PERSONALITY

सत्यनिष्ठा और एकीकरण के प्रतीक सरदार बल्लभ भाई पटेल

भारतीय गणराज्य में हैदराबाद सहित 562 सभी छोटी बड़ी रियासतों को शामिल कराने में थी महत्वपूर्ण भूमिका 

सत्यनिष्ठा और एकीकरण के प्रतीक सरदार बल्लभभाई पटेल तभी कहलाए थे लौह पुरुष

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : सरदार वल्‍लभ भाई पटेल सत्यनिष्ठा और एकीकरण के प्रतीक थे।आज उनकी 70वीं पुण्‍यतिथि है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि सरदार पटेल नहीं होते तो शायद जिस भारत को आज हम देखते हैं वो नहीं होता। उन्‍होंने कई छोटी बड़ी रियासतों को भारत में शामिल किया। इसलिए ही उन्‍हें भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। सरदार का योगदान केवल भारत को एकत्र करने में ही नहीं था बल्कि आजादी की लड़ाई में भी उनका योगदान अतुलनीय था। वे स्वतंत्र भारत पहले उप प्रधानमंत्री थे। वर्ष 2014 से केन्द्र सरकार ने उनके जन्‍मदिवस को प्रतिवर्ष राष्‍ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। आज ही के दिन 15 दिसंबर 1950 को उन्होंने अंतिम सांस ली थी।

गुजरात के नाडियाड जिले में जन्‍में सरदार पटेल की गिनती भारत के सफलतम अधिवक्ताओं में की जाती थी। उन्‍होंने लंदन से के मिडिल कॉलजे से लॉ की पढ़ाई की थी। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान उनकी पहली मुलाकात सन् 1917 में महात्‍मा गांधी से हुई थी। सरदार पटेल ने पूरे भारत में अंग्रेजो से स्‍वराज की मांग को उठाने की अलख जगाई थी। इसके लिए उन्‍होंने अंग्रेज सरकार के समक्ष एक अपील भी फाइल की थी।

सरदार पटेल केवल नेता ही नहीं थे बल्कि समाज सेवी भी थे। जिस समय गुजरात के खेड़ा में प्‍लेग की महामारी फैली थी उस समय उन्‍होंने महामारी से पीड़ित लोगों की हर सम्भव मदद के लिए राहत कार्य चलाया था। बाद में उन्‍होंने अपने वकील के पेशे को पूरी तरह से छोड़ दिया और देश सेवा में जुट गए थे। वो देश की आजादी के लिए छेड़ी गई जंग में आगे की कतार में मौजूद लोगों में शामिल थे। सरदार बल्लभभाई पटेल ने ही गुजरात सत्‍याग्रह की शुरुआत की थी।

सरदार पटेल 1920 में गुजरात कांग्रेस राज्‍य इकाई के अध्‍यक्ष भी थे। उन्‍होंने राज्‍य समेत पूरे देश में शराब से मुक्ति और छुआछूत, जातीवाद और महिला सशक्तिकरण के लिए बढ़-चढ़कर काम किया। उन्‍होंने महात्‍मा गांधी चलाए गए असहयोग आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लिया और देशवासियों को खादी पहनने के लिए जागरुक किया। आजादी के बाद उन्‍होंने देश में मौजूद हैदराबाद सहित 562 सभी छोटी-बड़ी रियासतों को भारतीय गणराज्य में शामिल होने के लिए राजी किया।

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