हो सकते हैं। नवनीत सिंह के मुताबिक एक अन्य टनल में अन्य लोगो के फंसे होने की सूचना है लेकिन गाद मलबा अधिकहोने से समस्याआ रही है लेकिन टीम पूरी मेहनत के साथ अभियान में जुटी हुई है।
एसडीआरएफ के अनुसार हादसे की वजह से रैणी गांव के पास बीआरओ का लगभग 90 मीटर लंबा पुल भी आपदा में बह गया। यह पुल ऋषिगंगा के सीमावर्ती क्षेत्र मलारी को जोड़ता है, लेकिन इसके टूटने से फिलहाल यह क्षेत्र सड़क संपर्क मार्ग से अलग हो गया है। इसके अलावा चार अन्य झूला पुल भी बह गए। इसकी वजह से आसपास के गांवों का संपर्क भी टूट गया है। आपदा की वजह से ऋषिगंगा व धौलीगंगा के 17 गांवों का जिले से संपर्क पूरी तरह कट गया है। इनमें छह गांव के लोग सर्दियों में बर्फबारी के चलते दूसरी जगह चले जाते हैं। फिलहाल 11 गांवों के ग्रामीणों के सामने मुसीबतें बढ़ गई हैं। 

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