ऐसे मरीज जो एंजियोप्लास्टी, स्टेंटिंग या बाइपास सर्जरी नहीं कराना चाहते हैं, उनके लिए ईसीपी थेरेपी का ईजाद
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
तकनीक की इस दुनिया में दुनिया काफी तेजी से चल रही है और चिकित्सा जगत में भी इसका साफ प्रभाव देखने को मिल रहा है। फिर चाहे इलाज की बात हो या किसी तरह की जांच प्रक्रिया, ज्यादातर लोग तकनीक से लाभान्वित हो रहे हैं। इसी तरह इंटरनेट ने भी चिकित्सा को लेकर लोगों के मन में उठने वाली शंकाओं को दूर कर दिया और सवालों का जवाब भी दे रहा है। लेकिन इन सभी के बीच लोग असमंजस में भी आ गए हैं और इसकी वजह से वे या तो उपचार लेने में देर कर दे रहे हैं या फिर खुद अपनी चिकित्सा करके शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
दरअसल इंटरनेट पर उपलब्ध कई रोगों की चिकित्सा विधि से लोग खुद चिकित्सक बनने लगे हैं और इस वजह से बीमारी बढ़ जाती है और असमंजस भी। चिकित्सक भी अधिकांश बार प्रभावशाली बातचीत को लेकर सतर्क रहते हैं और मरीज भी आमतौर पर कई सारे सवाल पूछने के लिए संशय में रहते हैं। ऐसे में दोनों और यानी डॉक्टर एवं मरीज के बीच विस्तार से बातचीत कई बार रह जाती है। आमतौर पर चिकित्सकों की ओर से ही मरीजों को आदेश दिए जाते हैं। ऐसी स्थिति में दिल से संबंधित समस्या से जूझ रहे लोगों की बेहतरी के लिए डॉ. आदित्य रतन आगे आए और उन्होंने एक किताब लिखी, जिसमें बड़ी संख्या में दिल से जुड़ी बीमारियों से संबंधित सवालों को आसान एवं बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इस किताब को इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि यह मरीजों के दिमाग से सारी अनिश्चितताओं को दूर कर देगा। इसीलिए इसका शीर्षक दिया गया है, इंस्टॉल एंटी वायरस इन योर हार्ट वेयर, जिसमें बताया गया है कि आपको अपने कार्डियोलॉजिस्ट से आमने-सामने बात करनी चाहिए।
इस किताब के जरिए कोई व्यक्ति आमतौर पर उठने वाले संदेहों, सवालों को आकर्षक रूप में पढ़ सकता है, जिन्हें आमतौर पर मरीज पूछने से झिझकते हैं, उन्हें अपनी डाइट को लेकर चिकित्सकीय जागरूकता, सर्वोत्तम पोषण, व्यायाम, ब्लड शुगर को लेकर बेहतर नजरिया, रक्तचाप, बीएमआई, लिपिड प्रोफाइल आदि, उचित वसा का ग्रहण, तेल, विटामिन आदि पर खास तौर पर किताब में सरल सामग्री मिलेगी। इसके अलावा कुछ सवाल जैसे मेरा सामान्य रक्तचाप और ब्लड शुगर कितना होना चाहिए? ईसीजी, ईकोकार्डियोग्राफी, टीएमटी क्या है? कोरोनरी एंजियोग्राफी और स्टेंटिंग कैसे किए जाते हैं? ब्लॉकेज से बचने के लिए मुझे क्या करना चाहिए? सीपीआर कैसे किया जाता है? कुल मिलाकर इस किताब में दिल के रोग एवं उपचार विधि से संबंधित हर उस सवाल का जवाब मिल जाएगा, जिसे लेकर मरीज सशंकित रहते हैं। यह किताब बंद पड़ गई धमनियों और एन्जाइना के उपचार के लिए वैकल्पिक चिकित्सा को समर्पित है। साथ ही इसमें ईसीपी थेरेपी के बारे में विस्तार से चर्चा की गई, जिसे उन मरीजों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो एंजियोप्लास्टी या बाइपास सर्जरी नहीं कराना चाहते हैं। डॉ. सुरूचि आदित्य इस किताब की सह लेखिका हैं, जिन्होंने दिल को स्वस्थ रखने की रेसिपी, तेल का कम उपयोग करने, प्रोबायोटिक रेसिपी और स्नैक्स एवं भोजन के स्वास्थ्यपरक विकल्पों के बारे में बताया है। डॉ. आदित्य पिछले 22 वर्षों से कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने रोहतक स्थित पीजीआईएमएस एवं नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण लिया है और वर्तमान में पंचकूला में कार्यरत हैं। 2014 में उन्हें इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए राजीव गांधी एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। यह उनकी पहली किताब है, जो अमेजन पर बेस्टसेलर की सूची में शामिल गई है।
ईसीपी थेरेपी क्या है?
एन्जाइना के मरीजों के उपचार में काम आने वाली वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है ईसीपी थेरेपी। ऐसे मरीज जो एंजियोप्लास्टी, स्टेंटिंग या बाइपास सर्जरी नहीं कराना चाहते हैं, उनके लिए ईसीपी थेरेपी का ईजाद किया गया है। इस थेरेपी को एफडीए द्वारा प्रमाणित किया गया है, जिसमें 35 सत्रों में प्रतिदिन एक घंटे तक कोलैटरल फ्लो को बढ़ाया जाता है और दिल के मरीजों को इससे लाभ होता है और इस थेरेपी के बाद वह बिना किसी बाहरी मदद या सर्जरी के जीवन जीने में कामयाब होते हैं। यह सुरक्षित एवं दर्दरहित प्रक्रिया है, जो दिल की समस्या से जूझ रहे मरीजों को प्राकृतिक रूप से जीने में प्रभावशाली रूप से मदद करती है।