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कांग्रेस के बागियों को भाजपा में सताने लगा अपने भविष्य का डर

प्रधानमंत्री के भाषण के बाद कांग्रेस के बागी हुए असहज 

हरीश रावत ने तलब की बागियों से  जुड़ी कई फाइलें

देहरादून : बाहरीतौर पर भले ही कांग्रेस से बगावत करके भाजपा का दामन पकड़ने वाले  बागी विधायकों के चेहरों  पर मुस्कान नज़र आ रही है लेकिन भीतर से वे अपने को उतने ही डरे हुए व असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।  अच्छी भली विधायकी छोड़ कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए दिग्गज नेता प्रधानमंत्री द्वारा आपदा घोटाले का जिक्र करने को लेकर सकते में हैं। भविष्य में कहीं अब किसी और की पोल -पट्टी कोई भाजपा नेता न कर डाले और इस तरह के बयानों की कहीं और पुनरावृत्ति न हो इसकी चिंता को लेकर बागियों में मंथन मनन भी शुरू हो गया है।

बागियों को चिंता यह सता रही है कि पुराने भाजपाई आगे भी अपने सियासी नफा नुकसान के चलते व अपनी सीटों पर बागी विधायकों का कब्ज़ा होते देख कहीं बेवजह ऐसे मामलों को तूल न देने लग जाएं। सूत्र बताते हैं इस पूरे प्रकरण के बाद ‘बागियों’ में आपसी एकता को और मजबूत किये जाने पर भी जोर दिया जा रहा है।

गौरतलब हो कि 27 दिसंबर को परेड मैदान में आयोजित परिवर्तन महारैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने भाषण में ‘उत्तराखंड में तो स्कूटर भी पैसे खाता है..’ जिक्र करने से राज्य की सियासत गर्म है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के शासनकाल में हुए आपदा राहत घोटाले के जिन्न ने एक फिर बाहर निकलकर प्रदेश की राजनीति को नए मोड़ पर ला दिया है। इसे लेकर जहां भाजपा कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है, इस बयान के बाद जहाँ भाजपा बचाव की मुद्रा में है तो कांग्रेस हमलावर की मुद्रा में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर गयी है, वहीं ‘बागियों’ में भी कसमसाहट है।

वहीँ भाजपा में शामिल इन नये नवेले भाजपाइयों में अपने सियासी भविष्य को लेकर चिंता भी है। हर कोई नेता इसके आगे की आशंका को अपने-अपने हिसाब से आंक रहे हैं। सूत्रों के हवाले से कुछ बागी नेताओं ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए बताया कि जब प्रधानमंत्री ने भरी जनसभा में अपने ही पाले में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर अप्रत्यक्ष रूप से उस घोटाले पर सवाल उठा दिया भले ही जिस पर जांच में घोटाला न होने की पुष्टि खुद मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट में हो गई है।

बागियों को लग रहा है ऐसे में क्या गारंटी है कि कल को भाजपा के कोई पुराने दिग्गज अपने सियासी नफा-नुकसान को भांपकर फाइलों में उनसे जुड़े मुद्दों को बेवजह बाहर निकाल कर नई मुसीबत न खड़ी कर दें। इसमें पॉली हाउस, करोड़ों की जमीन कब्जाने या फिर व्यापारी के उत्पीड़न व खुदकुशी जैसे मामलों पर किसी तरह की शरारत को लेकर सभी आशंकित हैं। वैसे भी उल्लेखनीय है कि सूबे के मुख्यमंत्री ने भाजपा का दामन थाम चुके बागियों की वे सभी फाइल अपने कार्यालय में मंगवा दी है जिसमें बागियों के खिलाफ कही कुछ न कुछ मामला जरुर बनता है और जिसे कांग्रेस चुनाव के दौरान हथियार के रूप में प्रयोग में ला सकती है।

devbhoomimedia

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