Uttarakhand

त्रिवेन्द्र रावत सरकार के सामने शराब नीति को लेकर अग्रिपरीक्षा का दौर

महिलाएं और स्थानीय लोग कर रहे शिफ्ट दुकानों का विरोध 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाइवे से शराब की दुकानों को हटाकर रिहायशी इलाकों में शिफ्ट की जा रही हैं। वहीं रिहायशी इलाकों में शराब की दुकाने चलाने के विरोध में प्रदेशभर में महिलाओं ने मोर्चा खोला हुआ है। रूद्रप्रयाग, पौड़ी से लेकर देहरादून व कुमाऊँ मंडल  तक महिलाओं और स्थानीय लोगों ने शराब की नई दुकाने खोले जाने के विरोध में तेजी दिखाई हुई है। शराब के लाइसेंसधारक कारोबार लोगों के इस विरोध को देखते हुए असमंजस की स्थिति में पहुंचे हुए हैं।

उल्लेखनीय रहे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहली अप्रैल से नेशनल और स्टेट हाईवे के पांच सौ मीटर के दायरे में आ रही 402 शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया है। इन्हीं दुकानों को अब रिहायशी इलाकों में शिफ्ट किया जा रहा है।

मौजूदा समय राज्य सरकार के लिए अग्रिपरीक्षा से कम नहीं माना जा सकता। एक ओर प्रदेश की खराब माली हालत को सुधारने की चुनौती, वहीं दूसरी ओर ऐसे समय खनन बंद करने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश ने चुनौतियां और बढ़ाकर रख दी हैं। उधर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद, रिहायशी इलाकों में शराब की दुकाने शिफ्ट किए जाने का जहां लोगों विशेषकर महिला वर्ग द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा।

वहीं राज्य सरकार को भी इस मसले पर मानो कुछ सूझे नहीं सुझ रहा। प्रदेश में राजस्व का एक बड़ा हिस्सा शराब से प्रान्त किया जाता है। वहीं इसके बाद खनन व अन्य कार्यों से राजस्व प्रान्ति का नम्बर आता है। चार माह तक के लिए खनन पर प्रतिबंध के हाइकोर्ट के फैसले पर सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिट तो दाखिल कर दी गई है। वहीं, हाइवे पर निर्धारित दूरी पर शराब की दुकानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आमजन की सुरक्षा के लिहाज से अभूतपूर्व माना जा रहा। मगर यही फैसला सरकार के लिए सांसत बनता दिख रहा है।

नई शराब की दुकानें खोले जाने का विरोध तो प्रदेश भर में जारी ही है, और एक नई आवाज उठ रही और वह यह कि प्रदेश में पूरी तरह से शराबबंदी लागू की जाए। उल्लेखनीय रहे कि प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की ओर से इस बाबत सीएम को पत्र लिखा गया है। जिसमें उन्होंने प्रदेश में शराबबंदी किए जाने जैसे कदम उठाने की बात कही है।

भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस नीति अपनाने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सरकार की कार्यशैली को लेकर मंशा भले ही साफ कर दी हो। मगर शराब की दुकानों को शिफ्ट करने को लेकर मचा हो हल्ला या फिर शराबबंदी को लेकर उठ रही आवाजें, यदि जल्द ही इस ओर प्रदेश सरकार ने कोई ठोस फैसला नहीं लिया तो संभव कि, आगे आने वाले समय में प्रदेश सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।

प्रदेशभर में विशेष तौर पर महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आवाज बुलंद की हुई है। नई नवेली भाजपा सरकार से जनता को भारी आशाएं भी बंधी हैं। ऐसे में एक यक्ष प्रश्न खड़ा हो रहा कि राज्य सरकार क्या शराब के विरोध में जनांदोलन बढऩे से रोकने के लिए शराबबंदी पर गौर फरमाएगी, या फिर राजस्व प्रान्त होते रहने की लालसा बनाए रखेगी। हालांकि चंद दिनों पूर्व एक कार्यक्रम में जब पूर्व सैनिकों ने कैंटीन में मिलने वाली शराब पर राज्य सरकार की ओर से लगाए जा रहे वैट को हटाने की मांग सीएम से की थी तो सीएम ने कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं की ओर यह सवाल उछाल दिया था।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »