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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए जताई हैरानी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हाई कोर्ट का फैसला हैरान करने वाला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा : “ऐसा आदेश कैसे पारित हो सकता है, सीएम मामले में पक्ष ही नहीं थे उनके खिलाफ जांच की कोई मांग भी नहीं थी, यह हैरान करने वाला आदेश है।”

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए हैरानी जताई है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा हाई कोर्ट नैनीताल का यह फैसला चौंकाने वाला है।  
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह इस फैसले की समीक्षा करेगा तथा उसके बाद मामले में आगे की कार्रवाई करेगा।
गौरतलब हो बीते दिन नैनीताल हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए थे जिस पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। 
जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की खंडपीठ ने 27 अक्टूबर को पारित हाई कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 155.6, 155.7 और 155.8 को रोक दिया।
आज मुख्यमंत्री रावत के लिए अपील करते हुए, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सीएम के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का आदेश दिया था, जो इस मामले की पक्षकार नहीं थी। कहा कि , “सीएम इस मामले में एक पक्ष नहीं था और उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है, जो सरकार को अस्थिर करने से इनकार करता है, क्योंकि इस तरह के फैसले सीएम के इस्तीफे की मांग नहीं करते हैं,
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीएम पर आरोप लगाने वाले पत्रकार की ओर से दलील दी कि यह मामला गंभीर है क्योंकि रावत के खिलाफ आरोपों से जुड़े व्हाट्सएप संदेश और बैंक खाते हैं।
जबकि सीएमकी तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश कानून का उल्लंघन है।
न्यायमूर्ति शाह ने उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत अपनी उच्च न्यायालय नैनीताल ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के बाद  “सभी को आश्चर्यचकित कर दिया गया था” जब याचिकाकर्ताओं द्वारा इस तरह का कोई मुद्दा ही नहीं उठाया गया था। जस्टिस भूषण ने कहा- “सीएम कोई पार्टी ही नहीं थी और इस तरह का कठोर आदेश पारित किया गया है।”
अदालत ने 27 अक्टूबर के फैसले के कुछ हिस्सों का याचिका में नोटिस जारी किया है । चार सप्ताह बाद मामले की सुनवाई होगी।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे तथा पुलिस को पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा सीएम के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज करने का भी निर्देश दिया था।
ऐसा करते समय, अदालत ने शर्मा द्वारा दायर याचिका को इन आरोपों वाले वीडियो प्रकाशित करने के लिए इस साल उनके खिलाफ दायर एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, “यह न्यायालय का विचार है कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, यह सच को उजागर करना उचित होगा। यह राज्य के हित में होगा कि संदेह साफ हो जाए। इसलिए, याचिका की अनुमति देते समय, यह न्यायालय जांच के लिए भी प्रस्ताव करता है। ”
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए यह भी कहा है कि “हाईकोर्ट में ऐसा आदेश कैसे पारित हो सकता है ? जबकि मामले में मुख्यमंत्री पक्ष ही नहीं थे। और न उनके खिलाफ कोई जांच की कोई मांग ही की गई थी। यह हैरान करने वाला आदेश है। सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस देते हुए  चार हफ्ते में जवाब देंने के आदेश दिए हैं। 

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