छह महीने की हुई त्रिवेंद्र सरकार
- राज्य की त्रिवेंद्र सरकार ने छह महीने का कार्यकाल किया पूरा
- कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए और कई पर कार्य जारी
देहरादून । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने 6 माह का कार्यकाल पूरा कर लिया है। आम जनता, गरीब, पिछड़े और दलित समाज के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार ने अपने इस छः माह के अल्पकार्यकाल में कुछ ठोस निर्णय लिये है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की स्पष्ट सोच रही है कि समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति तक विकास योजनाएं पहुंचे। विकास योजनाओं का वास्तविक लाभ पात्र व्यक्ति को मिले। इसके लिए उन्होंने कार्यभार ग्रहण करने के दिन से ही पहल शुरू कर दी थी। आम आदमी की पहुंच सरकार तक हो, इसके लिए कुछ प्रयास किये है, जिनके सार्थक परिणाम सामने आ रहे है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने का काम किया है। सरकारी कामकाज में अधिक से अधिक आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगायी जा सकें। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र जनता से स्वयं सीधा संवाद स्थापित कर रहे है, इसके लिए आधुनिक तकनीक का भी पूरा उपयोग कर रहे है। आज फेसबुक, टिव्टर जैसे सोशल मीडिया सबसे सरल माध्यम है, जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी समस्या सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने अधिकारियों को भी स्पष्ट निर्देश दिये है कि आम जनता से सीधा संवाद कायम किया जाय, जन समस्याओं का त्वरित निस्तारण किया जाय। जनता की समस्याओं का शीघ्र समाधान हो, इसके लिए समाधान पोर्टल को और अधिक प्रभावी बनाया गया है। समाधान पोर्टल के साथ ही शिकायत दर्ज कराने के लिये टोल फ्री नम्बर 1905 हेल्पलाइन की व्यवस्था की गई है तथा आई.वी.आर.एस. के माध्यम से स्थानीय बोलियों में भी शिकायतें दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
प्रदेश में सुशासन स्थापित करने एवं जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री द्वारा सप्ताह में एक दिन व मंत्रियों द्वारा प्रतिदिन जनता दरबार आयोजित किए जा रहे हैं। सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में भी मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों द्वारा नियमित जनता मिलन कार्यक्रम व समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। सेवा के अधिकार अधिनियम को और अधिक सशक्त बनाया गया है, इसके दायरे में अन्य आवश्यक सेवाओं को शामिल कर 150 सेवाओं की सूची तैयार की गई है। ब्लॉक स्तर तक बायोमैट्रिक हाजिरी शुरू कर दी गई है। विभिन्न अनियमित्ताओं की त्वरित जांच हेतु एस.आई.टी. का गठन किया गया है।
सीएम डेशबोर्ड जैसी अभिनव पहल शुरू की गई है। इसके माध्यम से विभागों से संबंधित जानकारी उपलब्ध होगी, जिस पर सीधा नियंत्रण मुख्यमंत्री कार्यालय का होगा। किसी भी सरकार की कार्य प्रणाली का आंकलन उसके द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर किया जा सकता है, कि वह किस दिशा में आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने सबसे पहले राज्यहित में कुछ लक्ष्य निर्धारित किये है, जिनमें 2019 तक हर घर को बिजली एवं शत-प्रतिशत साक्षरता, 2022 तक सबको घर, किसानों की आय दोगुनी करने तथा 5 लाख बेरोजगार युवाओं के लिए कौशल विकास का लक्ष्य रखा गया है।
इन लक्ष्यों से यह समझा जा सकता है कि राज्य सरकार का फोकस आम जन के हित में है। इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए अधिकारियों को निर्देश ही जारी नही किये गये है, बल्कि इसके लिए ठोस कार्ययोजना भी तैयार करने को कहा गया है, और इस दिशा में कार्य शुरू भी हो गया है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अन्तर्गत शेष 63 ग्रामों का विद्युतीकरण दिसम्बर, 2017 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। समस्त परिवारों को 2019 तक विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य है। बिजली चोरी रोकने के लिये ओवरहेड एल.टी. लाइनों को एल.टी.ए.वी. केबल प्रयोग करने का निर्णय लिया गया है। 05 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं को राज्य के स्थायी निवासियों हेतु आरक्षित किया गया है। उजाला एल.ई.डी. योजना के तहत 39 लाख एल.ई.डी. बल्ब वितरित कर दिए गये हैं। मार्च 2018 तक 100 लाख एल.ई.डी. बल्ब वितरण का लक्ष्य रखा गया है।सरकारी दफ्तरों में एल.ई.डी. का उपयोग अनिवार्य किया गया है। उत्तराखण्ड का ग्रामीण क्षेत्र खुले में शौच मुक्त होने वाला देश का चौथा राज्य बना है। राज्य में स्वच्छता अभियान को भारत सरकार का बैस्ट प्रैक्टिसेज दर्जा मिला है।
शहरी स्वच्छता कार्यक्रम के लिए मार्च, 2018 तक सभी 92 शहरी निकायों को ओ.डी.एफ. बनाने का लक्ष्य पूरा करने का दायित्व जिलाधिकारियों को दिया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और अन्य राजस्व कार्यों हेतु 1000 पटवारी भर्ती करने का निर्णय लिया गया है। पर्वतीय चकबंदी कार्य के लिए अधिनियम और नियमावली के लिए कृषि मंत्री की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के स्वयं के गाँव से चकबंदी आरम्भ करने का निर्णय लिया गया है।उत्तराखण्ड में 100 जन औषधि केंद्र खोले जायेंगे। राज्य के 6 अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सुविधा का लक्ष्य रखा गया है। वर्षों से मैदानी जनपदों में तैनात डॉक्टरों की पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती सुनिश्चित की गयी है। प्रदेश में सेना के 70 सेवानिवृत्त डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को सेना के माध्यम से संचालित करने हेतु कार्यवाही चल रही है। राज्य में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी को देखते हुए टेलीमेडिसिन और टेली रेडियोलॉजी की व्यवस्था का निर्णय लिया गया है।