धामी की नई कैबिनेट पर सस्पेंस बरकरार : नए चेहरों को मिलेगी जगह या होगी बड़ी काटछांट?

धामी की नई कैबिनेट पर सस्पेंस बरकरार : नए चेहरों को मिलेगी जगह या होगी बड़ी काटछांट?
देहरादून। बहुचर्चित प्रेमचन्द अग्रवाल के बिगड़े बोल प्रकरण के अर्द्ध पटाक्षेप के बाद सीएम धामी के सामने अब एक नयी टीम को गढ़ने की चुनौती है।
प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद धामी कैबिनेट में पांच मंत्री पद खाली हो गए हैं। 2027 चुनाव को देखते हुए नए चेहरों को जगह मिलने की संभावना है।
प्रेमचन्द अग्रवाल के इस्तीफे के बाद धामी कैबिनेट में अब छह मंत्री रह गए हैं। सतपाल महाराज, गणेश जोशी, धन सिंह रावत, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य और सौरभ बहुगुणा। पूर्व कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का बीते साल निधन हो गया था। वह कुर्सी भी खाली है। मंत्रियों की कुल पांच कुर्सियां अभी खाली हैं।
मौजूदा समय में धामी कैबिनेट में पांच नए मंत्रियों को जगह देनी है। मार्च 2022 में सीएम धामी के अलावा 8 मंत्रियों ने शपथ ली थी। उस समय भी मंत्रियों के तीन पद नहीं भरे गए थे। अब कुल रिक्त पदों की संख्या 5 तक पहुंच गई है।
सीएम समेत अधिकतम कुल 12 ही कैबिनेट के हिस्सा हो सकते हैं। प्रेम अग्रवाल के सदन में बोले गए बिगड़े बोल के बाद बढ़ते जनाक्रोश के बाद रविवार 16 मार्च को इस्तीफा दे दिया।
इस इस्तीफे के बाद धामी कैबिनेट में शामिल होने के लिए विधायकों ने बीते कुछ समय से ही अपनी कोशिश तेज कर दी थी। मौजूदा कैबिनेट में कुछ मंत्रियों की परफॉर्मेंस की रिपोर्ट पर भी भाजपा आलाकमान की नजरें हैं। रिपोर्ट कार्ड सही नहीं पाए जाने पर मौजूदा मंत्रियों में से भी कुछ को हटाया जा सकता है।
ऐसे में कई नये चेहरों को भी जगह मिलने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए कैबिनेट पुनर्गठन में क्षेत्रीय व राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखा जाएगा।
पौड़ी लोकसभा से सतपाल, धन सिंह , सुबोध के अलावा स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भी ताल्लुक रखती हैं। हरिद्वार, उत्तरकाशी,पिथौरागढ़,चमोली समेत अन्य क्षेत्रों को कैबिनेट में स्थान नहीं मिला है।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ मंत्रियों की जिम्मेदारी में बदलाव सम्भव है। पुनर्गठन में राज्य को नया स्पीकर मिलने की चर्चाएं भी तेज हो चली हैं।
सम्भावना यह भी है कि कैबिनेट में एक-दो सीट फिर से रिक्त रखी जाय। ताकि आने वाले कल में कैबिनेट विस्तार की आशा में पार्टी विधायक बंधे रहे।
बहरहाल, भाजपा को नये प्रदेश अध्यक्ष की तलाश भी जल्द ही पूरी करनी है। नये अध्यक्ष के चयन और कैबिनेट पुनर्गठन के सिरे भी एक दूसरे से जुड़े हैं।
भाजपा नेतृत्व उत्तराखंड में उपजे पार्टी के इस नये सवाल को किस फार्मूले से हल करती है,यह देखना भी काफी दिलचस्प होगा।