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सुप्रीम कोर्ट का कोलकोता हाईकोर्ट पर पलटवार, जस्टिस कर्णन को 6 माह की सजा

उच्चतम न्यायालय ने तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजने का दिया आदेश

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीएस. कर्णन को न्यायालय की अवमानना के मामले में छह महीने कैद की सजा सुनाई और कहा कि उसके आदेश का तत्काल प्रभाव से पालन हो। उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीश कर्णन के सोमवार को दिए गए आदेश की सामग्री को मीडिया द्वारा प्रकाशित करने पर रोक लगा दी जिसमें उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और उच्चतम न्यायालय के सात अन्य न्यायाधीशों को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने यह भी बताया कि कर्णन इस गलतफहमी में न रहें कि हाई कोर्ट के जज को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

इससे पहले सी एस कर्णन ने सोमवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और उच्चतम न्यायालय के सात अन्य न्यायाधीशों को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। उच्चतम न्यायालय से टकराव को बढ़ाते हुए न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि था आठ न्यायाधीशों ने संयुक्त रूप से 1989 के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम और 2015 के संशोधित कानून के तहत दंडनीय अपराध किया है। उन्होंने शीर्ष अदालत की सात न्यायाधीशों की पीठ के सदस्यों के नाम लिये जिनमें प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ हैं।

कर्णन ने किया था मानसिक जांच कराने से इनकार
पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ स्वत:संज्ञान लेते हुए अवमानना कार्यवाही शुरू की थी और उनके न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति कर्णन ने सूची में उच्चतम न्यायालय की एक और न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर भानुमति का नाम भी जोड़ा जिनके खिलाफ इसलिए आदेश जारी किया गया क्योंकि उन्होंने न्यायमूर्ति कर्णन को न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से रोका था। न्यायमूर्ति कर्णन ने चार मई को उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार मानसिक स्वास्थ्य जांच कराने से इनकार कर दिया था। उन्होंने डॉक्टरों के एक दल से कहा कि वह पूरी तरह सामान्य हैं और मानसिक रूप से स्थिर हैं।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने किया मेरा अपमान : कर्णन
न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि शीर्ष अदालत के आठों न्यायाधीशों ने जातिगत भेदभाव किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम, 1989 के तहत दंडित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आठ न्यायाधीशों ने एक सार्वजनिक संस्थान में मुझे अपमानित करने के अलावा एक दलित न्यायाधीश का उत्पीडऩ किया है। उनके आदेशों से सभी संदेह से परे यह साबित हो गया है।

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