निपट गया ” गैरसैण बजट सत्र ” पर लाख टके का सवाल कि ” अब यख कैन रैण !
क्रांति भट्ट
गैरसैण बजट सत्र निपट गया । पर सोमवार को अराहन्न 1 बजे सत्र समाप्त हुआ , यहाँ से ” सियासत कारों के काफिले और उडन मार्ग से यूं भागी , गोया कि लगा अब तक मजबूरी में रुके थे । ” धूल उडाती ” गैरसेण से रूखसत करती सियासत की अदा से ” भरारी सैण विधान सभा भवन भी अवाक रह गया । गैरसैण उत्तराखंड भी ठगा सा गया ।” 6 दिनों तक चले ” राजनीति के उत्सव ” में ” बजट की चखल पखल रही ।
” चखल पखल माननीयों के हिस्से आयी वेतन भत्ता दुगना हो गया । पक्ष नें राजनीति की पिच पर रक्षात्मक स्ट्रोक खेला । और विपक्ष आरोपों की बालिंग करता रहा । हर बाल पर ” आऊट आऊट ” की अपील करता रहा । मासूम जनता सियासत की पिच पर चल रहे इस मैच को हैरत से देख रही थी । पर ” टेस्ट मैच ” की शैली में खेले गये इस मैच से जनता के हिस्से क्या आया ! मैच खत्म होने के बाद भी किसी के समझ में नहीं आया ।
मैच खत्म होते ही गलबहियां होती हुई ” दोनों टीम ” सियासती अंदाज में मुस्कुराती हुयी भरारी सैण से निकलीं उसे देख ” दिल के कोने से आवाज आयी कि . अच्छा ! टैस्ट मैच में भी फिक्सिंग होती है क्या ?
” खैर , बात बजट सत्र की । 20 मार्च को बजट सत्र को लेकर उत्सुकता और उम्मीद लगाए उत्तराखंड यकटक था । कुछ सकारात्मक भी हुआ । तो बहुत कुछ ऐसा भी , जो लोकतंत्र में वाजिब भी , और उसकी खूबसूरती के लिए जरूरी भी । सत्र शुरु होते ही पहली बार महामहिम ने भरारीसैण विधान सभा में अपना भाषण शुरू किया । सदन के अंदर प्रतिपक्ष ने ” स्थाई राजधानी गैरसैण ” की मांग के नारों के साथ हंगामा शुरू किया । ” गैरसैण स्थाई राजधानी की मांग और मसले पर ” सदन की इस ओर बैठे और उस ओर खडे लोग अपने अपने दिल पर ईमानदारी से हाथ रखते और भगवान या खुदा को हाजिर नाजिर मान कर ” गैरसैण राजधानी ” कौन कितना ईमानदार है , जबाब खुद मिल जाता । पर खैर … महामहिम का भाषण और प्रतिपक्ष का विरोध जारी रहा
सदन के बाहर 3 किमी पहले दिवाली खाल और 12 किमी पर गैरसैण से लेकर 15 किमी के दायरे में जनता ईमानदाराना तौर पर गैरसैण राजधानी को लेकर सडक से लेकर जंगल और विधान सभा परिसर तक जा पहुंची । इन 6 दिनों में जनता अपने इरादों में कहीं भी टस से मस नहीं हुई । पर सियासत कसमस में दिखी ।
गैरसैण स्थाई राजधानी के मसले पर आरोपों और इसके जबाब में सत्ता पक्ष और विपक्ष की ” नूरा कुश्ती ” से परिणाम क्या निकला ! हैरानी और सवाल जस क तस ही रहा ।सरकार ने बजट सत्र को सबल बताया । पहली बार 6 दिन सत्र चलना और 26 घंटे 13 मिनट सदन की कार्यवाही उपलब्धि बताया 45 हजार500 करोड से अधिक का बजट पारित होना व अन्य उपलब्धि सरकार की उपलब्धि बताया । वहीं विपक्ष ” हम रहे अपनी बात रखने में कामयाब की उपलब्धि गिनाता रहा । पर जनता से जुडे मसले व प्रश्नों का अभाव हैरत में डाल गया । अपना वेतन भत्ता दुगना होने की उपलब्धि पर दोनों के चेहरे पर जो नूर टपकाता दिखा , वह देखने लायक था ।
.. खैर अब सत्र समाप्त होने के बाद की । सत्र जैसा ही समाप्त हुआ । माननीय ऐसे निकले , लगा कि अब तक बेमन से थे यहाँ । और घोर आतुरी ( आफत ) में थे । सत्र समाप्त होने के बाद कुछ मिनटों के लिए मीडिया के कैमरों के आगे ” बयानों और बाईट ” के शब्दों की कलाबाजी करना नहीं भूले ।
2 बजे बाद भरारी सैण विधान सभा भवन और परिसर में अजीब सा सन्नाटा पसर गया । यकीन मानिए । दिन में भवन के गुंबद की अंदर पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देने लगी । यहाँ बचे कुछ कर्मचारी कुर्सियां . मेज समेटते दिखे । और 2-30 के बाद तो पूरे परिसर में अजीब सी और काट खाने वाली खामोशी पसर गयी ।
” गैरसैण और मां भरारी भी सियासत के इस खेल और यहाँ हुये राजनीतिक नाटकीय उत्सव के बाद वीरान हुये हालत पर टपटप आंसूं बहाती सी दिखी ।
” जो सियासत कल तक ” गैरसैण गैरसैण ” कह रही थी उसी के आगे सत्र समाप्त होने के बाद यहाँ पसरी खामोश पूछ रही थी ” अब कैन रैण , गैरसैण “!
( अब कौन रहेगा या किसने रहना है गैरसैण , भरारी सैण )