रुद्रप्रयाग। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदी का पवित्र संगम स्थल अपनी दयनीय स्थिति को स्वयं ही बयां कर रहा है। जिस संगम स्थल के दर्शन करने के लिये कभी लाखों यात्री पहुंचते थे, वहीं संगम स्थल आज मात्र शमशान घाट तक सीमित रह गया है। शासन-प्रशासन और नगरपालिका की बेरूखी संगम स्थल की दुर्दशा के लिये जिम्मेदार है।
सैकड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदी का संगम स्थल 16-17 जून वर्ष 2013 को आई आपदा में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। आपदा के चार वर्ष का समय होने जा रहा है, लेकिन यह संगम आज भी जस की तस स्थिति में है। आपदा से पूर्व प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्घालु अलकनंदा एवं मंदाकिनी के संगम स्थल पर गंगा जल भरने और स्नान के लिये पहुंचते थे, लेकिन आपदा में संगम स्थल के खण्डहर में तब्दील होने के बाद आज यात्रियों ने संगम स्थल से मुंह मोड़ दिया है।
इस संगम से सैकड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यहां पर एक नारद शिला भी विराजमान है। बताया जाता है कि नारद मुनि ने इस शिला पर बैठक भगवान शिव की वर्षों तक तपस्या की थी। भगवान शिव इसी स्थान रूद्र रूप में प्रकट हुये थे और नारद मुनि को संगीत का ज्ञान दिया था। तब से यहां का नाम रुद्रप्रयाग पड़ा है। संगम स्थल से पचास मीटर की दूरी पर भगवान रूद्रनाथ का भव्य मंदिर है। जहां प्रत्येक दिन हजारों तीर्थ यात्री एवं स्थानीय श्रद्घालु पहुंचते हैं। संगम स्थल किनारे माता चामुण्डा का भी भव्य मंदिर विराजमान है। संगम स्थल और शिव-शक्ति का मंदिर होने के कारण इस स्थान की विशेष मान्यता है।
आपदा से पहले संगम स्थल का नजारा कुछ और ही था। यात्राकाल के समय तो यहां यात्रियों की भरमार रहती थी, लेकिन आपदा में संगम स्थल के क्षतिग्रस्त होने के कारण अब यहां यात्रियों ने आना भी छोड़ दिया है। संगम स्थल पर सुरक्षा के कोई उपाय नहीं हैं। आपदा के बाद से अब तक कई लोग यहां पर बह भी चुके हैं। सांय के समय हर रोज यहां पर गंगा आरती होती है, लेकिन आरती करने वाले श्रद्धालुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
बद्रीनाथ धाम से निकलने वाली अलकनंदा और केदारनाथ धाम से निकलने वाली मंदाकिनी नदी का यहां पर भावपूर्ण मिलन होता है, जिसको निहारने के लिये यहां यात्रियों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन शासन-प्रशासन और नगरपालिका इस पवित्र स्थान के प्रति गंभीर नहीं हैं। आपदा के चार सालों में संगम स्थल की किसी भी प्रकार से सुध नहीं ली गई है। जो यात्री यहां आ भी रहे हैं, वह जान जोखिम में डाल रहे हैं। शव जलाने वाले आये दिन संगम स्थल पर गदंगी करते रहते हैं। ऐसे में मां अलकनंदा और मंदाकिनी की पवित्रता भी धूमिल हो रही है। वहीं नगरपालिका अध्यक्ष राकेश नौटियाल का कहना है कि संगम तक आने वाले रास्तों को दुरूस्त कर दिया गया है। इन दिनों नमामि गंगे योजना के तहत संगम स्थल का पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है। आगामी यात्रा सीजन तक संगम का बदला स्वरूप नजर आयेगा।