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हाईकोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीमकोर्ट में विशेष जनहित याचिका : मुन्ना सिंह चौहान

कानून की गलती सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट में की गई है एसएलपी दायर 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि ‘हाईकोर्ट के एक फैसले पर कांग्रेस और विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता हरेंद्र सिंह रावत द्वारा जो उमेश शर्मा के खिलाफ दी गयी थी, तहरीर के आधार पर केस किया गया है। यह मामला साक्ष्यों को एकत्र करने का विषय है, बावजूद इसके हाईकोर्ट ने इस एफआईआर को निरस्त कर दिया। उन्होंने कहा हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष जनह‍ित याच‍िका (एसएलपी) दायर की है।
भाजपा  प्रवक्ता ने बताया कि हाईकोर्ट में हरेंद्र रावत ने मुख्यमंत्री से रिश्तेदारी निकालने को लेकर कुछ जानकारियां दी थीं, जिसके बाद पत्रकार उमेश शर्मा ने खुद इस बात को कहा कि हरेंद्र रावत की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से कोई नातेदारी नहीं है। गलत जानकारी देकर मुख्यमंत्री को केवल बदनाम किया गया है।
उन्होंने कहा हाईकोर्ट में हरेंद्र रावत ने मुख्यमंत्री से रिश्तेदारी निकालने को लेकर कुछ जानकारियां दी थीं, जिसके बाद पत्रकार उमेश शर्मा ने खुद इस बात को कहा कि हरेंद्र रावत की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से कोई नातेदारी नहीं है। गलत जानकारी देकर मुख्यमंत्री को केवल बदनाम किया गया है। जो 17 एकाउंट दिए गए हैं, उसमें से 10 एकाउंट हरेंद्र सिंह रावत और एक मुख्यमंत्री के रिश्तेदार का है। उन्होंने कहा जांच में पता चला कि इन 11 खातों में पैसे का कोई लेन देन नहीं हुआ है। बाकी बचे 6 खाताधारकों का भी मुख्यमंत्री से कोई लेना-देना नहीं है। यह पूरा मामला कहासुनी के आधार पर जजमेंट आया है।
उमेश शर्मा पर निशाना साधते हुए मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि उनपर 5 राज्यों में करीब 2 दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। उनके ऊपर हर तरह के मामले दर्ज है। चौहान ने कहा कि औचित्यहीन शिकायतों के आधार पर जांच का कोई औचित्य ही नहीं बनता है।
उन्होंने कहा पार्टी मानती है कि हाईकोर्ट का फैसला तथ्यों से परे हैं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को कोर्ट में सुना नहीं गया। शिकायतकर्ता की जब पुलिस ने जांच की तो उन्होंने उसे अपनी जान बचाने के लिए हाईकोर्ट में माना था कि उन्होंने गलत जानकारी दी थी, ऐसे में जांच का कोई औचित्य नहीं।
उन्होंने कहा भाजपा निर्णय की आलोचना कर रही है, हाईकोर्ट की नहीं। हर व्यक्ति को कानून यह अधिकार देता है कि हम निर्णय की आलोचना कर सकते हैं। इस पूरे मामले में भाजपा  के नेता और मुख्यमंत्री को इस पूरे मामले पर कोर्ट ने पार्टी नहीं बनाया और न कभी सुना ही नहीं गया, बावजूद इसके ऐसा निर्णय  दिया गया है जो तथ्यों से परे है।
उन्होंने कहा नैसर्गिग न्याय के तहत न तो मुख्यमंत्री को पार्टी नहीं बनाया गया और न उन्हें कोई नोटिस ही नहीं जारी किया गया। ऐसे में न्यायालय  का यह फैसला गलत है। हम अदालत के फैसले पर विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा किसी अन्य मामले में शिकायतकर्ता को अदालत में झूठ बोलने के लिए एक दिन की सजा सुनाई गई थी। मुख्यमंत्री के खिलाफ किसी तरह का कोई केस बनता ही नहीं, क्योंकि शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में बोला था कि उन्हें इस मामले में झूठ बोला था।

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