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दून महिला अस्पताल में डेढ़ माह में फर्श पर प्रसव की तीसरी घटना
- टॉयलेट में हुई डिलीवरी, बच्चे की मौत, गंभीर हालत में माँ
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड के सबसे बड़े दून महिला अस्पताल पिछले काफी समय से गर्भवती महिलाओं के प्रसव कराने को लेकर विवादों में है। रविवार सुबह अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिला के टॉयलेट में ही प्रसव होने की भनक जैसे ही चिकित्सकों और नर्सों को हुई तो अफरातफरी मच गई। आनन-फानन में प्रसूता को लेबर रूम पहुंचाया गया। जहां दोपहर में नवजात की मौत हो गई। जबकि अभी भी प्रसूता का इलाज चल रहा है। मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने विभागाध्यक्ष से रिपोर्ट तलब की है। डेढ़ माह में फर्श पर प्रसव की तीसरी घटना होने से अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठ रहे हैं।
मामले पर दून मेडिकल कालेज केस्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. चित्रा जोशी के अनुसार महिला सात माह से गर्भवती थी। उसे अस्पताल के एएनसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। सुबह वह पति के साथ टॉयलेट गई थी और वहीं उसे प्रसव हो गया। जहां तक नवजात की मौत का सवाल है तो उसे बचाने का पूरा प्रयास किया गया, लेकिन ‘काग्नीजेनिटल एबनार्मिलिटीज’ की वजह से उसकी मौत हो गई। इसकी जांच कराई जा रही है। यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
घटनाक्रम के मुताबिक एक गर्भवती को दून महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रविवार सुबह महिला टॉयलेट की ओर गई और वहीं उसे प्रसव हो गया। इसकी जानकारी डयूटी पर तैनात नर्सों और डॉक्टरों को दी गई तो आनन-फानन में सभी मौके पर पहुंच गए। प्रसूता को तुरंत लेबर रूम में पहुंचाया गया। जबकि नवजात की स्थिति ठीक नहीं होने पर उसे नियोनेटल केयर यूनिट में भर्ती कराया गया। दोपहर साढ़े 12 बजे इलाज के दौरान नवजात ने दम तोड़ दिया।
वहीं दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि प्रसूता को टॉयलेट में प्रसव होने की बात सामने आई है। विभागाध्यक्ष से रिपोर्ट मांगी गई है। प्रथम दृष्टया जांच में यह बात सामने आई है कि महिला सात माह की गर्भवती थी और उसे अपने आप प्रसव हो गया। नवजात की मौत ‘काग्नीजेनिटल एबनार्मिलिटीज’ की वजह से हुई है। फिर भी सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है।