शिक्षक आंकित जोशी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी के खिलाफ खोला मोर्चा, न्यायालय में चुनौती देने की कही बात
देहरादून : मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून प्रदीप रावत के द्वारा शिक्षक अंकित जोशी का प्रधानाचार्य के माध्यम से स्पष्टीकरण लिया गया था,जिस को लेकर शिक्षक आंकित जोशी का कहना है कि शिक्षा अधिकारी द्वारा पूर्वाग्रह से ग्रसित हो कर इस प्रकार की उत्पीड़नकारी कार्यवाही करने को लेकर निदेशक माध्यमिक शिक्षा को प्रत्यावेदन दिया और प्रत्यावेदन निस्तारण होने तक स्पष्टीकरण का जवाब देने के लिए समय मांगा था, मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा निदेशक को सौंपे गये।
प्रत्यावेदन को स्वतः ही औचित्यहीन मानते हुए समय देने से इंकार कर दिया गया है,और तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण न देने पर उन पर लगाए गए आरोपों का उनके द्वारा स्वीकार करने की बात कही गई है । डॉ० अंकित जोशी का कहना है कि शिक्षा विभाग में कई अधिकारियों के प्रमाण पत्रों की जांच किए किए बिना ही उन्हें मनपसंद पोस्टिंग दे दी जाती है ।
डॉ ० अंकित जोशी ने बताया कि जब शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है तो अधिकारियों के दस्तावेजों की जांच भी एसआईटी से की जानी चाहिए। एससीईआरटी और डायटों में संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों के जब पद ही नहीं हैं तो इनकी पदस्थापना इन संस्थानों में नियम विरूद्ध कैसे हो जाती है ।
देहरादून जैसे जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी का पद को जोड़-तोड़ के आधार संयुक्त निदेशक को न सौंप कर ऐसे उप निदेशक के हवाले किया गया है जिसका प्रशासनिक संवर्ग में सेवा के दौरान एक दिन की भी दुर्गम की सेवा नहीं है ।
खंड शिक्षा अधिकारी से उप निदेशक पद पर इनकी पदोन्नति सुगम में कैसे हो गई ? ऐसे में प्रदीप रावत की पदस्थापना देहरादून जनपद में ही अवैधानिक है । डॉ० अंकित जोशी ने बताया कि ऐसी स्थिति में उच्च न्यायालय में वे मुख्य शिक्षा अधिकारी की पदस्थापना को चुनौती दे सकते हैं ।