Uttarakhand
स्वास्थ्य सेवाओं पर उत्तराखंड सरकार फिसड्डी!

- प्रदेश के दुरस्त क्षेत्रों में स्वास्थ्य की क्या स्थिति होगी : कांग्रेस
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखण्ड सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा तो कर रही है। लेकिन विभागीय अधिकारी और कर्मचारी सरकार के दावों को पलीता लगाने में जुटे हैं। वहीं दून मेडिकल कालेज अस्पताल के डायरेक्टर एजुकेशन आशुतोष सयाना ने कार्रवाई की बात करते हुए कहा कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी और सबकी जिम्मेदारी तय की जाएगी
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते राजधानी के दून मेडिकल कालेज अस्पताल में एक महिला ने शौचालय में बच्चे को जन्म दिया और उपचार के दौरान नवजात की मौत हो गयी। दून अस्पताल में लापरवाही के चलते ये एक महीने के दौरान तीसरा मामला है। इससे पहले भी लापरवाही के चलते दो महिलाओं के फर्श पर बच्चे को जन्म देने के मामले सामने आ चुके हैं।
उत्तराखण्ड के सबसे बड़े और रासजधानी के मुख्य अस्पताल में हालात काफी खराब नज़र आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी और लापरवाही प्रसूताओं की जान पर भारी पड़ रही है। वहीं इस मामले में अस्पताल प्रबंधन जांच और व्यवस्थाओं में सुधार की बात कह रहा है। हॉलांकि इससे पहले के मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
वहीं इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के पास है और वे ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर राजधानी में जब ये हालात हैं तो प्रदेश के दुरस्त क्षेत्रों में स्वास्थ्य की क्या स्थिति होगी। कांग्रेस ने राज्यपाल से भी इसकी शिकायत की है।
दून मेडिकल कालेज अस्पताल उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां उत्तराखण्ड के दुरस्त क्षेत्रों के अलावा उत्तर प्रदेश और हिमाचल की सीमा से सटे जिलों के लोग भी इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल प्रबन्धन की इस तरह की लापरवाही मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है।