CAPITAL

निकाय चुनाव पर सरकार और चुनाव आयोग में तनातनी !

  • राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा अब समय पर नहीं हो सकते निकाय चुनाव !
  • मजबूरी में आयोग को हाईकोर्ट जाना पड़ा : सुवर्द्धन शाह
  •  

देहरादून : उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयुक्त सुवर्द्धन ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार निकाय चुनाव के लिए सहयोग नहीं कर रही है। उन्होंने कहा वे चाहते थे कि राज्य के निकाय चुनाव आधुनिकतम वी-पैट से किये जायँ, जिसके लिए हमको 17 करोड़ रुपयों की दरकार थी लेकिन सरकार ने हमें 17 पैसे नहीं दिए।  इसके अलावा आयुक्त ने चुनाव को लेकर सरकार पर जमकर तंज कसे। वहीँ उन्होंने कहा हमने 93 कार्मिकों की मांग सरकार से की थी जिसके एवज में हमें 75 कार्मिक देने का आश्वासन मात्र मिला। 

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सहयोग नहीं मिलने पर मजबूरी में आयोग को हाईकोर्ट जाना पड़ा है।वहीँ उन्होंने यह भी कहा कि वे मुख्यमंत्री  से मिलने के लिए जुलाई से प्रयास कर रहे हैं।लेकिन उन्हें आज तक समय नहीं दिया गया है ,जबकि अन्य प्रदेशों में मुख्यमंत्री द्वारा समय की अनुपलब्धता पर दूसरे ही दिन आयोग को समय दिया जाता रहा है।  उन्होंने कहा उन्होंने सचिव राधिका झा और पीएस सुरेश जोशी से कई बार मुलाकात के लिए कहा, लेकिन वे अब तक मुलाकात नहीं करा पाए हैं।

उन्होने कहा कि अब मई तक किसी भी सूरत में चुनाव नहीं हो पाएंगे। यह भी आरोप लगाया कि आयोग ईवीएम से चुनाव करवाना चाहता था, लेकिन सरकार ने बजट नहीं दिया। चुनाव करवाने के लिए मांगे गए कर्मचारियों की संख्या में भी कमी की गई। वोटर लिस्ट पर काम शुरू होने के बावजूद सीमा विस्तार शुरू कर चुनाव आयोग के कार्यक्रम को डिस्टर्ब किया गया। उन्होंने कहा अब कोर्ट तय करेगा कि प्रदेश में निकाय चुनाव कब होंगे। उन्होंने बताया कि, आयोग दो महीने से चुनाव कराने को तैयार है। उनके अनुसार प्रदेश में 2381200 मतदाता हैं। वहीं 2015 में 1536817 वोटर थे।

उन्होंने कहा राज्य सरकार द्वारा न तो अभी तक परिसीमन ही कराया जा सका है और नहीं चुनाव क्षेत्र में आरक्षण ही तय किया गया है।  उन्होंने कहा शासन द्वारा बार बार उन्हें आश्वस्त किया जाता रहा कि चुनाव प्रक्रिया समय पर पूर्ण किया जायेगा।  हालाँकि उन्होंने कहा चुनाव आयोग की जिम्मेदारी चुनाव समय पर करवाने की जिम्मेदारी है लेकिन सरकार ने जो कार्य करने थे वे समय पर नहीं हो पाए लिहाज़ा अब चुनाव को 15 दिन आगे खिसकाना पडेगा।  

राधिका झा में कराई सरकार की किरकिरी!

वहीँ राज्य निर्वाचन आयुक्त सुबर्द्धन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ़ -साफ़ कहा कि यदि राज्य में राज्य में निकाय चुनाव समय पर नहीं हो पा रहे हैं तो इसके पीछे तत्कालीन नगर विकास सचिव राधिका झा का बड़ा हाथ है।  उन्होंने कहा कि 6 महीने में भी राधिका झा उनकी सीएम से मुलाकात नहीं करा पाईं। 

सुबर्द्धन ने कहा कि वह सीएम त्रिवेन्द्र से मिलकर निकाय चुनाव के बारे में गंभीर चर्चा करना चाहते थे।  उन्होंने राधिका झा को मौखिक तौर पर सीएम से मिलाने का आग्रह किया लेकिन झा ने इसे ठुकरा दिया और पत्र लिखने की बात कही। 

राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि सीएम से सैकड़ों लोग रोज मिलते हैं लेकिन कितनों को पत्र भेजने पड़ता है।  हैरानी तो इस बात पर हो रही है कि पिछले साल सितंबर में ही सुबर्द्धन ने सीएम से मिलने के लिए एक पत्र राधिका झा को भेज दिया था लेकिन अप्रैल 2018 तक उन्हें मिलने का समय नहीं मिला। 

सीएम के सचिव होने के नाते राधिका झा की जिमेदारी थी कि वह मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएम से राज्य निर्वाचन आयुक्त की भेंट कराती लेकिन ऐसा नहीं हो सका और नतीजा ये रहा कि आज निकाय चुनाव समय पर न करने का आरोप निर्वाचन आयोग ने सरकार पर जड़ दिया। 

हैरानी इस बात की भी है कि तब राधिका झा ही नगर विकास विभाग में सचिव भी थीं।  सुबर्द्धन ने भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राधिका झा का नाम लिया और उन पर ठीकरा फोड़ दिया । 

  • मदन कौशिक :  सरकार की सफ़ाई, आयोग को बुलाया तो था
  • चुनाव आयुक्त : आयोग कभी किसी मंत्री के घर जाता है क्या ?

वहीँ आयोग ने जब  सरकार पर निकाय चुनाव में  देरी का आरोप लगाया तो सरकार ने भी कह दिया कि आयोग को बुलाया था लेकिन कोई नहीं आया।  चुनावी जंग से पहले सरकार और आयोग के बीच तक़रार बढ़ गई है। वहीँ आयुक्त ने अनौपचारिक बात में कहा क्या आयोग कभी किसी मंत्री के घर जाता है क्या ।  उन्होंने कहा यदि आयोग को सचिवालय अथवा विधानसभा स्थित मंत्री के दफ्तर में बुलाया जाता तो वे जरूर जाते लेकिन आयोग किसी मंत्री के घर पर कभी भी नहीं जाता। क्योंकि आयुक्त एक संवैधानिक पद होता है। 

हालाँकि  एक दिन पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो आज प्रेस कांफ्रेंस कर तारीखों के ऐलान में देरी का ठीकरा सरकार पर ही फोड़ दिया।  राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि सरकार की वजह से देरी हो रही है। 

राज्य निर्वाचन आयुक्त ने मीडिया से बात करते हुये सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए और कहा कि परिसीमन से लेकर आरक्षण तक के मामले में देरी की गई।  आयोग समय पर चुनाव कराना चाहता है लेकिन सरकार की ओर से सहयोग नहीं मिला। 

ताजा घटनाक्रम के बाद राज्य सरकार भी बैकफुट पर आ गई है।  मंगलवार दिनभर मीडिया से नज़रें चुराने वाले कैबिनेट मन्त्री और सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक सामने आए।  निर्वाचन आयोग के आरोपों पर सफाई दी। 

  • कांग्रेस ने कहा संवैधानिक संस्थाओं को ख़त्म करने का है यह प्रयास

स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों पर कमी को लेकर राज्य निर्वाचन चुनाव के सरकार को ज़िम्मेदार ठहराने के बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है।  कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है सरकार संवैधानिक संस्थाओं को खत्म करने का भी प्रयास कर रही है। 
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग का सरकार के रवैये पर सवाल खड़ा करना बेहद गंभीर मसला है।  उन्होंने कहा कि सरकार ने जानबूझकर यह सारी गड़बड़ की है। 
बिष्ट ने कहा कि सितंबर 2017 में राज्य निर्वाचन आयोग स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियों के तहत मतदाता सूचियां बनाने के लिए काम शुरू कर रहा था तभी राज्य सरकार ने 42 निकायों के सीमा विस्तार का ऐलान कर दिया। 
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार सरकार ने सीमा विस्तार का ऐलान सिर्फ़ सारी प्रक्रिया को उलझाने और चुनावों को लेट करने के लिए किया। 
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी सारी प्रक्रिया समय पर निपट जाती बशर्ते पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय निवासियों के साथ संवाद किया जाता लेकिन सरकार ने तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए जबरन सीमा विस्तार करना चाहा।  इसीलिए अदालत ने इस पर रोक लगाई और जनसुनवाई करने का आदेश दिया। 
बिष्ट ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयुक्त को प्रेस कांफ्रेंस कर यह कहना पड़े कि समय से चुनाव न हो पाने के लिए आयोग नहीं सरकार ज़िम्मेदार है तो यह किसी भी सूरत में इस राज्य और लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। 

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »