देहरादून। उतराखंड प्रदेश में विज्ञापन विशेषांक के नाम पर बंदरबांट को लेकर एक खुलासा हुआ है। पचास हजार करोड़ के कर्ज में डूबी सरकार जन धन को लूटाने में कोई कोई कसर नही छोड़ रही है। किस तरह से विज्ञापन के नाम पर लूट मची है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। प्रदेश के समाचार पत्रों को विज्ञापनो की मनाही औऱ दिल्ली लखनऊ,कर्नाटक की 14 मैगजीनों को सरकार ने सवा करोड़ बाँट दिए। सूचना अधिकार से मिली इस जानकारी के मुताबिक सूचना निदेशालय ने बाहरी मैगजीनों पर बड़ी कृपा दिखाई है।
प्राप्त सूचना के मुताबिक सूचना विभाग के माध्यम से विज्ञापन विशेषांक जारी किए गए। हैरानी की बात यह है कि जो सूचना बिभाग उतराखंड के समाचार पत्रों को पांच, दस हजार का ही विज्ञापन देकर नियम कानून का पाठ पढ़ाता है वही सूचना विभाग इन बाहरी प्रदेशो की मैगजीनों पर मेहरवानी क्यो दिखा गया।
सूत्रों की मानें तो सरकार में बैठे एक सलाहकार और सूचना के कुछ अफसरों को इसकी एवज खूब मोटा माल मिला है। आरटीआई से प्राप्त सूचना चौकाने वाली है। दिल्ली लखनऊ,कर्नाटक की चौदह मैगजीनों को विशेषांक के केवल हजार दस हजार नहीं, बल्कि पूरे 19 लाख ,11 लाख ,चार लाख, सात लाख, जैसे कुल मिलाकर लगभग सवा करोड़ के विज्ञापन बाँटे गए हैं।
इतना ही नहीं सूचना निदेशालय में बैठे काबिल ने उक्त मैगजीनों को जिन दरों पर विशेषांक दिए गए उनका सत्यापन करना भी उचित नहीं समझा गया। दरों पर नजर पड़ते ही बंदरबांट की शंका और मजबूत हो जाती है। सवा करोड़ वह भी सिर्फ सिर्फ 14 मैगजीनों में छवि चमकाने पर खर्च करने पर अब सूचना निदेशालय पर सवाल खड़े होने लगे है।
यूकेडी महानगर अध्यक्ष सुनील ध्यानी कहते हैं कि इस प्रदेश में सरकार नाम की चीज ही नही है। खनन,शराब जमीनों, विज्ञापनों की लूट मची है। डबल इंजन मजबूत सरकार के जीरो टॉलरेंस केवल दिखाने के लिए रह गया है ।
विज्ञापनों के नाम पर जिस प्रकार से बंदरबांट सामने आई है उससे लगता है कि सूचना विभाग के अफसर मिलीभगत कर खजाने को लुटाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं जैसा की ये पिछली सरकारों में भी करते आये थे।