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विवादित हैली कंपनी पर मेहरबान ”राका” का चेला सचिव

                               

 राजेन्द्र जोशी 

Golden-exclusiveदेहरादून : उत्तराखंड का नागरिक उड्डयन विभाग सूबे में भारतीय नागरिक उड्डयन विभाग से अनिमियतताओं के लिए निलंबित हेली कंपनी पर ख़ासा मेहरबान नज़र आ रहा है, इसी मेहरबानी से नाराज सूबे के हैली सेवाएँ दे रहीं देश व विदेश की सात कंपनियों ने नैनीताल उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया है। मामले में सुनवाई सोमवार को होगी। मामले में उत्तराखंड के नागरिक उड्डयन विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ”राका” के ख़ास चेले ने इस हैली सेवाओं व हवाई जहाज सेवाओं के लिए दी गयी निविदा में घोटाले की ब्यूह रचना की। लेकिन कहा जाता है कि जब चोर चोरी करता है तो कुछ न कुछ सबूत ऐसे जरुर छोड़ देता है जिससे वह पकड़ा जाता है यह मामला भी ठीक ऐसा ही है। प्रदेश सरकार ने सूबे में हैली व हवाई सेवाओं के लिए बीती 18 नवम्बर को एक टेंडर प्रकाशित किया, जिसके तहत राज्य में हैली व हवाई सेवाओं को चलने का करार किया जाना था, लेकिन यह निविदा प्रणाली में घोटाले की बदबू आने से यह अपने शुरूआती पायदान पर ही लड़खड़ा गयी।

चर्चा है कि सूबे के काबिल अफसर व ”राका” के ख़ास चेले ने एक हेली कंपनी से मिलकर इसका ताना बाना बुना, ताकि उनकी मनचाही हैली कंपनी को राज्य में हैली व छोटे हवाई जहाज उड़ाने का काम मिल सके। इसके लिए निविदा शर्तों को कंपनी के हिसाब से तोड़-मरोड़कर डाला गया। अब यही उनके गले की फांस बन गयी है यही कारण है कि आये दिन निविदा शर्तों में संशोधन के नाम पर विभाग कई ऐसी शर्तों तक को दर किनार कर चुका है जिससे आम आदमी के जीवन तक से तो खिलवाड़ किया ही जा रहा है साथ ही हैली कंपनी को फायदा पहुँचाया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि केदारनाथ में वर्तमान में 13 हैली कंपनिया हेलीकाप्टर सेवाएँ दे रही हैं, जिसमें एक कंपनी ”राका” के चेले की ख़ास कंपनी है जिस पर ”राका” का यह ”ख़ास” चेला ”ख़ास” मेहरबान है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 18 नवम्बर को प्रकाशित इस निविदा को दो-दो बार ही नहीं बल्कि कई बार अपनी चहेती कंपनी को फायदा पहुँचाने की नीयत से संधोधन के नाम पर ऐसी -ऐसी शर्तों को हटाया – जोड़ा व घटाया गया ताकि येन-केन-प्रकारेण चहेती कंपनी को सूबे में काम दिलाया जा सके। इस संशोधन में सबसे महत्वपूर्ण पहलु यह भी है कि निविदा से केदारनाथ सहित उत्तराखंड व पर्वतीय इलाकों में हैली सेवा देने का अनुभव तक की शर्तों तक को हटा दिया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ”ख़ास” सचिव ने 29 नवम्बर को जब प्री-बिड मीटिंग के लिए हैली सेवा दे रही कंपनियों के लोगों को बुलाया और तब कम्पनियों के लोगों ने निविदा की खामियों को अधिकारियों को बताया तो अगले दिन ही संशोधन के नाम पर ये खामियां हटा दी गयी इतना ही नहीं संशोधन के नामपर ”ख़ास” सचिव ने सुरक्षा उपाय तक हटा दिए। वहीँ इस निविदा में एक साल के अनुभव की शर्त तक भी हटा दी गयी ताकि चहेती कंपनी को भीतर किया जा सके। इसमें भारतीय उड्डयन विभाग के सुरक्षा सम्बन्धी रिपोर्ट की शर्त तक को भी हटा दिया गया है।  जिसको हटाने के लिए सूबे का यह विभाग अधिकृत ही नहीं है इतना ही नहीं हैली सेवा के लिए हेलीकाप्टर बी-3 व बेल-407 की उपलब्धता की शर्त को भी हटा दिया गया। मिली जानकारी के अनुसार इस संशोधन के बाद देश की नामी गिरामी कंपनी पवन हंस, हिमालियन एविएशन व ग्लोबल एविएशन जैसी कंपनियां तक बाहर कर दी गयी हैं या वे स्वतः ही निविदा से बाहर हो गयी हैं।

यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि जिस कंपनी पर सूबे के ”ख़ास” सचिव मेहरबान हैं उस कंपनी को नागरिक उड्डयन विभाग ने अनियमितताओं के चलते बीते जून माह में निलंबित ही नहीं किया था बल्कि इस कंपनी के दो पायलेटों तक के लाइसेंस निलंबित कर दिए थे।  ऐसी कंपनी पर ”ख़ास” सचिव की मेहबानी सूबे में क्या रंग दिखाएगी या ”ख़ास” सचिव किसी बड़ी दुर्घटना को सूबे में न्योता देने जा रहे हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन जिस तरह से निविदा शर्तों में आये दिन बदलाव किया जा रहा है वह किसी बड़ी दुर्घटना को अवश्य की न्योता दिए जाने के लिए काफी है।

उड्डयन के क्षेत्र में कार्यरत लोगों का कहना है सूबे के ”ख़ास” सचिव ने जिस तरह से निविदा निकाली है उसके अनुसार यह निविदा स्वयं में निरस्त करने लायक है क्योंकि देशभर में अनुसूचित उड़ान (SCHEDULED) के लिए देशभर की नामी गिरामी उड्डयन कम्पनियाँ जिसमें जेट एयरवेज,गो एयर,स्पाइस जेट, एयर इंडिया जैसी कम्पनियाँ आती है जबकि गैर अनुसूचित (non scheduled flight) उड़ान में हैली सेवाएँ व निजी हवाई जहाज आते हैं। वहीँ सूबे के नागरिक उड्डयन विभाग की यह निविदा स्वयं ही विवादों के घेरे में आ जाती है क्योंकि सूबे के नागरिक उड्डयन विभाग ने अभी तक क्षेत्रीय हवाई व हैली सेवा चलने के लिए केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय से स्वीकृति ही नहीं ली है ऐसे में राज्य सरकार द्वारा मांगी गयी निविदा स्वतः की अमान्य हो जाएगी।

इतना ही नहीं ”ख़ास” सचिव चहेती कंपनी पर किस तरह मेहरबान है इसका उदहारण यह है की जहाँ बीते वर्षों तक गुप्तकाशी, फाटा व सोनप्रयाग से केदारनाथ तक के लिए हैली सेवाओं की दरें 6 हज़ार से 7 हज़ार के बीच थी यह दरें अब बढ़कर 9 हज़ार दो सौ कर दी गयी हैं। जहाँ एक तरफ राज्य सरकार सभी के लिए हवाई सेवा का लाभ देने की बात करती है वहीँ सूबे में तैनात यह ”ख़ास” सचिव राज्य ही नहीं बल्कि देशभर के पर्यटकों के जेबों पर डाका डालने के लिए विवादित कंपनी को फायदा पहुँचाने का काम कर रहा है,जोकि अपने आप में किसी बड़े घोटाले की तरफ साफ़ इशारा करता है।

Tender Published…Date: 18 th November 2016  …… http://ucada.in/ucada2016.pdf

Corrigendum-1…… .http://ucada.in/ucada26.pdf

Corrigendum-2…… http://ucada.in/ucada30.pdf

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