संघ का चेहरा बचाने के लिए संजय कुमार से लिया गया इस्तीफा !

- आरोपी को निष्कासित की जगह लिखवाया गया इस्तीफा !
- कालिख पोतने वालों को बचा कर कौन कर रहा संघ का ही नुकसान
- भेड़िये की खाल में संघ जैसे पवित्र संगठन में घुसे ऐसे कई घुसपैठिये
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : # Me Too मामले में फंसे और महिला से दुर्व्यवहार के चलते उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश संगठनमंत्री संजय कुमार को भाजपा आला कमान ने गहन आरोपों के बाद भी निष्कासित करने के बजाय आरोपी से इस्तीफा लेते हुए बचाने का प्रयास किया है वह भी तब तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा आरोपी संगठन महामंत्री को निष्कासित किये जाने के स्पष्ट आदेश थे। इस बात की पुष्टि आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता में संघ का चेहरा बचाते हुए कहा कि प्रदेश संगठन महामंत्री संजय कुमार ने केंद्र से दरख्वास्त की थी कि उन्हें पद मुक्त किया जाय, जिसपर केंद्र ने उन्हें पदमुक्त कर दिया है। लेकिन अचानक इस्तीफे लिए जाने की बात पर अब भाजपा खुद ही फंस गयी है।
गौरतलब हो कि बीते दिनों भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश में भाजपा संगठन महामंत्री के पद पर पिछले सात -आठ सालों से उत्तराखंड भाजपा को अपनी उंगुलियों पर नचा रहे भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री संजय कुमार पर एक महिला द्वारा # Me Too अभियान के तहत दुर्व्यवहार और शोषण का मामला राजधानी देहरादून से लेकर दिल्ली तक सुर्ख़ियों में रहा। इस दौरान महिला से उसकी अंतरंग बातचीत के तमाम ऑडिओ क्लिप्स भी सोशल मीडिया सहित टीवी चैनलों पर जमकर वायरल हुई। इसके बाद भाजपा संगठन द्वारा आरोपी संगठन महामन्त्री संजय कुमार को दिल्ली तलब करते के बाद उत्तराखंड के संगठन महामंत्री पद से हटा दिया गया। लेकिन चर्चाएं आम हैं इस दौरान भी संजय कुमार के तमाम राजदारों द्वारा उसे बचाने के लिए पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाया गया कि किसी तरह उसे एक मोहलत मिल जाय लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के कड़े रुख के चलते वे ऐसा कर पाने में सफल नहीं हो पाए और अन्तः संजय कुमार को हटाए जाने से उत्तराखंड भाजपा को निजात मिल ही गयी।
लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा इस प्रकरण को बहुत ही गंभीरता से लिया गया और संजय कुमार को पार्टी से निष्कासित करने के आदेश दे दिए गए थे क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शाह के पास बीते कई सालों से काले कारनामों के चिट्ठे आते रहे हैं और मामला उनके संज्ञान में भी था लेकिन पार्टी में उनके कुछ साझेदारों के कारण वे बचने में सफल होते रहे थे। लेकिन इस बार # Me Too अभियान की जद में वे बुरी तरह फंस गए और उन्हें पार्टी द्वारा बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लेकिन पार्टी में उसके राजदारों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के कहने के बावजूद उसे पार्टी से निष्कासित करने के बजाय उससे गुपचुप रूप से दिल्ली बुलाकर उससे इस्तीफा लिखवा लिया। इससे यह बात साफ़ हो गयी कि पार्टी में महिला अपराधों के प्रति सख्त होने के बजाय मामलों को हल्का करने वालों की एक लम्बी फेहरिस्त है जो महिलाओं को आज भी उपभोग की वस्तु मानते हैं। जबकि मामले में आरोपी के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाही होनी चाहिए थी जैसा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शाह के आदेश थे।
बहरहाल पार्टी के आला नेताओं द्वारा संजय कुमार को सीधे हटाए जाने के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेश के बाद यह पहचाना जरुरी हो गया कि आखिर पार्टी में वे कौन -कौन लोग हैं जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चेहरे पर कालिख पोतने वालों को बचा कर संघ का ही नुकसान कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे संघ के त्याग ,तपस्या और बलिदान के साथ चाल ,चरित्र और चेहरे पर भी कुठाराघात कर संघ के लगभग 95 वर्षों के स्वच्छ और स्वर्णिम इतिहास को अपने कलुषित आचरण से दागदार बनाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। संघ को चाहिए कि भेड़िये की खाल में संघ जैसे पवित्र संगठन में घुसे ऐसे घुसपैठियों को निकाल बाहर करे ताकि संघ की छवि पर भविष्य में कोई दाग लगाने का दुस्साहस न कर सके।