स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व सांसद परिपूर्णानन्द पैन्यूली जी की जयंती पर नमन

टिहरी राजशाही की बर्बरता,शोषण का शिकार स्व. पैन्यूली को टिहरी रियासत से आजादी के लिए उन्हें टिहरी जेल में कड़ी यातनाएं झेलनी पड़ी
चन्द्रशेखर पैन्यूली
स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी,जाने माने पत्रकार रहे,टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से 1971-77 तक सांसद रहे स्व.श्री परिपूर्णानन्द पैन्यूली की जयंती (19नवम्बर1924)पर उन्हें कोटि कोटि नमन।
स्व.श्री परिपूर्णानन्द पैन्यूली जी स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रदूत रहे,भारत छोड़ो आंदोलन में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,आजादी के आंदोलन में वर्षों जेल में बंद रहे,आदरणीय पैन्यूली जी ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ साथ टिहरी राजशाही के खिलाफ भी बड़े आंदोलन का बिगुल फूंका,परिपूर्णानन्द जी को टिहरी राजशाही की बर्बरता,शोषण का शिकार भी होना पड़ा ,टिहरी रियासत की आजादी के लिए उन्हें टिहरी जेल में कड़ी यातनाएं झेलनी पड़ी।
टिहरी से राजशाही की आंखों में धूल झोंककर जेल से कूदकर भिलंगना और भागीरथी की विपरीत धारा में तैरकर जंगलों के रास्ते छुपकर परिपूर्णानन्द मालदेवता होकर देहरादून और फिर दिल्ली में नाम बदलकर रहे,दिल्ली में स्वाधीनता आंदोलन के साथ साथ टिहरी राजशाही को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए आंदोलन करते रहे। दिल्ली से फिर टिहरी आकर इन्होंने आंदोलन का नेतृत्व किया।
स्व. श्री पैन्यूली जी तब प्रजा मंडल के प्रथम अध्यक्ष चुने गए।स्वतंत्रता आंदोलन और टिहरी को आजाद कराने में इन्होंने एक पत्रकार के तौर पर भी बड़ी भूमिका निभाई। देश की आजादी के बाद टिहरी रियासत के अलग होने में श्री पैन्यूली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तब इनका बड़ा दुर्भाग्य रहा क्योंकि यदि तब की टिहरी रियासत के साथ कुछ अन्य पहाड़ी जिलों को मिलाकर नया पहाड़ी राज्य अस्तित्व में आता तो निःसन्देह श्री पैन्यूली तब उस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनते।
स्वतंत्र भारत के संसदीय चुनाव में श्री पैन्यूली जी ने 1971 में टिहरी रियासत के पूर्व महाराजा मानवेन्द्र शाह को हराकर एक ऐतिहासिक जीत हासिल की थी,वे पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने राजशाही में भी टिहरी राजाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी और स्वतंत्रता के बाद भी रियासत के पूर्व महाराजा को हराया।
आपातकाल के बाद 1977 के आम चुनाव में भी जनता पार्टी श्री पैन्यूली जी पर ही दाव लगानी चाहती थी,लेकिन श्री पैन्यूली जी ने अपनी मूल राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अलावा कहीं भी जाने से मना कर दिया और तब का चुनाव भी नही लड़ा,वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे साथ ही वे हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के भी प्रमुख नेता रहे,हिल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने पहाड़ के विकास की मजबूत बुनियाद रखी।
उन्होंने जीवन भर समाज के गरीबों, वंचितों शोषितों के लिए लड़ाई लड़ी,हरिजनों के उत्थान के लिए उन्होंने बड़ी लड़ाई लड़ी। जौनसार में परिपूर्णानन्द जी का अशोका आश्रम आज भी गरीबों,पिछडो की सेवा,उनके बच्चो के उत्थान हेतु कार्य कर रहा है,उन्होंने जीवन पर अनेकों संघर्षो को झेला,उनका जन्म टिहरी के निकट छोल गॉव खासपट्टी में हुआ था,इनके पिताजी राजशाही में जाने माने इंजीनियर थे,इनका मूल गॉव लिखवार गॉव ,बनियानी(भदूरा पट्टी ) है,ऐसे महान क्रांतिकारी, स्व. श्री परिपूर्णानन्द जी की जयंती पर उन्हें नमन,उनका जीवन,आपका संघर्ष सदैव हमे प्रेरणा देता रहेगा