हिमालयन हाॅस्पिटल (HIHT) में हुयी ”नाॅक नीज” की सफल सर्जरी
समय रहते उपचार न करने पर बढ़ जाती है विकृति
विटामिन डी की कमी और किडनी के रोग के कारण होती है बीमारी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । HIHT (हिमालयन हाॅस्पिटल) हिमालयन हाॅस्पिटल जौलीग्रांट के हड्डी रोग विभाग ने एक किशोरी की नाॅक नीज की सफल सर्जरी की है। पिछले दो साल से चलने में असर्मथ किशोरी अब पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर जा चुकी है।
हिमालयन हाॅस्पिटल जौलीग्रांट के हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅ. चेतन पेशीन ने बताया कि मेरठ निवासी एक 13 वर्षीय किशोरी को उसके परिजन घुटनों में दर्द व चलने में परेशानी की समस्या को लेकर उनकी ओपीडी में लाये। डाॅ. चेतन पेशीन ने बताया कि किशोरी नाॅक नीज की समस्या से ग्रसित थी, घुटने अंदर की तरफ मुड़े हुये थे। जिस कारण उसे चलने में परेशानी हो रही थी। इसके बाद उसकी विटाामिन डी की जांच करायी गयी। जांच में विटाामिन डी की कमी पायी गयी। जिसके बाद 6 हफ्ते तक उसे विटामिन डी की खुराक दी गयी।
विटामिन डी का स्तर सामान्य होने पर सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। 6 फरवरी को किशोरी के बांए घुटने की सर्जरी की गयी। जिसमें सुधार होने के पश्चात 13 फरवरी को दूसरे घुटने की भी सर्जरी की गयी। इसके पश्चात उसे चिकित्सकों की गहन निगरानी में रखा गया। डाॅ. चेतन पेशीन ने बताया कि सर्जरी के बाद रिकवरी में 1 से दो महीने का समय लगता है और मरीज फिर से सामान्य रूप से चलने लगता है। डाॅ. चेतन पेशीन ने बताया कि इस सर्जरी में शरीर के भार को वहन करने वाले अक्ष में सुधार किया जाता है। जिसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यदि समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाता है तो विकृति बढ़ने के साथ घुटने के जोड़ खराब हो जाते है।
क्या है आखिर यह नाॅक नीज की बीमारी
डाॅ. चेतन पेशीन ने बताया कि यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें आपके घुटने अन्दर की तरफ हो जाते है। 3 से 4 साल तक के बच्चों को बो लैग्स और इसके बाद में 5 साल तक के बच्चों को नाॅक नीज होता है तो उस दौरान आपको चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। अगर इसके बाद में 8 साल या इससे ज्यादा उम्र के बच्चों को यह समस्या रहे तो आपको कुछ तरह की एक्सरसाइज घर पर ही करवानी चाहिए। ज्यादा परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि आगे जाकर इस तरह की समस्या पैदा ना हो। नाॅक नीज में पैरो के घुटनों की बीच गैप बहुत कम हो जाता है जिसकी वजह से चलने-फिरने के दौरान घुटने एक दुसरे को टच करने लगते है। यह ज्यादातर रक्तस्राव रोग या सूखा रोग की वजह से होता है।