मजबूत बर्फ काटकर बनाया हेमकुंड तक का रास्ता
गोपेश्वर । देश रक्षा के लिए सीमा पर मोर्चा संभालने वाले हमारी सेना के जवान साहसिक कार्यों में भी पीछे नहीं हटते हैं। खासकर उत्तराखंड में जहां हर मुश्किल घड़ी में सेना फरिश्ता बनकर मदद के लिए पहुंचती है। यहां सेना के जांबाजों ने यह भी साबित कर दिखाया है कि बुलंद इरादों के आगे चट्टान की तरह मजबूत बर्फ को काटना भी मुश्किल नहीं है।
ताजा उदाहरण हेमकुंड साहिब यात्रा का है। यहां 19 दिन की कड़ी मेहनत के बाद सेना की 18 इंजीनियरिंग कोर के 30 जांबाज जवानों ने पैदल मार्ग को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है। तीन किमी का यह रास्ता बर्फ काटकर बनाया गया है। यहां कई जगह पर आठ से दस फीट तक बर्फ जमी हुई थी। अटलाकोटी क्षेत्र में बड़े-बड़े हिमखंडों को काटकर बर्फ के बीच से सेना के जवानों ने पैदल मार्ग बनाने में कामयाबी हासिल की है।
सेना के जवानों ने सीमित संसाधन होने के बावजूद रिकॉर्ड समय में लक्ष्य पूरा किया। क्योंकि इतनी ऊंचाई पर बड़ी मशीनें पहुंचाना संभव नहीं है। ऐसे में सीमित उपकरणों के साथ सेना के जवानों ने स्थानीय लोगों की मदद से चट्टान की तरह जमी बर्फ को काटकर रास्ता तैयार किया। अब यात्री इस पैदल मार्ग से आवाजाही कर सकेंगे। हालांकि घोड़े और खच्चरों को धाम में पहुंचने में कुछ समय लगेगा।
25 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट
सिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह की तपस्थली हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुलेंगे। 25 मई को सुबह नौ बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पहले दिन सुखमनी साहेब, ग्रंथ साहेब का पाठ किया जाएगा। गुरुग्रंथ साहेब गुरुद्वारे में विराजेंगे। देश-विदेश से हजारों की संख्या में यात्रियों के हेमकुंड साहिब पहुंचने की उम्मीद है। कपाट मुख्य ग्रंथी की पहली अरदास के साथ खोले जाएंगे। गुरुद्वारा कमेटी ने हेमकुंड गुरुद्वारे के कपाट खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। 10 अक्तूबर को गुरुद्वारे के कपाट बंद होंगे।
15200 फुट की ऊंचाई पर स्थित है तीर्थ स्थान
उत्तराखंड के चमोली जिले में हेमकुंट साहिब स्थित है। यह सिखों का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह हिमालय में 4632 मीटर (15,200 फुट) की ऊंचाई पर एक बर्फीली झील किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है। ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे के गोविंद घाट नाम स्थान से पैदल चढ़ाई चढक़र यहां पहुंचा जाता है। हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए तीर्थयात्री ऋषिकेश तक रेलमार्ग या जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक हवाई सेवा से पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से सडक़ मार्ग से 290 किमी दूरी पर बदरीनाथ के समीप गोविंदघाट स्थित है। गोविंदघाट से 19 किमी की पैदल दूरी तय कर पवित्र हेमकुंड साहिब पहुंचा जा सकता है। यात्रा मार्ग पर गोविंदघाट से 13 किमी की दूर घांघरिया नामक स्थान स्थित है। हेमकुंड के दर्शन कर तीर्थयात्री रात्रि विश्राम के लिए यहीं पहुंचते हैं।