सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ दायर केस को किया स्थगित

सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की नहीं मानी दलील और दिया उल्टा झटका
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों की ओर से दायर की गई याचिका पर फाइनल सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए बागी विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ दायर इस केस को स्थगित कर दिया। इस याचिका में कहा गया था कि विस स्पीकर के पास राष्ट्रपति शासन के दौरान विधानसभा बुलाने और उसे बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। बागी विधायकों ने नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के दौरान बागी विधायकों को विधान सभा से बर्खास्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। बागी विधायकों की तरफ से सप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि विधानसभा स्पीकर के पास विधायकों को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। मामले में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और अन्य विधायकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा।
बता दें कि पिछले साल उत्तराखंड कांग्रेस सरकार के बागी विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री और हाल में बीजेपी नेता विजय बुहुगुणा के नेतृत्व में स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा उन्हें विधानसभा से बर्खास्त करने के मामले को संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया था। उन्होंने कहा था गोविंद सिंह कुंजवाल अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए दंड मिलना चाहिए।
गौरतलब हो कि कांग्रेस के बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही ठहराने वाले नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले नैनीताल हाई कोर्ट ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता को अयोग्य बताने वाले विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही ठहराया था।
उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने इन विधायकों की सदस्यता दलबदल कानून के तहत रद्द कर दी थी। विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को इन विधायकों ने नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट के जज यूसी ध्यानी के पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।