Uttarakhand

त्रिवेंद्र सरकार की टिहरी के बाद पौड़ी में हुई दूसरी कैबिनेट बैठक

  • मंत्रिमंडल ने 13 बिंदुओं पर की चर्चा तो 11 प्रस्तावों पर लगाई मुहर

  • मंत्रिमंडल ने पलायन और विकास पर किया मंथन

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

त्रिवेंद्र सरकार की राजधानी से बाहर दूसरी कैबिनेट

राजधानी से बाहर त्रिवेंद्र सरकार की यह दूसरी कैबिनेट बैठक है। पहली बैठक त्रिवेंद्र सरकार ने टिहरी झील में की थी। उनसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार में, विजय बहुगुणा गैरसैंण में और हरीश रावत हरिद्वार, अल्मोड़ा और केदारनाथ में कैबिनेट की बैठकें कर चुके हैं।

पौड़ी : पौड़ी कमिश्नरी के 50 साल पूरे होने पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर पौड़ी के गढ़वाल मंडल मुख्यालय में पहली बार शनिवार को प्रदेश मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की एक साथ बैठक बैठक हुई। बैठक की शुरुआत में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के बेटे अंकुर की असामायिक मृत्यु पर दो मिनट का मौन रखा गया।

मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल की बैठक के निर्णयों की  जानकारी देते हुए प्रदेश सरकार के शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक में 13 विषयों पर चर्चा हुई। जिसमें 11 पर अंतिम मुहर लगी। 

उन्होंने बताया मंत्रिमंडल की बैठक में जिन 13 में से 11 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गयी। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल की पौड़ी में पहली और पर्वतीय जिला मुख्यालय में दूसरी कैबिनेट बैठक में पौड़ी और आसपास के क्षेत्रों को तोहफा दिया गया। पौड़ी में 6.92 करोड़ लागत से ल्वाली झील के निर्माण को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई। यह झील आसपास के करीब दर्जनभर गांवों को पेयजल और सिंचाई की सुविधा मुहैया कराएगी ही, साथ में पिकनिक स्पॉट के रूप में स्वरोजगार के मौके पैदा करने जा रही है।

पलायन की सर्वाधिक मार से त्रस्त इस जिले को एनसीसी प्रशिक्षण अकादमी का तोहफा भी दिया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों की परंपरागत फसलों को बाजार मुहैया कराते हुए मंडी समिति में रिवॉल्विंग फंड को मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल ने दिव्यांगजनों से संबंधित एक्ट की नियमावली को मंजूरी दी। इससे दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर देकर आर्थिक व सामाजिक विकास का रास्ता खोला गया है।

गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी में शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में पहले मंत्रिपरिषद और फिर मंत्रिमंडल की बैठक ने कमिश्नरी की गोल्डन जुबली के मौके को और खास बना दिया। मंत्रिमंडल के फैसलों को काबीना मंत्री व सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ल्वाली झील प्रोजेक्ट को दून में सौंग नदी पर बनने वाले बांध की तर्ज पर ही अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया है।

छह करोड़ 92 लाख 77 हजार की लागत से बनने वाली यह झील आसपास के क्षेत्र का कायाकल्प करने वाली साबित होगी। इससे पेयजल व सिंचाई की समस्या का समाधान होगा ही, साथ में पर्यटन स्थल के तौर पर क्षेत्र विकसित होगा। इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा। इसीतरह पौड़ी जिले के सितोनस्यूं पट्टी के देवाल ग्राम में एनसीसी प्रशिक्षण अकादमी के लिए 3.67 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। अकादमी बनने से पलायन की समस्या पर अंकुश लगेगा। साथ में इस क्षेत्र की अलहदा पहचान भी बन सकेगी।

पर्वतीय खेती को सरकार का समर्थन >>>>>

किसानों की दोगुनी आय के संकल्प को पूरा करने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होने से किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिलेगा। साथ ही किसानों के सामने उत्पादन बेचने की समस्या नहीं रहेगी। आने वाले समय में सरकार के इस फैसले से कृषि क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।
-सुबोध उनियाल, कृषि एवं उद्यान मंत्री

त्रिवेंद्र सरकार ने पारंपरिक फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और मार्केटिंग के लिए 10 करोड़ का रिवाल्विंग फंड को मंजूरी देकर प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत दी है। इससे किसानों को फसलों का उचित दाम मिलेगा। वहीं, मार्केटिंग के लिए बिचौलियों से छुटकारा मिलेगा। उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड सीधे किसानों से फसलें खरीदेगा और प्रोसेसिंग कर आगे बेचेगा। पौड़ी में हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगा दी है। इससे छोटे व सीमांत किसानों से उनके उत्पाद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाएंगे।

सरकार ने पहले चरण में मंडुवा, झंगोरा, चौलाई, गहत, काला भट्ट, राजमा का एमएसपी तय किया है। अभी तक इन फसलों का एमएसपी तय न होने से किसानों को उचित दाम नहीं मिलते हैं। अब सरकार की पहल से किसानों को उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा। जिसमें झंगोरा 1950 रुपये प्रति क्विंटल, चौलाई 2935 रुपये, काला भट्ट 3468 रुपये, गहत 7725 रुपये और राजमा 7920 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया। 

पर्वतीय गांवों से बड़ी संख्या में पलायन और खेती छोड़ रहे स्थानीय निवासियों को राहत देने के लिए मंत्रिमंडल के इस कदम को अहम माना जा रहा है। कोदा, झंगोरा, गहथ, तुअर, चौलाई जैसी परंपरागत फसलों को अब मंडी परिषद खरीदेगी। इसके लिए पहले चरण में 10 करोड़ फंड रखा गया है। इसे 100 करोड़ तक ले जाया जाएगा। 

त्रिवेंद्र कैबिनेट के अन्य फैसले >>>>>

-पौड़ी में 6.92 करोड़ लागत से ल्वाली झील के निर्माण को सैद्धांतिक स्वीकृति

-पौड़ी में सितोनस्यूं पट्टी के देवाल गांव में एनसीसी प्रशिक्षण अकादमी को मंजूरी, 3.67 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण

-मंडी परिषद के अंतर्गत रिवॉल्विंग फंड के गठन पर सहमति, पहाड़ की पारंपरिक फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का रास्ता साफ 

-दिव्यांगजनों के लिए संबंधित अधिनियम के तहत नियमावली पर मुहर, दिव्यांगजनों को समान अवसर, होगा आर्थिक, सामाजिक विकास, रुकेगी ङ्क्षहसा

-वित्त-कोषागार विभाग एनआइसी के अतिरिक्त आउटसोर्सिंग से रख सकेंगे कार्मिक

-चौखुटिया नगर पंचायत को मंजूरी, 4467 जनसंख्या के लिए 12 नए गांव शामिल

-विज्ञापन नीति में संशोधन को अनुमति, इस संबंध में अधिप्राप्ति नियमावली में संशोधन करेगा वित्त विभाग 

-सड़क सुरक्षा समिति के प्रारूप में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुनर्गठन, परिवहन आयुक्त के स्थान पर संयुक्त आयुक्त करेंगे समिति की अध्यक्षता

-पर्यटन विकास परिषद के तहत साहसिक खेल अधिकारी, वरिष्ठ साहसिक खेल अधिकारी के वेतन विसंगति के निपटारे को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति में संबंधित विभाग, न्याय, वित्त, व कार्मिक सचिव भी होंगे

-महिला एवं बाल कल्याण विभाग के ग्रेड वेतन का निर्धारण करेगी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति

-मैसर्स फिल इंडस्ट्रीज लिमिटेड नई दिल्ली को पुरकुल-मसूरी रोपवे का कार्य सौंपने को अनुमति, पीपीपी मोड में होगा कार्य

-सचिवालय के नजदीक सचिवालय प्रशासन ने 26.54 करोड़ की भूमि अधिग्रहीत की गई थी, लेकिन इसके उत्तराधिकारी न्यायालय गए और 15 वर्ष बाद भूमि की कीमत अधिक होने के कारण अधिग्रहण का निर्णय निरस्त

-विधानसभा के सत्रावसान को मंजूरी

वहीं बैठक से पहले मुख्यमंत्री ने रांसी स्टेडियम के पास पौधरोपण किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि इन पौधों के नाम ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत बालिकाओं के नाम पर रखा जाएगा। जबकि इन पौधों की देखभाल बालिकाओं की माताओं द्वारा की जाएगी। उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के दिन के बाद यह पहली मौक़ा  है जब मंत्री परिषद और मंत्रिमंडल की बैठक एक ही दिन रखी गई है।

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