उत्तराखंड, यू पी,पंजाब समेत पांच राज्यों में होंगे एक साथ चुनाव !
28 दिसंबर को चुनाव आयोग पांच राज्यों के चुनाव कार्यक्रम दे सकता है अंतिम रूप !
2012 विस चुनाव के दौरान के समान ही रहेगी इस बार के मतदान केंद्रों स्थिति
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नयी दिल्ली : चुनाव आयोग उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का आयोजन एक साथ करेगा। यूपी में सात चरणों में चुनाव होंगे, जबकि शेष राज्यों में एक ही चरण में चुनाव कराया जाएगा। चुनाव आयोग 28 दिसंबर को होने वाली अपनी बैठक में पांच राज्यों के चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दे सकता है।
चुनाव आयोग ने 2012 विस चुनाव में उत्तराखंड के 9744 मतदान केंद्रों पर चुनाव करवाये थे, जबकि यूपी में सबसे अधिक एक लाख 28 हजार 112 मतदान केंद्र स्थापित किए थे। वहीँ पंजाब में 19 हजार 724, गोवा में 1612 और मणिपुर में 2325 मतदान केंद्र थे। इस बार भी मतदान केंद्रों स्थिति समान ही रहेगी।
आयोग के सूत्रों के मुताबिक 28 दिसंबर को चुनाव के चरणों और तिथियों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इस बीच, आयोग ने सुरक्षा बलों की उपलब्धता और बोर्ड परीक्षाओं के मतदान की तिथियों में टकराव नहीं होने के मुद्दे पर चर्चा कर ली है। साथ ही आयोग ने 255 राजनीतिक दलों को सूची से भी हटाया है और उनको मिलने वाले चंदे के दुरुपयोग के संबंध मे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को पड़ताल करने के लिए पत्र भी लिखा है।
जनवरी के अंत से मार्च के पहले सप्ताह तक हो सकते हैं चुनाव
सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव पहले होगा और बाद में बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। इसी तर्ज पर उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव के कार्यक्रम निर्धारित होंगे। इस लिहाज से माना जा रहा है कि आयोग जनवरी के अंत से मार्च के पहले सप्ताह तक पांचों राज्यों का चुनाव कार्यक्रम तय करेगा।
7 चरणों में हो सकता है यूपी में चुनाव
इसमें यूपी में सात चरणों और शेष राज्यों में एक चरण में चुनाव का आयोजन कराया जाएगा। सूत्रों के अनुसार आयोग द्वारा सुरक्षा बलों की मांग पर केंद्र सरकार की ओर से सहमति जताई गई है। साथ ही संकेत दिया है कि सुरक्षा बलों की उपलब्धता में कोई परेशानी नहीं है।
पार्टियां कर सकती हैं प्रचार, तारीखों का ऐलान होने के बाद 21 दिनों तक
चुनाव आयोग मतदान की तारीख का ऐलान करने के बाद अधिकतम 21 दिन राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए देता है। इसके बाद नामांकन प्रक्रिया और मतदान के संबंध में आयोग की ओर से एक अधिसूचना जारी की जाती है। राजनीतिक दलों के पास इस दौरान दो सप्ताह से ज्यादा समय नामांकन कराने के लिए होता है। इसके बाद मतदान निर्धारित चरणों में कराया जाता है।
आयोग की सबसे बड़ी चिंता इन राज्यों में बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन को लेकर थी जिस पर यह स्पष्ट हो गया है कि जनवरी से मार्च के पहले सप्ताह तक की अवधि में आयोग विस चुनाव करा सकता है। याद रहे कि पांच राज्यों में से गोवा, मणिपुर और पंजाब में विस का कार्यकाल 18 मार्च को समाप्त हो रहा है जबकि उत्तराखंड विस का कार्यकाल 26 मार्च को खत्म हो रहा है। वहीं यूपी विस का कार्यकाल 27 मई को समाप्त हो रहा है।
बोर्ड की परीक्षाओं सहित सुरक्षा बलों की तैनाती पर हो चुकी है चर्चा
गौरतलब है कि आयोग ने यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में पिछले चुनावों में हुई घटनाओं की समीक्षा कर ली है। राज्यों में तैनात चुनाव अधिकारियों की रिपोर्ट पर भी विचार कर लिया है। साथ ही संख्या बल के हिसाब से सुरक्षा बलों की तैनाती पर भी चर्चा हो चुकी है। वहीँ राज्यों में होनी वाली परीक्षाओं की तारीखों पर भी वहां की राज्य सरकारों से चुनाव आयोग के अधिकारियों की बात हो चुकी है , इस सम्बंध में राज्य के अधिकारियों ने चुनाव आयोग को परीक्षाओं की संभावित तिथियों की जानकारी भी दे दी है।